
पहली बार कब आया बर्ड फ्लू का केस।
यूपी के गोरखपुर में एक बाघिन की बर्ड फ्लू की वजह से मौत हो गई। बाघिन की मौत के बाद प्रशासन अलर्ट हो गया और लखनऊ, कानपुर और इटावा की लायन सफारी को पर्यटकों के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया। बर्ड फ्लू के चलते कानपुर चिड़ियाघर को 19 मई तक बंद कर दिया है। अब आइए जानते हैं बर्ड़ फ्लू की पूरी कहानी…
बर्ड फ्लू को एवियन इन्फ्लूएंजा के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी सिर्फ पक्षियों तक ही न सीमित रहकर मानव जीवन पर तगड़ा असर डाल रही है।
1878 में इटली में पहली बार 'फाउल प्लेग' के नाम से यह बीमारी दर्ज की गई थी। तब यह केवल मुर्गियों को संक्रमित करती थी और उससे उनकी ही मौत होती थी। लेकिन वैज्ञानिकों ने जल्दी ही पहचान लिया कि यह एक वायरस है। 1955 में यह सिद्ध हो गया कि यह रोग इन्फ्लूएंजा A वायरस के कारण होता है।
1997 में विश्व को पहली बार बड़ा झटका तब लगा जब H5N1 वायरस ने मनुष्यों को संक्रमित किया। 18 लोग संक्रमित हुए, जिनमें से 6 की मौत हुई। हांगकांग सरकार को सारे पोल्ट्री पक्षियों को मारना पड़ा।
वियतनाम, चीन और इंडोनेशिया में बड़े पैमाने पर इस फ्लू का फैलाव 2003 और 2004 में हुआ। चीन के किंगहाई झील में प्रवासी पक्षियों की मौत ने वायरस के अंतरराष्ट्रीय फैलाव की शुरुआत 2005 में की। इसके बाद यूरोप और अफ्रीका और अमेरिका तक इसका प्रसार हो गया।
2006 में बर्ड फ्लू का पहला केस महाराष्ट्र के नंदुरबार ज़िले में आया। इसके बाद कई बार असम, बंगाल, केरल और राजस्थान जैसे राज्यों में इसके केस सामने आए। 2008 और 2011 में पश्चिम बंगाल और असम में फ्लू का खतरा बढ़ा। 2021 में राजस्थान केरल, हिमाचल और मध्यप्रदेश में बर्ड फ्लू की आशंका जताई गई। इसके बाद 2024 में बिहार में बत्तख बर्ड फ्लू से संक्रमित हुई।
मनुष्यों में बर्ड प्लू से संक्रमित होने पर सबसे पहले बुखार लगता है। इसके बाद खांसी और गले में पीड़ित व्यक्ति को खराश होती है। कभी निमोनिया के लक्षण भी आते हैं इसके बाद इंसान की मृत्यु हो जाती है।
बर्ड फ्लू से बचाव के लिए सबसे पहले संक्रमित पोल्ट्री फार्म को नष्ट कर दिया जाता है। कई बार भारत में भी लाखों संक्रमित मुर्गियों को मार दिया गया और गड्डा खोदकर उन्हें दफना दिया गया। इसके अलावा संक्रमित पक्षियों से दूर रहें, पोल्ट्री उत्पादों को अच्छे से पकाकर खाएं, संदिग्ध जगहों पर यात्रा न करें। PPE किट पहनकर ही पोल्ट्री फार्म में जाएं।
डॉक्टर ओ डोनोवन कहते हैं कि अंडे खाए जा सकते हैं, मगर वहीं जो आप रिटेल शॉप्स से खरीदते हैं। क्योंकि इन अंडों की पैकेजिंग और स्टोरेज प्रोसेस अलग-अलग होते हैं। इस प्रक्रिया के चलते इनमें दूषित कणों की कमी कम होती है। अंडों को खाने के लिए आपको इन्हें 175 डिग्री फेहरनहाइट पर अच्छे से उबालना होगा। उबालने से अंडों के बैक्टीरिया और गंदगी भी साफ हो जाती है। अंडरकुक एग्स को खाना हानिकारक हो सकता है। डॉक्टर कहते हैं पार बॉइल्ड या हाफ फ्राई खाने से बेहतर है कि आप ऑमलेट या फिर बॉइल अंडा खाएं।
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, चिकन को कच्चा खाने से तो बिल्कुल बचना चाहिए, क्योंकि इस नॉनवेज को खाने से H5N1 का इंफेक्शन ज्यादा फैलता है। चिकन को अच्छी दुकान से खरीदा हो, तो खाया जा सकता है और उन जगहों का चिकन न खाएं, जो संक्रमित हों। चिकन को पकाने के लिए 165 डिग्री फेहरनहाइट पर इसे पकाना चाहिए और इसे अन्य किसी फूड्स के साथ कॉम्बिनेशन करके खाने से भी बचना चाहिए। कच्चे चिकन के संपर्क में आने के बाद आपको अपने हाथों को सही से साफ करने की जरूरत होती है।
Published on:
14 May 2025 08:30 pm
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