Rajasthan Land Scam: यह दूसरी बार है जब राजस्थान सरकार ने बिना समय गंवाए किसी सरकारी अफसर के 'कारनामे' पर त्वरित कार्रवाई की है। इससे पहले, एसडीएम छोटूराम का एक कारनामा वायरल हुआ था, जिसके बाद सरकार ने उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया था।
Karauli Tehsildar Suspended: राजस्थान सरकार सरकारी पदों पर बैठे उन अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के मूड में है, जिन पर पद का दुरुपयोग करने या जनता के साथ 'रौब' झाड़ने का आरोप लगता है। इसी क्रम में, करौली में बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई करते हुए नायब तहसीलदार महेंद्र गुर्जर को निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई करौली जिला मुख्यालय पर एक चर्चित और संवेदनशील भूमि प्रकरण से जुड़ी मानी जा रही है।
राजस्व मंडल राजस्थान, अजमेर के निबंधक ने महेंद्र गुर्जर के निलंबन के आदेश जारी किए हैं। निलंबन का आधार उनके करौली तहसीलदार पद पर रहने के दौरान लंबित विभागीय जांच को बनाया गया है। आदेश के अनुसार, निलंबन अवधि के दौरान महेंद्र गुर्जर का मुख्यालय राजस्व मंडल राजस्थान, अजमेर रहेगा। यह कदम सरकारी मशीनरी में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है।
सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई करौली जिला मुख्यालय के एक बहुचर्चित भूमि विवाद प्रकरण से संबंधित है, जिसमें बड़े स्तर पर अनियमितताओं की शिकायतें मिली थीं। इस मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तहसीलदार स्तर के अधिकारी से पहले दो पटवारियों को भी निलंबित किया जा चुका है। माना जा रहा है कि इस भूमि प्रकरण में नियमों की अनदेखी या पद का दुरुपयोग किया गया था, जिसकी जांच अभी भी जारी है। महेंद्र गुर्जर के खिलाफ यह कार्रवाई राजस्व विभाग में व्याप्त संभावित अनियमितताओं पर प्रहार मानी जा रही है।
यह दूसरी बार है जब राजस्थान सरकार ने बिना समय गंवाए किसी सरकारी अफसर के 'कारनामे' पर त्वरित कार्रवाई की है। इससे पहले, एसडीएम छोटूराम का एक कारनामा वायरल हुआ था, जिसके बाद सरकार ने उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया था। सरकारी महकमों में बढ़ते 'रौब' और मनमानी को लेकर सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है।
सरकारी अधिकारियों के लगातार सामने आ रहे ऐसे मामलों ने राज्य प्रशासन को कार्रवाई के लिए मजबूर किया है। सरकार का यह कदम स्पष्ट संकेत देता है कि लोक सेवकों को अपनी शक्तियों का उपयोग जनता की सेवा के लिए करना चाहिए, न कि रोब झाड़ने के लिए। महेंद्र गुर्जर के निलंबन से करौली जिले के प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मच गया है और यह अन्य अधिकारियों के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है कि सरकारी नियमों के उल्लंघन पर सरकार की नजर पैनी है।