Exercises to Improve Blood Circulation : ब्लड सर्कुलेशन बेहतर बनाने और थकान दूर करने के लिए करें ये 5 आसान स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज। हर उम्र के लिए उपयोगी।
Exercises to Improve Blood Circulation : स्ट्रेचिंग कोई जिम एक्सरसाइज नहीं, बल्कि एक जरूरी दिनचर्या है। इसे सुबह उठने के बाद या काम के बीच में कुछ मिनटों के लिए करें। ये सरल अभ्यास न केवल ब्लड सर्कुलेशन को सुधारते हैं, बल्कि तनाव को घटाते हैं, लचीलापन बढ़ाते हैं और शरीर को ऊर्जावान बनाए रखते हैं। ओवर स्ट्रेचिंग से बचें।
Exercises to Improve Blood Circulation : आधुनिक लाइफ स्टाइल में शारीरिक निष्क्रियता और लंबे समय तक बैठना हमारे शरीर के ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करता है। इससे थकान, जोड़ों में जकड़न, उच्च रक्तचाप और अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। नियमित रूप से इन स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज को करने से शरीर की मसल्स में दर्द और जकड़न नहीं रहती। साथ ही ब्लड सर्कुलेशन भी ठीक रहता है।
नी-टू-चेस्ट स्ट्रेच (घुटनों को सीने की ओर खींचना) (Knee-to-Chest Stretch Benefits)- इस स्ट्रेचिंग को करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं और एक-एक करके घुटनों को छाती की ओर खींचें। इससे निचले शरीर में रक्त प्रवाह बेहतर होता है।
कैट-काउ स्ट्रेच (Cat-Cow Stretch for Blood Flow)- इससे गर्दन, पीठ और पेट के आसपास बेहतर ब्लड लो होता है।
हैमस्ट्रिंग स्ट्रेच (जांघों के पीछे का खिंचाव) (Hamstring Stretch for Better Circulation)- खड़े होकर या बैठकर पैर सीधे फैलाएं और हाथों से पैरों को छूने की कोशिश करें। इससे पैरों में ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है।
शोल्डर रोल्स (कंधे घुमाना) (Shoulder Rolls for Neck & Back Pain)- खड़े होकर या बैठकर कंधों को धीरे-धीरे आगे और पीछे घुमाएं। गर्दन, कंधे और ऊपरी पीठ के लिए लाभकारी।
स्पाइनल ट्विस्ट (रीढ़ की मरोड़) (Spinal Twist for Digestion & Circulation)- बैठकर या लेटकर रीढ़ की हल्की मरोड़ करें। इससे डाइजेशन और ब्लड लो दोनों में सुधार होता है।
- ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है।
- तनाव और थकान में कमी आती है।
- जोड़ों और मांसपेशियों में लचीलापन बढ़ने लगता है।
- पीठ व गर्दन के दर्द की समस्या से राहत मिलती है।
- शरीर ऊर्जावान और हल्का महसूस करता है।
- यह मांसपेशियों के असंतुलन को ठीक करने में मदद करता है, जिससे शरीर की मुद्रा सही रहती है।
- नियमित स्ट्रेचिंग से मांसपेशियों और जोड़ों की गतिशीलता बढ़ती है, जिससे चोट लगने की संभावना कम हो जाती है।
चोट लगने पर: अगर आपकी मांसपेशी या जोड़ में हाल ही में कोई चोट लगी है, जैसे मोच, खिंचाव या सूजन है, तो स्ट्रेचिंग करने से चोट और बढ़ सकती है।
तेज दर्द होने पर: अगर स्ट्रेचिंग करते समय आपको किसी भी हिस्से में तेज या अचानक दर्द महसूस हो, तो तुरंत रुक जाना चाहिए। दर्द इस बात का संकेत है कि कुछ सही नहीं है।
जोड़ों की अस्थिरता (Joint Instability): जिन लोगों के जोड़ अस्थिर होते हैं (जैसे, कुछ मेडिकल कंडीशन की वजह से), उन्हें स्ट्रेचिंग करते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।
कुछ चिकित्सीय स्थितियां: कुछ बीमारियां, जैसे ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) या कुछ खास तरह के गठिया (Arthritis), में हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में गलत तरीके से स्ट्रेचिंग करने से फ्रैक्चर का खतरा बढ़ सकता है।
हाल ही में हुई सर्जरी के बाद: अगर आपकी हाल ही में कोई सर्जरी हुई है, तो बिना डॉक्टर की अनुमति के स्ट्रेचिंग बिल्कुल न करें।
स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज की शुरुआत प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें। यदि आपकी बॉडी वॉर्म नहीं है औैर आप सीधे स्ट्रेच करने लगते हैं तो मसल्स में खिंचाव या चोट लग सकती है। अगर आपकी कोई मांसपेशी पहले से चोटिल है तो स्ट्रेचिंग से समस्या बढ़ सकती है। हार्ट के मरीज बैकवर्ड स्ट्रेचिंग से बचें।
अजय सिंह
सेलेब फिटनेस एक्सपर्ट