Black Widow Spider Facts: मकड़ी(ब्लैक विडो) के बारे में एक बात बहुत फेमस है कि वह मेटिंग के तुरंत बाद अपने ही साथी को मार कर खा जाती है। सुनने में यह किसी फिल्म की कहानी जैसा लगता है, लेकिन इसके पीछे नेचर का अपना एक गहरा तर्क छिपा है।
Black Widow Spider Facts: नेचर को अगर हम ध्यान से देखें, तो यह जितनी खूबसूरत है, उतनी ही हैरान कर देने वाली भी है। जानवरों की दुनिया इंसानी भावनाओं से नहीं, बल्कि जरूरतों और मजबूरियों से चलती है। वहां प्यार या वफादारी से ज्यादा सर्वाइवल जरूरी है। ऐसी ही एक दिलचस्प और थोड़ी डरावनी कहानी 'ब्लैक विडो' मकड़ी की है।
ब्लैक विडो मकड़ी दिखने में चमकीले काले रंग की होती है। इसके पेट के नीचे वाले भाग पर लाल रंग का एक निशान होता है, जिसका आकार बिल्कुल किसी 'रेतघड़ी' (Hourglass) जैसा दिखता है। यही निशान इसकी सबसे बड़ी पहचान है। वैसे तो यह मकड़ी दुनिया के कई कोनों में मिलती है, पर अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के इलाकों में ये कुछ ज्यादा ही पाई जाती है।
इस प्रजाति में मेल और फीमेल मकड़ी की साइज में बड़ा फर्क होता है। फीमेल मकड़ी न सिर्फ साइज में बड़ी होती है, बल्कि ताकत में भी आगे रहती है। वही मेल उसके सामने बहुत ही छोटा, हल्का और कमजोर सा नजर आता है। साइज और ताकत का यही बड़ा अंतर अक्सर मेटिंग के समय मेल के लिए जानलेवा साबित हो जाता है।
इनमें कुछ मामलों में फीमेल ब्लैक विडो मेटिंग के बाद मेल को खा जाती है। इस व्यवहार को सेक्शुअल कैनिबालिज्म (sexual cannibalism) कहा जाता है। लेकिन यह भी है कि ये चीज हर बार नहीं होती है। क्योंकि कुछ मेल मेटिंग के बाद फुर्ती से सुरक्षित बच निकलते हैं।
जानकारों की मानें तो उसके पीछे कई वजह हो सकती है। पहली बात तो अंडे देने से पहले फीमेल मकड़ी को ज्यादा एनर्जी और प्रोटीन की जरूरत होती है। दूसरी बात यह मानी जाती है कि पर्याप्त पोषण मिलने से अंडों की संख्या और अंडे भी ज्यादा सेहतमंद होते हैं। मेल ऐसा अपनी प्रजाति को आगे बढ़ाने के लिए करता है, लेकिन इसमें खतरा भी बहुत ज्यादा होता है। वह अपनी तरफ से पूरी सावधानी रखता है, लेकिन कई बार नेचर का फैसला कुछ और ही होता है।
ब्लैक विडो का जहर बहुत खतरनाक होता है। इसके जहर की तुलना सांपों से की जाती है, लेकिन सच तो यह है कि इससे डरने की जरूरत नहीं है। इंसानों में इसके काटने से मौत होने के मामले बहुत कम हैं। वहीं इसके काटने से तेज दर्द, मांसपेशियों में जकड़न और बेचैनी हो सकती है। इसलिए अगर इलाज समय पर मिल जाए तो स्थिति संभाली जा सकती है।