CG News: कोरबा जिले के नगर निगम की ओर से समय के साथ कई आवासीय कालोनियां बनाई गई है। निगम ने जिस जमीन पर उक्त मकानों को बनाया है वह नजूल की जमीन है जिसे निगम ने लंबी अवधि के लिए लीज पर लिया और मकान बनाकर लोगों को बेचा।
CG News: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के नगर निगम की ओर से समय के साथ कई आवासीय कालोनियां बनाई गई है। ये आवासीय कालोनियां महाराणा प्रताप नगर, रविशंकर नगर, शिवाजी नगर, राजेंद्र प्रसाद नगर एवं साडा कालोनी के नाम से जानी जाती है। निगम ने जिस जमीन पर उक्त मकानों को बनाया है वह नजूल की जमीन है जिसे निगम ने लंबी अवधि के लिए लीज पर लिया और मकान बनाकर लोगों को बेचा।
पूर्व की सरकार में जब लीज की जमीन को फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया आई तब कई लोगों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई। नगर निगम से मकान खरीदने के बाद इसकी रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी की। नामांतरण के लिए जब राजस्व विभाग में आवेदन लगाया तब पता चला कि उक्त जमीन नगर निगम के नाम पर नहीं है, इस कारण इनका नामांतरण नहीं हो सकता। साथ ही तत्कालीन तहसीलदार ने जमीन की रजिस्ट्री और नामांतरण पर भी रोक लगा दी। इसके बाद इसे लेकर लोगों ने नाराजगी जताई तब प्रदेश सरकार ने हस्तक्षेप किया तब इसका समाधान हुआ।
रजिस्ट्री और नामांतरण की प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन अभी भी नगर निगम ने कई आवासीय कालोनियों के लिए भू-भाटक जमा नहीं किया था। इसे लेकर समस्या खड़ी हो गई थी। अब निगम प्रशासन भू-भाटक जमा करने को लेकर हरकत में आया है और वर्षों से बकाया भू-भाटक को जमा करने में लग गया है। अभी तक 50 से 60 लाख रुपए नजूल विभाग को जमा किए जा चुके हैं। नगर निगम से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि आने वाले कुछ माह में शेष भू-भाटक की राशि भी नजूल को जमा कर दी जाएगी। इससे एक तरफ जहां नजूल के जरिए सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी वहीं इस जमीन पर नगर निगम का दावा भी और मजबूत हो जाएगा।
अविभाजित मध्यप्रदेश के समय सन् 1973 में 11 गांवों को मिलाकर कोरबा में साडा का गठन किया गया था। तब कोरबा के विकास को लेकर साडा के कार्यकाल में कई ठोस योजनाएं बनी थीं। इसी के तहत नगर निगम ने अलग-अलग क्षेत्रों में 250 एकड़ जमीन आवासीय प्रयोजन के लिए नजूल विभाग से प्राप्त किया था। इसके तहत एमपी नगर, नेहरू नगर, साडा कालोनी, शिवाजी नगर, आरपी नगर सहित अन्य क्षेत्रों में मकानों का निर्माण कराया गया था। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सरकार ने सरकार ने लीज पर ली गई जमीन और मकान को फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई, तब इस योजना का लाभ कई लोगों ने उठाया। नगर निगम के पास अपने मकान को फ्री होल्ड कराने के लिए राशि जमा किया।
इसकी रजिस्ट्री भी करवाई। इसमें नगर निगम की ओर से संबंधित शाखा के अधिकारी शामिल हुए। जब लोगों ने रजिस्ट्री के बाद नामांतरण की प्रक्रिया के लिए तहसील कार्यालय में फाइल आगे बढ़ाई तो इस पर विवाद शुरू हुआ। तहसीलदार ने यह कहकर जमीन का नामांतरण करने से मना किया कि उक्त जमीन रिकार्ड में नजूल के नाम पर दर्ज है जो नगर निगम को लीज पर दी गई है और नामांतरण की प्रक्रिया रूक गई। तब से यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ गया। हालांकि अब फ्री होल्ड की प्रक्रिया पर सरकार ने रोक लगा दी है। अब नगर निगम नजूल की जमीन का भू-भाटक जमा करने में लगा हुआ है।
नगर निगम लीज पर लिए गए जमीन के भू-भाटक को जमा करने की प्रक्रिया में लग गया है। अभी तक लगभग 50 से 60 लाख रुपए का भुगतान कर चुका है। आने वाले कुछ माह में निगम और भुगतान करेगा। इस प्रक्रिया के पूरी होने के बाद नगर निगम के नाम पर नजूल की जमीन आज जाएगी। इससे निगम को उन मकानों को अन्य कार्य करने में मदद मिलेगी जिन्हें निगम ने लोगों को बेचा है। पूर्व में एमआईसी में देने के लिए प्रस्ताव पारित किया था।