लखीमपुर खेरी

CM योगी का बड़ा ऐलान; मुस्तफाबाद का नाम बदलने की घोषणा, वजह भी बताई

Mustafabad Renamed: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुस्तफाबाद का नाम बदलने की घोषणा कर दी है। जानिए अब ये किस नाम से जाना जाएगा।

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CM योगी आदित्यनाथ। फोटो सोर्स- फेसबुक

Mustafabad Renamed: उत्तर प्रदेश के CM योगी आदित्यनाथ सोमवार को लखीमपुर खीरी के मुस्तफाबाद स्थित विश्व कल्याण आश्रम पहुंचे। यहां उन्होंने ‘स्मृति प्राकट्योत्सव मेला-2025’ में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने पूज्य संतों को नमन किया।

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मुस्तफाबाद का नाम बदलने की घोषणा

CM योगी ने इस दौरान कहा कि डबल इंजन की सरकार में प्रदेश के धार्मिक स्थलों का पुनरुद्धार और सौंदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले यही पैसा कब्रिस्तान की बाउंड्री बनाने में लगता था। इस दौरान CM योगी ने मुस्तफाबाद का नाम बदलकर कबीरधाम रखने की घोषणा की।

'संत कबीरदास जी की वाणी समाज का मार्गदर्शन कर रही'

CM योगी ने कहा कि पिछली सरकारों में अयोध्या को फैजाबाद, प्रयागराज को इलाहाबाद और कबीरधाम को मुस्तफाबाद बनाया गया था। इन स्थलों की पहचान वापस लौटाने का कार्य हमने किया है। उन्होंने कहा कि संत कबीरदास जी की वाणी आज भी समाज का मार्गदर्शन कर रही है।

'देश की एकता को तोड़ने वाली शक्तियों से सावधान रहने की जरूरत'

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि 'गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागूं पांव…' यह दोहा आज भी हमें गुरु के महत्व का स्मरण कराता है। संतों की वाणी आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी सैकड़ों वर्ष पूर्व थी। उन्होंने कहा कि देश की एकता को तोड़ने वाली शक्तियों से सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रभक्ति ही सभी समस्याओं का समाधान है।

'हर गाय के लिए सरकार 1500 रुपये प्रतिमाह दे रही'

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लखीमपुर खीरी जैसे सीमावर्ती जिलों में भी विकास की नई धारा बह रही है। गांव-गांव सड़कें बन रही हैं, मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो रही है, एयरपोर्ट का विस्तार किया जा रहा है और ईको-टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है। CM योगी ने संत असंगदेव जी महाराज के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि वे धर्म, नशा मुक्ति और राष्ट्र चेतना का अद्भुत कार्य कर रहे हैं। उन्होंने गो सेवा और नेचुरल फार्मिंग पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि हर गाय के लिए सरकार 1500 रुपये प्रतिमाह दे रही है। गोमाता के संरक्षण के लिए जनप्रतिनिधियों को गोशालाओं की देख-रेख करनी चाहिए।

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