कानपुर

UP: छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति ने  दिया बड़ा बयान, कहा- तुर्की नहीं जाना चाहिए 

UP News: कानुपर के छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति विनय कुमार पाठक ने बड़ा बयान दिया है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हो रहे गतिविधियों पर उन्होंने अपनी बात रखी है। आइए बताते हैं उन्होंने क्या कहा ? 

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May 15, 2025
Vinay Kumar Pathak

UP Kanpur News: पकिस्तान के विरुद्ध ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान तुर्की की सहभागिता को लेकर भारत में उसकी जोरदार विरोध हो रहा है। भारतीय बाजार से लेकर अकादमिक तक में तुर्की की लोग नींदा कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि भारत और पकिस्तान के बीच युद्ध के दौरान तुर्की पकिस्तान का सहयोग कर रहा था।

तुर्की के बने हुए कई ड्रोन भारत में मिले हैं। तुर्की के इस हरकत के बाद छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति विनय कुमार पाठक ने इस्तांबुल विश्वविद्यालय के साथ सारे MoU कैंसिल कर दिए हैं। उन्होंने कहा है कि भारत की सम्प्रभुता से बड़ा ऐकडेमिक नहीं हो सकता है। 

कुलपति ने क्या कहा ? 

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति विनय कुमार पाठक ने बताया कि मैं तुर्की में एक सम्मेलन में गया था, इस्तांबुल में एक विश्वविद्यालय में गया और उनके रेक्टर जुल्फिकार से मिला। हमने संयुक्त शोध के लिए चर्चा के बाद नवंबर में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

ऑपरेशन सिंदूर में दिखे टर्की के ड्रोन 

उन्होंने आगे कहा कि जब हमने ऑपरेशन सिंदूर के बाद देखा कि तुर्की के ड्रोन भारत में आ गए हैं और तुर्की भारत के दुश्मन की तरह काम कर रहा है, तो हमने तुरंत समझौता ज्ञापन रद्द कर दिया और उन्हें सूचित किया कि शिक्षा देश की संप्रभुता और गरिमा से बड़ी नहीं है। हम किसी भी दुश्मन देश के साथ समझौता ज्ञापन नहीं करेंगे। 

अन्य कुलपतियों से कही ये बात 

विनय कुमार पाठक ने आगे कहा कि मैं अखिल भारतीय विश्वविद्यालयों का अध्यक्ष भी हूं और मैंने कुलपतियों के समूह को लिखा है कि अगर हमारा किसी भी दुश्मन देश - बांग्लादेश, पाकिस्तान, तुर्की या किसी अन्य के साथ कोई समझौता ज्ञापन है, तो उसे तुरंत रद्द कर दिया जाना चाहिए।

कुलपति ने दिया सुझाव 

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति विनय कुमार पाठक ने आगे कहा कि मेरा सुझाव है कि हमारे लोगों को इन देशों में नहीं जाना चाहिए क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्था हम पर निर्भर करती है। यह समझौता ज्ञापन (छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय और इस्तांबुल विश्वविद्यालय के बीच) छात्र और संकाय आदान-प्रदान के लिए एक सामान्य समझौता था।

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