Ganesh Chaturthi 2025 Bhog: शास्त्रों में गणेश जी को ‘मंगलकर्ता’ और ‘विघ्नहर्ता’ कहा गया है, इसलिए उनके भोग का भी विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व माना जाता है। आइए जानते हैं।इन 10 दिनों के दौरान गणपति बप्पा को कौन-कौन से भोग चढ़ाए जाते हैं और उनका क्या महत्व है।
Ganesh Chaturthi 2025 Bhog: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक पूरा देश गणेशोत्सव की भक्ति में डूबा रहता है। यह दिन भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो विघ्नहर्ता और सिद्धिदाता कहे जाते हैं, यानी जो जीवन की बाधाएं दूर करते हैं और सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
धारणा है कि 10 दिनों तक भक्तगण विधिपूर्वक पूजा-पाठ करते हैं और बप्पा को अलग-अलग प्रकार के भोग अर्पित करते हैं। शास्त्रों में गणेश जी को ‘मंगलकर्ता’ और ‘विघ्नहर्ता’ कहा गया है, इसलिए उनके भोग का भी विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व माना जाता है। आइए जानते हैं।इन 10 दिनों के दौरान गणपति बप्पा (Ganesh Chaturthi ) को कौन-कौन से भोग चढ़ाए जाते हैं और उनका क्या महत्व है।
मोदक के बाद यदि कोई भोग गणेश जी को प्रसन्न करता है, तो वह है पंचमेवा। सूखे मेवों का यह मिश्रण न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि धार्मिक मान्यता है कि इसे अर्पित करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं और जीवन से दुख-बाधाएं कम होती हैं।
बेसन, रवा, मखाने और मोतीचूर के लड्डू भी गणपति को बेहद प्रिय हैं। गणेशोत्सव के दौरान जब भक्त इन लड्डुओं का भोग लगाते हैं तो माना जाता है कि वैवाहिक जीवन में सौहार्द और शांति बनी रहती है।
फलों में बप्पा को सबसे अधिक प्रिय है केला। इसके अलावा सेब, संतरा, पपीता और आम भी अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि इससे घर में सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
गणेश जी का नाम सुनते ही सबसे पहले मोदक की छवि मन में उभरती है। कथा के अनुसार जब देवताओं ने माता पार्वती को दिव्य मोदक भेंट किया था, तो उन्होंने वह प्रसाद गणेश जी को दिया। तभी से मोदक बप्पा के प्रियतम भोग बन गए।
गणेश जी को गुड़ भी अत्यंत प्रिय है। गुड़ को शुद्धता और परंपरा का प्रतीक माना गया है। इसे अर्पित करने से जीवन में मधुरता आती है और कठिनाइयां दूर होती हैं।
महाराष्ट्र के घर-घर में चने की दाल, गुड़, इलायची और जायफल से बनी यह मीठी रोटी खास तौर पर गणपति को अर्पित की जाती है। घी से लिपटी पूरन पोली न सिर्फ स्वाद का आनंद देती है, बल्कि यह मान्यता भी है कि इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
गणपति का एक दांत टूटा हुआ है, इसलिए माना जाता है कि मालपुआ उन्हें सहजता से खाया जा सकता है। यही कारण है कि गणेशोत्सव में मालपुए का भोग लगाना शुभ माना जाता है। धार्मिक विश्वास है कि इससे अशुभता और विघ्न दूर होते हैं।
मखाने की खीर भी बप्पा का प्रिय प्रसाद माना जाता है। इसे चढ़ाने से न केवल घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है, बल्कि आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होती है।
यह पौष्टिक और स्वादिष्ट खीर गणेश जी को अर्पित की जाती है। यह भोग घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
दही से बना मीठा श्रीखंड खासकर गर्मियों में ठंडक देने वाला भोग है। इसमें केसर और इलायची का स्वाद बप्पा को बहुत पसंद आता है।
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