कोटा

Kota: सरकारी आवास पर अफीम लाइसेंस और मुखिया नियुक्ति के नाम पर ले रहे थे भारी रिश्वत, अब कोर्ट ने सुनाई ये सजा

सरकारी वकील जया गौतम ने बताया कि यह मामला अफीम के पट्टे जारी करने और ग्राम मुखिया की नियुक्ति के एवज में रिश्वत मांगने से जुड़ा है।

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Jul 29, 2025
सहीराम मीणा (फोटो: पत्रिका)

ACB कोर्ट कोटा ने भ्रष्टाचार के एक सात साल पुराने मामले में फैसला सुनाते हुए केंद्रीय नारकोटिक्स विभाग (सीबीएन) के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर सहीराम मीणा (आईआरएस) और दलाल कमलेश धाकड़ को रिश्वत लेने के मामले में दोषी करार दिया।

न्यायाधीश अश्वनी शर्मा ने दोनों को 3-3 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही सहीराम मीणा पर 50 हजार और कमलेश धाकड़ पर 30 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।

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सरकारी वकील जया गौतम ने बताया कि यह मामला अफीम के पट्टे जारी करने और ग्राम मुखिया की नियुक्ति के एवज में रिश्वत मांगने से जुड़ा है। आरोपी सहीराम मीणा दलाल कमलेश धाकड़ के जरिए अफीम लाइसेंस धारकों से अवैध रूप से धन वसूली करता था।

2019 में हुए था ट्रेप

26 जनवरी 2019 को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को सूचना मिली कि कोटा नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी अफीम लाइसेंस और मुखिया नियुक्ति के नाम पर भारी रिश्वत ले रहे हैं। जांच में सामने आया कि दलाल कमलेश धाकड़ ने अपने पिता नंदलाल को ग्राम मुखिया बनवाने के लिए डिप्टी कमिश्नर सहीराम मीणा को 1 लाख रुपये की रिश्वत देने की बात स्वीकार की।

एसीबी ने कमलेश का मोबाइल सर्विलांस पर लिया और योजना के तहत ट्रेप कार्रवाई की गई। 26 जनवरी की सुबह जैसे ही कमलेश 1 लाख रुपए की रिश्वत लेकर सहीराम मीणा के कोटा स्थित सरकारी आवास पर पहुंचा, एसीबी टीम ने दोनों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।

जांच पूरी होने के बाद एसीबी ने कोर्ट में चालान पेश किया और 28 गवाहों के बयान दर्ज कराए। सभी तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने दोनों आरोपियों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई।

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Updated on:
29 Jul 2025 09:33 am
Published on:
29 Jul 2025 09:32 am
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