कोटा

राजस्थान के 8th क्लास के बच्चों ने 1500 रुपए में बना दी डिजिटल राइफल, बिना खर्च के वर्चुअली बता देगी कितना सटीक है निशाना

Kota Student Unique Innovation: 8वीं क्लास के छात्रों ने सिर्फ 1500 रुपए में डिजिटल राइफल तैयार कर सबको चौंका दिया। यह कम खर्च वाली वर्चुअल राइफल सेना के प्रशिक्षण में होने वाले भारी खर्चे को बचा सकती है।

2 min read
Nov 21, 2025

Real Life Inspirational Story: ‘कौन कहता है कि आसमान में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो दिल से उछालो यारों…’ ये पक्तियां कोटा के आर्मी पब्लिक स्कूल के कक्षा आठवीं के छात्र नीटू कुमार और ओम साहू पर बिल्कुल सटीक बैठती है।

दोनों छात्रों ने अभिनव प्रयोग करते हुए वर्चुअल राइफल बनाई है। महज 1500 रुपए में तैयार की गई यह वर्चुअल राइफल से बिना खर्च के इनडोर व आउटडोर अभ्यास किया जा सकता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि वर्चुअल राइफल से हथियार चलाने से होना वाला प्रदूषण भी नहीं होता।

ये भी पढ़ें

बड़ी खबर: अमायरा सुसाइड केस की जांच में CBSE ने नीरजा मोदी स्कूल को दोषी पाया, क्या रद्द होगी मान्यता?

नीटू और ओम ने बताया कि शूटिंग के लिए राइफल करीब 5 लाख रुपए की आती है। अभ्यास में राइफल की गोलियों पर भी काफी खर्च होता है। शूटिंग रेंज की फीस भी काफी होती है। ऐसे में गरीब व मध्यमवर्गीय लोग शूटिंग के महंगे खेल को अफोर्ड नहीं कर पाते। ऐसे में वर्चुअल राइफल से बिना खर्च के सटीक निशाना लगाया जा सकेगा।

सेना के जवानों के लिए भी यह राइफल प्रैक्टिस के दौरान होने वाले भारी खर्च को बचा सकती है। राइफल को स्टेबिलिटी और एक्यूरेसी परफेक्ट है।

महंगे खर्च से बचने के लिए बना डाली

राइफल बनाने वाले स्टूडेंट ओम साहू एक शूटिंग अकादमी में प्रशिक्षण ले रहा था, जहां प्रशिक्षण पर 4 हजार रुपए मासिक खर्च हो रहे थे। 4 लाख से अधिक कीमत की शूटिंग राइफल खरीदना भी उनके लिए मुश्किल था। ऐसे में इस खर्च से बचने के लिए उन्हें यह आइडिया आया और उन्होंने नीटू कुमार के सहयोग से राइफल तैयार की।

स्कूल की गाइड टीचर राजकुमारी राठौड़, प्रिसिंपल प्रीति मनेरिया ने इसके लिए स्कूल की ओर से साधन उपलब्ध करवाए। पॉलिटेक्निक कॉलेज लेक्चरर डॉ.डीके जैन और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.आनंद अग्रवाल और पर्यावरणविद नरेन्द्र हाड़ा मौजूद रहे।

ऐसे काम करती है वर्चुअल राइफल

वर्चुअल राइफल में एआरडीनो नैनो माइक्रो कंट्रोलर, ब्रेड सर्किट बोर्ड, -जम्फर वायर, एमपीयू 6050 मोशन सेंसर और ट्रिगर की जगह जॉयस्टिक, वजन के लिए ईंट और प्लास्टिक के पाइप व टेलीस्कोप लगाई गई है। राइफल चिप के जरिए कम्प्यूटर से कनेक्ट हो जाती है।

इसके लिए डिजाइन किए गए पायथन सॉफ्टवेयर में टारगेट नजर आता है। सॉफ्टवेयर में कनेक्ट होने के बाद वर्चुअली ट्रिगर की जगह लगी जॉयस्टिक से टारगेट पर निशाना लगने का स्थान कम्प्यूटर पर रेड डॉट के रूप में नजर आता है। इसके साथ ही सॉफ्टवेयर निशाना लगाने के अंक भी दे सकता है। राइफल से अलग-अलग दूरी और मोड में निशाना लगाया जा सकता है।

पश्चिम भारत विज्ञान मेले में लेंगे भाग

वर्चुअल राइफल राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में चार मॉडल और तीन टीचिंग एड में शुमार किया गया। मॉडल 10 से 13 दिसंबर तक मुंबई स्थित नेहरू विज्ञान केंद्र में होने वाले पश्चिम भारत विज्ञान मेले में राजस्थान की ओर से भाग लेंगे। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सहायक निदेशक राजेन्द्र सिंह ने कहा कि दोनों स्टूडेंट ने शानदार वर्चुअली राइफल बनाई है। मुंबई में आयोजित होने वाले पश्चिम भारत विज्ञान मेले में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करेंगे।

ये भी पढ़ें

Ajmer: 5वीं क्लास की बच्ची ने किया सुसाइड, 12 साल की उम्र में उठाया खौफनाक कदम, अर्द्धवार्षिक परीक्षा देकर लौटी थी घर

Updated on:
21 Nov 2025 02:43 pm
Published on:
21 Nov 2025 02:42 pm
Also Read
View All

अगली खबर