CG News: कोंडागांव के कृषि विज्ञान केंद्र बोरगांव में मिलेट आपूर्ति श्रृंखला पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित, उत्पादन से विपणन तक व्यावहारिक समाधान पर चर्चा।
CG News: कृषि विज्ञान केंद्र, कोंडागांव (बोरगांव) में ‘‘खेत से बाजार तक: छत्तीसगढ़ में मिलेट आपूर्ति श्रृंखला’’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में जिले के विभिन्न किसान, कृषि वैज्ञानिक और विशेषज्ञ शामिल हुए। मुख्य उद्देश्य मिलेट (लघुधान्य फसल) के उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और विपणन से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा कर व्यावहारिक समाधान तलाशना रहा।
डॉ. प्रिया सिन्हा ने मिलेट को पोषण और पर्यावरण दोनों दृष्टियों से लाभकारी बताया। उन्होंने कहा कि यह फसल न केवल पोषक तत्वों से भरपूर है, बल्कि कम पानी में भी अच्छी उपज देती है, जिससे सतत कृषि और पर्यावरण संरक्षण को बल मिलता है। उन्होंने पोस्ट-हार्वेस्ट प्रबंधन, भंडारण और लॉजिस्टिक सुधार पर भी अपने विचार रखे। कार्यशाला के अंत में विशेषज्ञों ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन किसानों को नई तकनीकों, विपणन रणनीतियों और सरकारी योजनाओं से जोड़ने सहायक होगा।
उद्घाटन सत्र में विशेषज्ञों ने मिलेट को केवल पारंपरिक फसल नहीं, बल्कि एक व्यावसायिक वैल्यू चेन कमोडिटी के रूप में विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. सुरेश कुमार मरकाम ने स्वागत भाषण में कहा कि ‘‘मिलेट मिशन के तहत किसानों की आय बढ़ाने और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ‘खेत से बाजार तक’ की अवधारणा अत्यंत महत्वपूर्ण है।’’
प्रो. डॉ. मनीष कुमार पांडे ने मिलेट की उच्च उत्पादक किस्मों और आधुनिक तकनीकों की जानकारी दी। उन्होंने प्रसंस्करण को व्यावसायिक स्तर तक विस्तार देने की आवश्यकता बताई। डॉ. भूपेंद्र ठाकुर ने कहा कि जब तक मिलेट को ‘वैल्यू चेन कमोडिटी’ के रूप में नहीं अपनाया जाएगा, तब तक किसानों को इसका वास्तविक लाभ नहीं मिल सकेगा।
CG News: कार्यशाला के तकनीकी सत्र में विशेषज्ञों ने मिलेट उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए आधुनिक प्रसंस्करण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग तकनीकों के उपयोग पर बल दिया। डॉ. हितेश कुमार मिश्रा ने कहा कि यदि किसानों को तकनीकी सहायता और मजबूत बाजार संपर्क मिल जाए, तो मिलेट उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई जा सकती है।
सुश्री आरती वानकर ने मिलेट परियोजना की प्रगति, बाजार संपर्क और मूल्य श्रृंखला को सुदृढ़ करने पर अपने विचार साझा किए। डॉ. अंजली यादव ने महिला स्व-सहायता समूहों की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने से मिलेट आधारित उद्योगों का विस्तार संभव है।