Coal Production: एसईसीएल की खदानों में कोयला उत्पादन तेज हो गया है। हर दिन 5 लाख टन से अधिक उत्खनन किया जा रहा है। गेवरा, कुसमुंडा और दीपका मेगा प्रोजेक्ट्स उत्पादन में आगे हैं।
Coal Production: एसईसीएल में तय लक्ष्य के अनुसार कोयला उत्पादन के लिए प्रबंधन ने जोर लगाना शुरू कर दिया है। कंपनी के कोयला खदानों में पखवाडे भर पहले तक जहां साढे तीन लाख से चार लाख टन तक कोयला उत्खनन हो रहा था, वहीं अब कंपनी के खदानों से हर दिन पांच लाख टन से ज्यादा कोयले का उत्खनन हो रहा है, आने वाले दिनों उत्पादन में और तेजी आएगी, ताकि समय पर लक्ष्य तक पहुंचा जा सके।
इधर कोयला उत्पादन के टारगेट तक तक पहुंचने के लिए एसईसीएल के जिले में स्थित मेगा परियोजनाओं से भी कोयला उत्पादन की में तेजी आ गई है। मेगा प्रोजेक्ट गेवरा में अब हर दिन 1 लाख 50 हजार टन कोयला उत्खनन किया जा रहा हैं। मेगा प्रोजेक्ट कुसमुंडा में भी अब उत्पादन तेज हुआ है, यहां हर दिन अब एक लाख टन से ज्यादा कोयला उत्पादन किया जा रहा है।
इसी तरह मेगा प्रोजेक्ट दीपका में भी कोयला उत्खनन एक लाख टन से अधिक है। जिले की मेगा परियोजनाओं और अन्य खदानों के चलते एसईसीएल में अब हर दिन पांच लाख टन से अधिक कोयला उत्पादन हो रहा है। बारिश की वजह से जिले की सभी खदानों में उत्पादन पर खासा असर पड़ा था। इसके कारण खदानों में उत्पादन पिछड़ गया। लेकिन अब इसे मेंटेन करने की कोशिश हो रही है। मेगा परियोजनाओं से सहित एसईसीएल के दूसरे खदानों में भी आने वाले दिनों में कोयला उत्पादन में तेजी देखने को मिलेगा।
Coal Production: एसईसीएल के सीएमडी ने एक दिन पहले ही कुसमुंडा व गेवरा खदान का दौरा कर अफसरों को टारगेट के अनुसार कोयला उत्पादन के लिए निदेश्र दिया है। सीएमडी हरीश दुहन ने खदानों के लगभग सभी पैच का निरीक्षण कर कोयला उत्पादन बढाने के लिए सुरक्षित ढंग से मशीनों के उपयोग व टीम भावना से कार्य करने कहा है और उत्पादन कार्य की समीक्षा की है। सीएमडी के दौरे से पहले निदेशक तकनीकी ने भी दौरा कर उत्पादन को लेकर अफसरों को निर्देश दिया है।
कोरबा जिले में स्थित एसईसीएल की खदानों से अब तक 65 मिलियन टन से अधिक कोयले का उत्पादन हुआ है। इसमें मेगा प्रोजेक्ट गेवरा से अभी तक 26.87 मिलियन टन कोयला उत्पादन हुआ है। मेगा प्रोजेक्ट दीपका से 21.06 मिलियन टन और मेगा प्रोजेक्ट कुसमुंडा से 13.64 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ है। इसी तरह कोरबा क्षेत्र की खदानों से अब तक 4.15 मिलियन टन कोयले का उत्खनन किया गया है।
एसईसीएल को इस वित्तीय वर्ष में 212 मिलियन टन का टारगेट है। इसी तरह कोल इंडिया की सहायक कंपनी एमसीएल भी 200 मिलियन टन से अधिक के टारगेट पर काम कर रही है। एमसीएल को सबसे ज्यादा 239 मिलियन टन का वार्षिक लक्ष्य दिया गया है। इसके मुकाबले खदान में अब तक 124 मिलियन टन कोयला उत्खनन हो चुका है। एमसीएल की खदानों से वर्तमान में हर दिन सात लाख टन तक से अधिक कोयला उत्खनन हो रहा है। जबकि कोल इंडिया की तीसरी सबसे बडी कोल कंपनी एनसीएल में वार्षिक लक्ष्य 140 मिलियन टन के मुकाबले 88 मिलियन टन कोयला उत्खनन हुआ है।
एसईसीएल में तय लक्ष्य के अनुसार कोयला उत्पादन के लिए प्रबंधन ने जोर लगाना शुरू कर दिया है। कंपनी के कोयला खदानों में पखवाडे भर पहले तक जहां साढे तीन लाख से चार लाख टन तक कोयला उत्खनन हो रहा था, वहीं अब कंपनी के खदानों से हर दिन पांच लाख टन से ज्यादा कोयले का उत्खनन हो रहा है, आने वाले दिनों उत्पादन में और तेजी आएगी, ताकि समय पर लक्ष्य तक पहुंचा जा सके।
Coal Production: इधर कोयला उत्पादन के टारगेट तक तक पहुंचने के लिए एसईसीएल के जिले में स्थित मेगा परियोजनाओं से भी कोयला उत्पादन की में तेजी आ गई है। मेगा प्रोजेक्ट गेवरा में अब हर दिन 1 लाख 50 हजार टन कोयला उत्खनन किया जा रहा हैं। मेगा प्रोजेक्ट कुसमुंडा में भी अब उत्पादन तेज हुआ है, यहां हर दिन अब एक लाख टन से ज्यादा कोयला उत्पादन किया जा रहा है। इसी तरह मेगा प्रोजेक्ट दीपका में भी कोयला उत्खनन एक लाख टन से अधिक है।
जिले की मेगा परियोजनाओं और अन्य खदानों के चलते एसईसीएल में अब हर दिन पांच लाख टन से अधिक कोयला उत्पादन हो रहा है। बारिश की वजह से जिले की सभी खदानों में उत्पादन पर खासा असर पड़ा था। इसके कारण खदानों में उत्पादन पिछड़ गया। लेकिन अब इसे मेंटेन करने की कोशिश हो रही है। मेगा परियोजनाओं से सहित एसईसीएल के दूसरे खदानों में भी आने वाले दिनों में कोयला उत्पादन में तेजी देखने को मिलेगा।