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कानपुर चिड़ियाघर में बब्बर शेर पटौदी की मौत, ब्लड रिपोर्ट से खुलेगा मौत का राज

गोरखपुर के चिड़ियाघर में हड़कंप मचा हुआ है। हाल ही में बाघिन ‘शक्ति’ की बर्ड फ्लू से मौत के बाद, अब दो कौवे भी मृत पाए गए हैं। इस घटना ने चिड़ियाघर प्रशासन की चिंताएं और बढ़ा दी हैं। बता दें कि 13 मई को बाघिन की मौत के बाद उसकी रिपोर्ट में बर्ड फ्लू […]

कानपुरMay 15, 2025 / 02:18 pm

Aman Pandey

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गोरखपुर से इलाज के लिए कानपुर भेजे गए पटौदी शेर की मौत।

गोरखपुर के चिड़ियाघर में हड़कंप मचा हुआ है। हाल ही में बाघिन ‘शक्ति’ की बर्ड फ्लू से मौत के बाद, अब दो कौवे भी मृत पाए गए हैं। इस घटना ने चिड़ियाघर प्रशासन की चिंताएं और बढ़ा दी हैं। बता दें कि 13 मई को बाघिन की मौत के बाद उसकी रिपोर्ट में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी, जिसके चलते गोरखपुर के साथ-साथ लखनऊ और कानपुर के चिड़ियाघर और इटावा लायन सफारी को भी एहतियातन 25 मई तक बंद कर दिया गया था।

जानवरों के 13 सैंपल लिए

चिड़ियाघर प्रशासन ने तुरंत हरकत में आते हुए मृत कौवों के साथ-साथ एक बाघ, एक शेर, एक भालू, तीन तेंदुए और पांच पक्षियों के नमूने भी लिए हैं। इन सभी 13 नमूनों को जांच के लिए भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान (NIHSAD) भेज दिया गया है, ताकि यह पता चल सके कि कहीं और जानवरों में भी संक्रमण तो नहीं फैल रहा है।

गोरखपुर से इलाज के लिए आया था बब्बर शेर

उधर, कानपुर चिड़ियाघर से भी एक दुखद खबर आई है। गोरखपुर से इलाज के लिए लाए गए बब्बर शेर पटौदी की गुरुवार को मौत हो गई। पटौदी लीवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहा था और बेहतर इलाज के लिए उसे गोरखपुर से कानपुर लाया गया था, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। शेर के खून के नमूने राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान भोपाल भेजे गए हैं।

प्रशासन ने चिड़ियाघर में बढ़ाई सतर्कता

रिपोर्ट आने के बाद पुष्टि हो सकेगी की शेर को बर्डफ्लू था अथवा नहीं। शेर की मौत के बाद चिड़ियाघर में सतर्कता बढ़ दी गई है। पूरे परिसर को सेनीटाइज किया जा रहा है। जानवरों की व्यवहार पर नजर रखी जा रही है, नियमित जांच की जा रही है।
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मुख्यमंत्री इस पूरे मामले पर गहरी नजर बनाए हुए हैं, क्योंकि गोरखपुर चिड़ियाघर उनका एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है और इसके निर्माण से लेकर संचालन तक हर छोटी-बड़ी चीज पर वे व्यक्तिगत रूप से ध्यान देते हैं। यह चिड़ियाघर उनके लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां के कई वन्यजीवों का नामकरण भी उन्होंने खुद किया था। यह भी चिंता की बात है कि पिछले एक महीने के भीतर गोरखपुर चिड़ियाघर में एक बाघ, एक बाघिन, एक तेंदुआ और एक भेड़िए की मौत हो चुकी है।

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