Kusmunda mine blasting: ग्रामीणों ने फसलों और बोर-कुओं के नुकसान से नाराज होकर महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव किया और मेन गेट पर ताला जड़ दिया।
Kusmunda mine blasting: एसईसीएल कुसमुंडा खदान में ब्लास्टिंग की वजह से पास के गांव में मकानों, बोर, कुआं और फसलों को होने वाले नुकसान से नाराज ग्राम बाता के ग्रामीणों ने शुक्रवार को एसईसीएल कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव कर दिया। ग्रामीणों ने महाप्रबंधक कार्यालय के दोनों मेन गेट बंद कर दिया और प्रदर्शन करने लगे। इस आंदोलन के कारण दफ्तर में आवाज आई लगभग पूरी तरह से बाधित रही। सुबह 7 बजे से शुरू हुआ आंदोलन दोपहर तीन बजे तक जारी रहा।
खदान प्रभावित भूविस्थापित और आसपास गावों के लोगों के बार-बार विरोध प्रदर्शन की वजह से एसईसीएल प्रबंधन की मुश्किलें कम नहीं हो रही है। शुक्रवार को कुसमुंडा खदान के पास के गांव बाता के लोग अपनी समस्या और मांगों को लेकर आंदोलन एक दिवसीय आंदोलन के ऐलान के तहत कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय पहुंच गए। सुबह करीब सात बजे से ग्रामीणों ने महाप्रबंधक कार्यालय के दोनों में गेट पर ताला जड़ दिया। इसके बाद गेट के सामने ही प्रदर्शन शुरू कर दिया। ग्राम बाता के लोगों का कहना है कि कुसमुंडा खदान से लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर उनका गांव है।
खदान में होने वाले हैवी ब्लास्टिंग की वजह से उनके मकानों को नुकसान पहुंच रहा है। मकान में दरारें पड़ गई है। गांव में लोगों के घर लगे बोर धंस चुकें हैं और कुआं को भी नुकसान पहुंचा है। इसकी वजह से ग्रामीणों को बड़ी परेशानी का संभावना करना पड़ रहा है। ग्राम पंचायत बात के सरपंच प्रतिनिधि कृष्ण कुमार ने कहा कि कुसमुंडा खदान में होने वाले हैवी ब्लास्टिंग की वजह से न केवल मकान और बोर को नुकसान पहुंच रहा है बल्कि इससे उड़ने वाले डस्ट की वजह से फसलों को भी नुकसान पहुंच रहा है।
प्रबंधन के समक्ष जब समस्या रखी जाती है तो कहा जाता है कि उनका ग्राम खदान प्रभावित क्षेत्र में नहीं आता है,जबकि खदान में हो रहे ब्लास्टिंग की वजह से उनके गांव में लगातार नुकसान हो रहा है इस पर रोक भी नहीं लग रही है। इसको लेकर पूरे ग्राम वासियों में नाराजगी है। इसलिए महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव और तालाबंदी करना पड़ा है।
Kusmunda mine blasting: सुबह से दोपहर तक लगभग 8 घंटे महाप्रबंधक कार्यालय के सामने ग्रामीणों का प्रदर्शन चला। गेट पर तालाबंदी की वजह से प्रबंधन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। इधर आंदोलन की सूचना पर दीपिका तहसीलदार भी मौके पर पहुंच गए थे। ग्रामीणों की नाराजगी को देखते हुए प्रबंधन की ओर से ग्रामीणों की समस्याओं के निराकरण और मांगों को लेकर आगामी मंगलवार को वार्ता का आश्वासन दिया। इसके बाद ग्रामीणों ने आंदोलन खत्म कर दिया।
हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रबंधन उनकी मांगों और समस्याओं के निराकरण के लिए सकारात्मक पहल नहीं करता है तो वह आगे बड़े आंदोलन के लिए बाध्य हो जाएंगे। ग्राम बाता निवासी आदर्श कुमार बघेल ने बताया कि कुसमुंडा खदान में नियोजित आउटसोर्सिंग कंपनियों में गांव के बेरोजगार युवाओं को रोजगार नहीं दिया जा रहा है।
Kusmunda mine blasting: कंपनी में बाहर के लोगों से काम लिया जा रहा है। जबकि स्थानीय बेरोजगार युवाओं को आउटसोर्सिंग कंपनियों में रोजगार देने पर प्राथमिकता होनी चाहिए। आउटसोर्सिंग कंपनियों में स्थानीय लोगों को रोजगार के संबंध में जानकारी मांगने पर भी कंपनी व प्रबंधन की ओर से नहीं दिया जाता। कृष्ण कुमार ने कहा कि खदान की वजह से बाता व आसपास गांव के अन्य लोग प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हैं, इसके बाद भी प्रबंधन जिम्मेदारी से बच रहा है। जिसको लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है। उन्होंने कहा कि आउटसोर्सिंग कंपनियों में रोजगार दिलाने के लिए दलाल सक्रिय हैं, प्रबंधन की मिली भगत के बिना यह संभव नहीं है।