वसूली करने में लापरवाही बरतने पर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने करौली जिला कलक्टर को हिण्डौन तहसीलदार के वेतन से वसूली जाने वाली राशि की कुर्की के आदेश दिए हैं।
राजस्थान के करौली जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के निर्णय आदेश की पालना में संबंधित से वसूली करने में लापरवाही बरतने पर आयोग ने सख्ती दिखाते हुए हिण्डौन के दो प्रकरणों में करौली जिला कलक्टर को हिण्डौन तहसीलदार के वेतन से वसूली जाने वाली राशि की कुर्की के आदेश दिए हैं।
दोनों मामलों में जिला उपभोक्ता आयोग ने ढाई वर्ष पहले कलक्टर को आदेशित किया था। जिस पर कलक्टर ने हिण्डौन तहसीलदार को वसूली करने का जिम्मेदार अधिकारी मानते हुए आदेश के अनुसार राशि वसूली करके आयोग को रिपोर्ट भेजने के आदेश दिए थे। लेकिन ढाई वर्ष में भी वसूली के प्रति शिथिलता दर्शाने पर आयोग अध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह तथा सुरेन्द्र चतुर्वेदी ने तहसीलदार के वेतन से वसूली करने के आदेश कलक्टर को दिए हैं।
आयोग ने 20 अगस्त 2014 को जगनपुरा निवासी एक किसान बृजेन्द्र सिंह गुर्जर के पक्ष में निर्णय करते हुए हिण्डौन क्रय-विक्रय सहकारी समिति को 75 हजार रुपए का 9 प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान करने के आदेश दिए थे। इसी प्रकार दूसरे मामले में आयोग ने 10 दिसम्बर 2014 को खेड़ा में संचालित एक निजी प्रशिक्षण संस्थान के खिलाफ निर्णय पारित किया था।
इस निर्णय आदेश के मुताबिक संस्थान को फुलवाड़ा हिण्डौन में भीमनगर निवासी कैलाश सिंह को 9 हजार 357 रुपए का ब्याज सहित भुगतान करना था। दोनों मामलों में सम्बन्धित ने निर्णय आदेशों की पालना नहीं की तो पीड़ितों ने अलग- अलग परिवाद उपभोक्ता आयोग के समक्ष पेश किए, जिस पर आयोग ने जिला कलक्टर को आदेश दिए थे कि आयोग के निर्णय की पालना में सम्बन्धित से वसूली की कार्यवाही की जाए।
कलक्टर ने प्रकरणों में हिण्डौन तहसीलदार को वसूली करने का जिम्मेदार अधिकारी बताते हुए क्रय विक्रय सहकारी समिति के मामले में 23 मई 2023 को तथा संस्थान से वसूली को लेकर 28 अगस्त 2023 को आदेश जारी किए। लेकिन तहसीलदार ने ढाई वर्ष बीतने पर भी वसूली की कार्रवाई नहीं की।
आयोग के अध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह तथा सुरेन्द्र चतुर्वेदी ने इन मामलों की सुनवाई के दौरान वसूली में इस तरह की शिथिलता को गंभीर लापरवाही मानते हुए कलक्टर को आदेश दिए हैं कि सम्बन्धित वसूली अधिकारी (तहसीलदार हिण्डौन) के वेतन से वसूली की जाने वाली राशि को कुर्क करके आयोग को भिजवाया जाए, जिससे सम्बन्धित परिवादी को यह राशि प्रदान की जा सके।