कटनी

मूक मवेशियों के साथ संवेदनहीनता: अस्पताल में नोंच रहा श्वानों का झुंड

Anesthesia with cattle

3 min read
Dec 15, 2024
Anesthesia with cattle

झिंझरी पशु चिकित्सालय में गंभीर लापरवाही, खतरे में मवेशियों की जिंदगी, चोटिल व बीमार मवेशियों की हो रही अनदेखी

कटनी. झिंझरी स्थित पशु चिकित्सालय में गंभीर लापरवाही और संवेदनहीनता का मामले सामने आ रहे हैं। मूक मवेशियों की देखभाल में भारी कोताही बरती जा रही है, जिससे उनकी हालत और बिगड़ रही है। पर्याप्त देखभाल और इलाज के अभाव में यहां घायल और बीमार मवेशी दम तोडऩे को मजबूर हैं। यहां के डॉक्टर और कर्मचारी मवेशियों के इलाज और देखभाल के प्रति पूरी तरह उदासीन हो गए हैं। शिकायतें हैं कि अस्पताल में घायल व बीमार मवेशियों का न तो सही तरीके से इलाज हो रहा है और न ही उनके लिए भोजन-पानी की पर्याप्त व्यवस्था है। अस्पताल परिसर में आवारा श्वान इन असहाय जानवरों पर हमला कर रहे हैं, जिससे कई मवेशी दर्दनाक मौत का शिकार हो चुके हैं।
समाजसेवियों और स्थानीय लोगों ने बार-बार प्रशासन का ध्यान इस गंभीर स्थिति की ओर दिलाने की कोशिश की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता ने पशु चिकित्सालय को बदहाली के कगार पर पहुंचा दिया है। अस्पताल में न तो पर्याप्त कर्मचारियों की तैनाती की गई है और न ही बुनियादी सुविधाओं का ध्यान रखा जा रहा है। घायल और बीमार मवेशियों को संक्रमण से बचाने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। आवारा श्वानों की मौजूदगी से स्थिति और भयावह हो गई है।

स्थानीय लोगों की मांग
नागरिकों ने प्रशासन से मांग की है कि झिंझरी पशु चिकित्सालय में जल्द से जल्द व्यवस्थाएं सुधारी जाएं। डॉक्टरों और कर्मचारियों को उनकी जिम्मेदारी का एहसास दिलाते हुए कार्य के प्रति जवाबदेह बनाया जाए। साथ ही मवेशियों की सुरक्षा के लिए आवारा श्वानों पर नियंत्रण किया जाए। यह गंभीर मामला प्रशासन की अनदेखी और लापरवाही को उजागर करता है। अगर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मवेशियों के लिए और घातक साबित हो सकता है। स्थानीय प्रशासन को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। मूक प्राणियों की सुरक्षा और इलाज सुनिश्चित करना हर जिम्मेदार नागरिक और प्रशासन की नैतिक जिम्मेदारी है।

लोग फेंक जाते हैं मवेशी
इस मामले को लेकर डॉ. आरके सोनी का कहना है कि नगर निगम व समाजसेवी मवेशियों को यहां फेंककर चले जाते हैं। मौत होने पर हमारे द्वारा नगर निगम अमले को सूचना दी जाती है। उनके द्वारा कई बार विलंब कर दिया जाता है, जिससे कुछ घंटे देरी हो जाती है। परिसर खुला होने के कारण श्वान आ जाते हैं। यहां पर सिर्फ एक ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। समाजसेवियों से चंदा लेकर भूसा आदि की व्यवस्था कराते हैं। विभाग से कोई मदद नहीं मिलती। यहां पर सिर्फ उपचार मिलता है। मवेशियों की सेवा करने के बाद भी कुछ लोग वीडियो बनाकर वायरल कर रहे हैं। हकीकत यह है कि गौवशाला वाले घायल मवेशियों को नहीं रखते, यहां छोड़ जाते हैं। यहां पर सिर्फ चिकित्सा सुविधा देना जिम्मेदारी है। इसके बाद भी पानी और भूसा की व्यवस्था करते हैं।

खास-खास

  • 3 चिकित्सक हैं पदस्थ, डॉ. आरके सोनी सीएस, डॉ. गायत्री राज व रवि कटारिया हैं पदस्थ, कटारिया के पास है बड़वारा का भी प्रभार, दो सहायक क्षेत्राधिकारी तैनात किए गए हैं, एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी उपलब्ध।
  • तीन दिन से चतुर्थश्रेणी कर्मचारी अवकाश पर, डॉक्टर ही अस्पताल को खोलते व बंद करते हैं, स्वीपर की नहीं है व्यवस्था, जून 2023 माह में सेवानिवृत्ति के बाद अब अनुबंध के आधार पर एक व्यक्ति को रखा गया है, जो सिर्फ आधे व एक घंटे दे रहा सेवा।
  • चतुर्थ श्रेणी के 4 पद, क्षेत्राधिकारी के दो पद ही ही स्वीकृत, पर्याप्त व्यवस्था न होने से भी हो रही समस्या।-अस्पताल में स्टॉफ के अलावा एक्सरे मशीन, सोनोग्रॉफी मशीन व सभी उपकरण हैं, पशु चिकित्सालय में 25 से 30 मवेशियों का उपचार होता है, बारिश व गर्मी के सीजन में 30 से 35 तक पहुंच जाती है।

यह होना आवश्यक
नगर निगम व समाजसेवी यहां पर मवेशी छोड़ते हैं। इसलिए यहां शेड होना चाहिए, ताकि वहां पर मवेशियों को सुरिक्षत रखा जाए। चहरी बनवाई जाएं। मवेशियों को बैठने के लिए स्थान हो, जालियां आदि लगी होनी चाहिए, ताकि मवेशियों की उचित देखभाल की जाए। 1962 की सुविधा चल रही है। इसमें फोन कर लोग जानकारी दे सकते हैं, जिनका मौके पर ही टीम एक डॉक्टर, एक कंपाउंडर व स्टॉफ की व्यवस्था दी गई है। हालांकि इसमें 150 रुपए शुल्क का प्रावधान तय किया गया है। लोग इसमें रुचि नहीं दिखा रहे हैं। उपयोगिता बढ़ाए जाने पर फोकस किया जाना चाहिए।

वर्जन
पशु चिकित्सालय में लापरवाही के फोटो, वीडियो सामने आए हैं। इस मामले की जांच कराई गई है। विभाग के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। घायल मवेशी का इलाज कराकर गौशाला भेज दिया जाता है। नगर निगम द्वारा समय से मृत मवेशी न उठाए जाने के कारण समस्या बनती है। डॉ. आरके सोनी को आवश्यक व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं।
डॉ. आरके सिंह, उप संचालक कृषि।

Published on:
15 Dec 2024 05:04 pm
Also Read
View All

अगली खबर