CG News: कोरबा शहर और उपनगरीय इलाकों में आवारा श्वानों (कुत्तों) ने लोगाें की परेशानी बढ़ा दी है। चौक- चौराहों पर आवारा श्वानों का जमावड़ा लगा रहता है।
CG News: छत्तीसगढ़ के कोरबा शहर और उपनगरीय इलाकों में आवारा श्वानों (कुत्तों) ने लोगाें की परेशानी बढ़ा दी है। चौक- चौराहों पर आवारा श्वानों का जमावड़ा लगा रहता है। कई बार श्वान रास्ते चलते लोगाें को दौड़ाकर काट लेते हैं। हाल के दिनों में श्वानों के हमले में कई बच्चे भी घायल हुए हैं। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक आवारा में आवारा कुत्ते लोगों की परेशानी का कारण बने हुए हैं।
इस समस्या से निपटने के लिए कोरबा नगर निगम ने श्वानों के बधियाकरण की योजना बनाई है। इसपर नगर निगम में काम शुरू हुआ। करीब एक हजार कुत्तों को बधियाकरण करने के लिए निगम ने टेंडर जारी किया। टेंडर खोलकर निगम निगम ने श्वानों के बधियाकरण के लिए एजेंसी तय कर दिया। इसके पहले की एजेंसी को निगम की ओर से कार्यादेश जारी किया जाता, जिस ठेका कंपनी को काम नहीं मिला उसने पेंच फंसा दिया।
जिस एजेंसी को काम मिला उसके कागज की जांच के लिए पशु चिकित्सा विभाग को पत्र लिख दिया। इस पत्र में दावा किया गया है कि जिस एजेंसी ने निगम निगम में बधियाकरण का काम लिया उसके द्वारा टेंडर डॉक्यूमेंट में लगाए गए दस्तावेज सही नहीं हैं। इसका असर यह हुआ है कि नगर निगम ने श्वानों की बधियाकरण के जिल जिस एजेंसी के काम को तय किया है, उसका कार्यादेश जारी कर रही है। श्वानों के बधियाकरण को लेकर पेंच फंस गया है। कोरबा जिले में श्वानों की आबादी कितनी है? यह स्पष्ट नहीं है। पशु गणना के आकड़ों में भी श्वानों की संया को लेकर स्पष्ट जानकारी साझा नहीं की गई है।
श्वानों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए हाल ही सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक महत्वपूर्ण फैसला आया है। इसमें नसबंदी और टीके लगाकर ही आवारा कुत्तों को सड़क पर छोड़ने कहा है। हालांकि इस संबंधित आदेश निगम निगम तक पहुंचने में थोड़ा समय लग सकता है।
चयनित एजेंसी के काम पर आपत्ति दर्ज किए जाने के बाद कोरबा में श्वानों के बधियाकरण का काम कब तक शुरू होगा? यह कह पाना नगर निगम के लिए मुश्किल हो गया है। निगम के अधिकारी मान रहे हैं कि इस आपत्ति के बाद बधियाकरण काम जल्द शुरू नहीं हो सकेगा।