Establishment of industries in Katni
कटनी. बारडोली की धरा ऐतिहासिक महत्व, धर्म और संस्कृतियों का बेजोड़ प्रतिबिंब तो है, साथ ही यहां की भूमि अपने गर्भ में इतने अनमोल रत्नों को संजोये हुए है जो कटनी की तस्वीर और तकदीर को बदल कर रख देंगे। गर्भ में सोना, कोबाल्ट, लीथियम, वनेडियम, टाइटेनियम, ग्रेमियम, प्लेटिनम जैसी धातुएं समाई हुई हैं तो वहीं लाइमस्टोन, मार्बल, बेहतर स्टोन, बॉक्साइड, आयरनओर धरा उगल रही है, जिससे उद्योगपतियों की चांदी है। जरुरत है जिले में निवेश बढ़ाने की, आद्यौगिक इकाइयों की स्थापना की। जिले में लॉजिस्टक हब बनने, माइनिंग और इंजीनियरिंग कॉलेज खुलने, इकाइयों की स्थापना के लिए सरकारी नीति का सरलीकरण किए जाने से जिले के विकास को पंख लग सकेंगे। आवश्यकता है यहां के जनप्रतिनिधियों में दृढ़ इच्छाशक्ति की और अफसरों में काम कराने की तत्परता की…।
बता दें कि जिले में वर्तमान में मिल, निर्माण फैक्ट्रियां, औद्योगिक इकाइयां लगभग 467 से अधिक चल रही हैं। 500 से अधिक इकाइयों की और संभावना है। जिले में अविकसित शासकीय भूमि एवं निजी भूमि पर 5 बड़े उद्योग उत्पादनरत हैं। जिनमें 1419 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश किया गया है। 1062 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ है। निवेश की संभावना को देखते हुए अमकुही औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार किया जा रहा है। औद्योगिक क्षेत्र टिकरिया में विकास का कार्य जारी है। ग्राम सेमरा 59.410 हेक्टेयर, ग्राम तिहारी 37.375 हेक्टेयर, ढीमरखेड़ा की 135.010 हेक्टेयर भूमि के अधोसंरचना विकास के लिए योजना तैयार की जा रही है। वहीं 32 हेक्टेयर में औद्योगिक क्षेत्र चल रहा है। जिसमें 183 हेक्टेयर भूमि विकसित है, जहां पर 270 से अधिक इकाइयां चल रही हैं। 187 उत्पादनरत इकाइयां चलायमान हैं।
खास-खास
ये हैं जिले के उद्योग
इन क्षेत्रों में हैं अपार संभावनाएं
जिले में बहुकीमती खनिजों का भंडार हैं। जिले में रेत, मार्बल, बॉक्साइड, आयरनओर सहित अन्य खनिज की प्रचुरता है। जिले में दो स्थानों पर स्लीमनाबाद क्षेत्र के ग्राम इमलिया व ढीमरखेड़ा क्षेत्र का सैलारपुर नवलियां में सोने की खोज हुई है, जो विकास के क्षेत्र में जिला व प्रदेश के लिए वरदान साबित होगा। इसी प्रकार बेशकीमती धातुओं की खोज हो चुकी है, इन क्षेत्रों में निवेश हुआ तो कटनी विश्वपटल पर खास क्षवि बनाएगा। विकास के नए द्वार खोलेगा।
कृषि के क्षेत्र में निवेश आवश्यक
जिले में उन्नत कृषि होने लग गई है। जिले के किसान परंपरागत खेती के साथ आधुनिक खेती में हाथ आजमा कर बड़ा नाम कमा रहे हैं। जिले में सब्जी के साथ फलों व फूलों की खेती को किसानों ने बढ़ावा दिया है। बहोरीबंद क्षेत्र के ग्राम बिचुआ में ड्रैगन फूड, निवार में अनार, गुलाब, नींबू, मदनपुरा में हर प्रकार के फल ड्रायफूड सहित अत्याधुनित खेती को किसान बढ़ावा दे रहे हैं। पॉलीहाउस, शेडनेट में कई गुना सब्जी पैदा कर रहे हैं। इस क्षेत्र में निवेश हो तो जिले की दिशा-दशा बदल सकती है।
माइनिंग-इंजीनियरिंग कॉलेज का अभाव
शहर व जिले में आइटीआईं संस्थान तो हैं, लेकिन सीटें कम हैं। इसके अलावा एक पॉलिटेक्निक कॉलेज भी झिंझरी में चल रहा है, लेकिन वह अत्याधुनिक नहीं है। जिले में खनिज की बाहुल्यता को देखते हुए इंजीनियरिंग व माइनिंग कॉलेज की नितांत आवश्यकता है। कई वर्षों से माइनिंग कॉलेज की मांग भी उठ रही है, लेकिन अबतक कोई सार्थक पहल नहीं दिख रही। शहर में कुशल श्रमिक नहीं तैयार हो पा रहे हैं। बाहरी लोगों का यहां के उद्योगों में कब्जा है।
एयरपोर्ट की नहीं सुविधा
शहर में रेल यातायात की बड़ी कनेक्टिीविटी है। देश को पांचों दिशाओं से जोड़ रही है। शहर भी दो प्रमुख हाइवे नेशनल हाइवे-30, नेशनल हाइवे-43 से जुड़ा है। लॉजिस्टिक सुविधा के लिए जनप्रतिनिधि सिर्फ राग अलाप रहे हैं, लेकिन अबतक कोई काम नहीं हुआ। शहर में सबसे बड़ी कमी एयरपोर्ट की है। जिले में अपार संभावनाएं, विशेष आवश्यकता होने के बाद भी हवाईपट्टी पर काम नहीं हुआ। अधिकारी व जनप्रतिनिधियों ने इस विषय पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। सर्वे तक ही यह योजना सिमटकर रह गई है, जबकि आसपास के जिलों को यह सुविधा मिल चुकी है। यह नेताओं के विफलता का भी एक प्रमाण है।
सरकार की नीतियों की टूटी मिलर्स की कमर
सरकार की नीतियों से भी उद्योगों का बंटाढार हो रहा है। शहर में 300 से अधिक दाल मिलें 90 के दशक में चल रहीं थीं, लेकिन दलहन पर डबल मंडी टैक्स होने के कारण मिलों में या तो ताला डल गया है या फिर महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ उद्योग पायलन कर गए हैं। सरकार ने कुछ माह के लिए राहत दी, लेकिन अब छूट न मिलने से कारोबारी खासे परेशान हैं। इसी प्रकार उद्यानिकी, कृषि, उद्योग विभाग सहित अन्य एमइसेमइ विभाग में सब्सिडी समय पर न मिलने से निवेशकों की कमर टूटी है। टैक्स में छूट, इंसेंटिव व समय पर सब्सिडी मिलने से विकास को रफ्तार मिल सकती है।
शहर में यहां पर चल रहे उद्योग
शहर में कई बड़े-बड़े उद्योग संचालित हो रहे हैं। औद्योगिक क्षेत्र बरगवां, अमकुही की पहाड़ी फूड पार्क, माधवनगर, पडऱवारा-पिपरौंध, लमतरा क्षेत्र में उद्योग चलायमान हैं। इन उद्योगों में अरबों का कारोबार के साथ हजारों हाथों को रोजगार मिला हुआ है। तखला-टिकरिया, ढीमरखेड़ा-बड़वारा, रीठी, विजयराघवगढ़-बरही क्षेत्र में उद्योगों की स्थापना के लिए काम चल रहा है, लेकिन कई साल से योजनाएं मूर्तरूप नहीं ले पाईं। डोकरिया-बुजबुजा में वेल्स्पन कंपनी विरोध के बाद बंद है। अडानी ग्रुप द्वारा कैमोर के महगांव में एक बड़ा प्लांट लगाया जा रहा है, लेकिन उसमें भी बाहरी लोगों को नौकरी से स्थानीय युवाओं की कमर टूट गई है।
यहां पर बन सकते हैं उद्योग की संभावनाएं…
शहर के उपनगरीय क्षेत्र इमलिया, एनकेजे, मंडी क्षेत्र, मझगवां क्षेत्र सहित ग्रामीण मुख्यालय विजयराघवगढ़, कैमोर, बरही, बड़वारा, ढीमरखेड़ा, बहोरीबंद, स्लीमनाबाद, रीठी क्षेत्र में आद्यौगिक इकाइयों के विस्तार से लोगों को रोजगार मिलेगा, विकास के नए आयाम स्थापित होंगे। औद्योगिक क्षेत्रों का विस्तार कर समय से बिजली, पानी, सडक़, नाली की सुविधा, सरल स्थापना नीति देने से उद्योगों की स्थापना होगी, शहर विकास के पथपर अग्रसर हो सकेगा।
इन क्षेत्रों में है निवेश
जिले में कुछ क्षेत्रों में कारोबारी खासा निवेश किए हुए हैं। इसमें खनिज, मार्बल, रेत, निर्माण इकाइयां, वेयरहाउस, क्रेशर प्लांट आदि में निवेश किए हुए हैं। जिले में कृषि, उद्यानिकी के साथ खनिज के सोधना के साथ उनसे तैयार होने वाली सामग्री के निर्माण की इकाइयां स्थापित करने से बड़ा फायदा होगा। मार्बल उद्योग को जीवंत करने, स्टोन को बढ़ावा देने से जिला विश्व पटल पर उभरकर सामने आएगा। इन क्षेत्रों के विस्तार की अपार संभावनाएं हैं।
चुनौतियों का करना होगा समाधान
जिले में उद्योग स्थापित न हो पाने की मुख्य वजह विभागीय व प्रशासनिक चुनौतियां हैं। तखला में 14 साल पहले की योजना अधर में है। अबतक यहां पर मूलभूत सुविधाओं का विस्तार नहीं हुआ, प्लाटों की नीलामी व आवंटन की प्रक्रिया नहीं हुई। ढीमरखेड़ा क्षेत्र में उद्योगों के लिए अफसर जमीनें नहीं तलाश पाए। जिले में रेडीमेट गारमेंट्स उद्योग के लिए जमीन आवंटन की प्रक्रिया अबतक प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। आवंटन प्रक्रिया सहित दस्तावेज से लेकर अनुमति देने की प्रक्रिया के सरलीकरण करने से निवेश बढ़ेगा।
जिम्मेदारों की नजरें नहीं…
शहर से लेकर जिले में बड़े-बड़े उद्योग स्थापित हों, इनके लिए सक्रिय पहल विधायकों को करनी चाहिए, लेकिन चारों ही विधानसभा के विधायक सक्रिय नहीं हैं। शहर में संदीप जायसवाल, विजयराघवगढ़ संजय पाठक, बड़वारा धीरेंद्र सिंह, बहोरीबंद प्रणय पांडेय सक्रियता के साथ औद्योगिक इकाइयों की स्थापना कराने पर जोर नहीं दे रहे। आने वाले कलेक्टर भी सिर्फ नौकरी की औपचारिकता करते चले आ रहे हैं। ऐसे में समीक्षा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। भूमि आवंटन, मंजूरी, फंडिंग, कच्चे माल की उपलब्धता आदि को इतना पेचीदा किया गया है कि निवेशक थक-हारकर बैठ जा रहा है। उद्योग विभाग की निष्क्रिय है।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में शामिल होंगे जिले के उद्योगपति
भोपाल में 24 एवं 25 फरवरी को आयोजित होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में लगभग 108 उद्योगपति शामिल होंगे। इससे जिले में भी निवेशकों के आने से युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढेंगे। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2025 से राज्य में न केवल औद्योगिक विकास को नई गति मिलेगी, बल्कि यह जिले के आर्थिक परिदृश्य को भी नया आयाम देगी। इस सम्मेलन से राज्य में रोजगार के नए अवसरों का सृजन होगा, विदेशी निवेशकों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। इस आयोजन के माध्यम से मध्य प्रदेश शासन द्वारा उद्योग हित में जो नीतियां बनाई गई है उन नीतियों को प्रदर्शित किया जाएगा।
उद्योगपतियों ने कही यह बात
बड़वारा क्षेत्र में मिनरल इकाईयों की स्थापना, पुट्टी प्लांट, रीठी क्षेत्र में सीमेंट प्लांट, विजयराघवगढ़ क्षेत्र में सीमेंट व पॉवर प्लांट लगाए जाने से जिले का विकास तेज गति से होगा। जिले के युवाओं को हुरनबाज बनाते हुए इकाइयों में काम देना होगा।
प्रवीण बजाज, उद्योगपति।
जिले के विकास के लिए माइनिंग के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। सरकार को चाहिये कि पॉलिसी माइनिंग निवेश को बढ़वा देने वाली बनाई जाए, कागजी प्रक्रिया का सरलीकरण कराया जाए तो तेजी से कारोबार बढ़ेगा। इससे राजस्व बढ़ेगा, बेरोजगारी कम होगी, शहर व जिले का विकास होगा।
सुमित अग्रवाल, उद्योगपति।
उद्योगपतियों ने कही यह बात
जिले में बेशकीमती धातुओं की खोज हुई है। खनिज की प्रचुरता है। मार्बल उद्योग ठप पड़ा है। इसलिए अवश्यकता है इन उद्योगों को जीवंत किया जाए। साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में विस्तारीकरण बेहद आवश्यक है, ताकि युवा आगे बढ़ सके।
मुकेश गुप्ता, उद्योगपति।
जिले में चूना उद्योग देशभर में प्रसिद्ध था, लेकिन प्रशासनिक पेचीदियों के कारण दम तोड़ चुका है। कागजी काम में सरकार ने उलझाकर रखे हुए है, सलीकरण होने से उद्योग फिर से बढ़ सकता है, जिससे विकास के नए द्वार खुल सकते हैं।
त्रिभुअन गट्टानी, उद्योगपति।
वर्जन
जिले में काफी औद्योगिक इकाइयां संचालित हो रही हैं। लॉजिस्टक हब, गारमेंट्स उद्योग सहित अन्य औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए आवश्यक पहल की जाएगी। तखला-टिकरिया में इकाई स्थापना कराने की प्रक्रिया जारी है। हर क्षेत्र की समीक्षा कर निवेशकों को इकाई स्थापना के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
दिलीप यादव, कलेक्टर।