Kota News: मृतका के पति बाबा राम लाल का कहना है कि एक सप्ताह से हम अस्पताल परिसर के अंदर फुटपाथ पर पड़े हुए थे लेकिन दो बार पर्ची कटवाने के बाद भी मेरी पत्नी का उपचार नहीं हो पाया और उसने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।
Patient Died Agony In MBS Hospital Kota: कोटा के एमबीएस अस्पताल में मंगलवार को मानवीय संवेदनाएं तार-तार हो गईं। बूंदी जिले के झोपड़ियां गांव निवासी शांति बाई (59) को 2 दिन पहले गंभीर पेट दर्द की शिकायत पर उसका पति अस्पताल लेकर आया था।
मृतका के पति बाबा राम लाल का कहना है कि एक सप्ताह से हम अस्पताल परिसर के अंदर फुटपाथ पर पड़े हुए थे लेकिन दो बार पर्ची कटवाने के बाद भी मेरी पत्नी का उपचार नहीं हो पाया और उसने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।
रामलाल स्वयं लकवा ग्रस्त हैं। उनका कहना है कि पत्नी की हालत खराब थी इसलिए भर्ती कराने की कोशिश की लेकिन स्टाफ ने सहयोग नहीं किया। मजबूरी में वे निराश होकर नई ओपीडी के पास परिसर में बाहर बैठ गए और शांति बाई ने वहीं दम तोड़ दिया।
अस्पताल में आने वाले किसी भी लावारिस के इलाज की जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन की होती है लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उसके उपचार की व्यवस्था नहीं की। घटना के बाद शव को गांव ले जाने की कोई व्यवस्था नहीं थी। इधर अस्पताल प्रशासन ने मामले में लापरवाही से इनकार किया है। मामला चाहे जो भी रहा हो लेकिन उपचार के अभाव में अस्पताल के गेट पर ही एक महिला की मौत होना स्वास्थ्य सेवाओं की संवेदनहीनता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
एक बुजुर्ग दो दिन पहले अपनी पत्नी को लेकर अस्पताल आया था। मैंने खुद पत्नी को भर्ती करवाने के लिए कहा था। मेरे साथ पुलिसकर्मी भी थे। उसकी पर्ची भी बनाई गई थी लेकिन पति ने कहा कि मुझे अस्पताल से कोई लेना-देना नहीं है और पत्नी को भर्ती नहीं कराया। इसके अलावा एक लावारिस और था। वह भी भर्ती नहीं हो रहा था। उसे जबरदस्ती भर्ती किया। लापरवाही जैसी कोई बात नहीं है।
डॉ. धर्मराज मीणा, अधीक्षक, एमबीएस अस्पताल
एमबीएस अस्पताल के बाहर लावारिस हालत में शव पड़े होने की जानकारी पर ह्यूमन हेल्प लाइन के अध्यक्ष मनोज जैन आदिनाथ ने मौके पर पहुंचकर परिजनों की सहायता कर शांति देवी के शव को एबुलेंस से बूंदी जिले के गंडोली के पास स्थित झोपड़िया गांव भेजा गया।