Government land is being sold in Katni city
कटनी. नगरनिगम (तत्कालीन नगर सुधार न्यास) द्वारा वर्षों पूर्व भूमि स्वामियों को लाखों रुपए देकर अधिग्रहित की गई जमीनें संकट में है। करोड़ों रुपए कीमत की इन जमीनों को भूस्वामी व भूमाफियाओं ने बेचना शुरू कर दिया है। आलम यह है कि कई स्थानों पर जमीनों को बेचा जा चुका है तो कई स्थानों पर करोड़ों की जमीनों की खरीद-फरोख्त जारी है। ताजा मामला नगर सुधारन्यास की योजना क्रमांक 14 का सामने आया है। यहां भूस्वामी द्वारा स्वयं की जमीन की आड़ लेकर नगर सुधार न्यास की जमीन को बेच दिया है। प्रभारी नगरनिगम आयुक्त आइएएस शिशिर गेमावत ने सरकारी जमीन की खरीद-फरोख्त होने की जानकारी सामने आने के बाद जांच कराने की बात कही है। हालांकि इससे पूर्व भी नगरनिगम द्वारा अधिग्रहित जमीनों की बिक्री की जानकारी मिलने पर जिला पंजीयक को पत्र जारी कर रजिस्ट्रियों पर रोक लगाने कहा था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
जानकारी के अनुसार वर्ष 1980-90 के दशक में नगरनिगम द्वारा आवासीय व व्यवसायिक योजनाओं के लिए शहर में अलग-अलग स्थानों पर जमीनों का अधिग्रहण किया गया था। इसके एवज में भूमि स्वामियों को राशि का भुगतान किया गया था। योजनाओं के लिए अधिग्रहित जमीनों पर कार्य न होने की वजह से ये जमीनें वर्तमान में खाली पड़ी हुई है। दूसरी ओर वर्तमान में इन जमीनों के दाम करोड़ों में पहुंच गए है। जमीनों के दाम बढऩे और मुख्य मार्गों में जमीनें होने के कारण भूमाफिया भी सक्रिय हो गए है। अधिग्रहित जमीनों का खुद को भूस्वामी बताकर उनकी खरीद-फरोख्त शुरू कर दी है।
ऐसे बिक रही अधिग्रहित की गई जमीन
पत्रिका के पास उपलब्ध जमीनों के दस्तावेजों के अनुसार आयकर कार्यालय के समीप दिनेश कुमार डोडानी की खसरा नंबर 328 में 0.35 हेक्टेयर जमीन थी। इस जमीन की चौहद्दी पूर्व में कच्चा प्रस्तावित रास्ता, पश्चिम में कन्हैयालाल की जमीन और दक्षिण में कच्चा प्रस्तावित रास्ता था। दिनेश ने यह जमीन दिनेश ने संदीप कुमार केवलानी को 0.35 हेक्टेयर में से 0.25 हेक्टेयर बेची। इसमें चौहद्दी उत्तर में खसरा नंबर 328 को शेष बंटाक, दक्षिण में प्रस्तावित रास्ता, पूर्व में सुधारन्यास की जमीन में रास्ता और पश्चिम में प्रस्तावित रास्ता बताया। इसके बाद जमीन के विक्रय में खेल हुआ। दिनेश ने निजी जमीन बताकर सडक़ के दूसरी तरफ स्थित नगर सुधार न्यास की जमीन बेच दी। शेष 0.10 अजय मिश्रा को बेचकर रजिस्ट्री में उत्तर में नगर सुधार न्यास की जमीन, दक्षिण में नगर सुधार न्यास द्वारा छोड़ा गया रास्ता, पूर्व में नगर सुधार न्यास की जमीन और पश्चिम में 40 फिट का रास्ता बता दिया। हालांकि खरीदार और विक्रेताओं का कहना है कि हमने अपनी जमीनें बेची व खरीदी है।
यह दलील दे रहे क्रेता और विक्रेता
खसरा नंबर 328 में 0.10 हेक्टेयर जमीन को लेकर क्रेता और विक्रेताओं की अपनी दलीलें है। भूस्वामी दिनेश कुमार डोडानी का कहना है कि इस मामले में मैं कुछ नहीं कह सकता। इसमें खरीददार परेशान होगा। रजिस्ट्री को खरीददार लिखवाता है। मैं जमीन का काम अभी से देखना शुरू किया हूं। पहले बाबूजी देखते थे। खसरा नंबर देखकर मैं आगे की बात बता पाऊंगा। वहीं तत्कालीन खरीदार अजय मिश्रा का कहना है कि मैने निजी भूमि ही खरीदी है वह सुधारन्यास की जमीन नहीं है। हालांकि मैंने उस जमीन का विक्रय कर दिया है। वर्तमान भूस्वामी बृजेश मिश्रा का कहना है कि यदि जमीन सुधारन्यास की है तो विक्रेता पर एफआइआर होनी चाहिए। हम नगरनिगम से नक्शा पास करवाकर मकान बना रहे है। नगरनिगम को मामले की जांच करनी चाहिए।
यहां भी चर्चाओं में करोड़ों की जमीन का विक्रय
योजना क्रमांक 17 के तहत अधिग्रहित बरगवां में एलआइसी के समीप स्थित है। खसरा क्रमांक 211/2, 209/4, 210/1, कुल रकबा 3.543 हेक्टेयर जमीन के विक्रय किए जाने का मामला चर्चाओं में है। नगरनिगम अफसरों का कहना है कि अधिग्रहित जमीनों का विक्रय नहीं किया जा सकता। नगरनिगम ने इन योजनाओं को अबतक निरस्त भी नहीं किया है।
योजना व कहां है जमीनें
योजना क्रमांक 11 के लिए मेहंदी बांग्ला रोड, लखेरा
योजना क्रमांक 12 के लिए मेहंदी बांग्ला रोड लखेरा कटनी
योजना क्रमांक 17 के लिए ग्राम बरगवां वंश स्वरूप वार्ड
योजना क्रमांक 14 सुधार न्यास कालोनी
नगरनिगम भी लिख चुका है पत्र
योजनाओं के लिए आरक्षित जमीनों का विक्रय खुलेआम हो रहा है, इसके बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। 3 अक्टूबर 2023 को तत्कालीन नगरनिगम आयुक्त द्वारा इसको लेकर रजिस्ट्रार को पत्र लिखा गया था। पत्र में बताया गया था कि कुछ अज्ञात लोगों द्वारा अधिग्रहित जमीनों को स्वयं की भूमि बताते हुए विक्रय किया जा रहा है। नगरनिगम ने जमीनों का खसरा उपलब्ध कराते हुए भूमियों की रजिस्ट्री आदि नगर निगम की अनुमति के बिना न करने कहा था।
यह मामला भी आ चुका है सामने
ेकलेक्ट्रेट के सामने इंटकवेल के समीप भी नगर निगम की जमीन अधिकारियों से सांठगांठ कर बेचने का खेल हो चुका है। कुछ साल पहले नगर निगम ने उस जमीन को सुरक्षित कराते हुए नगर निगम की भूमि होने का बोर्ड लगाया था, लेकिन एक साल पहले इसमें बकायदा कब्जा हो गया है। अब नगर निगम के अधिकारी व जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे हुए है।
इनका कहना
योजनाओं के तहत अधिग्रहित जमीनों के विक्रय की जानकारी सामने आई है। योजना क्रमांक 14 में अधिग्रहित जमीन का विक्रय होने की जांच कराई जाएगी। जल्द ही इस संबंध में टीम गठित करेंगे और नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।
शिशिर गेमावत, प्रभारी आयुक्त, नगरनिगम।