Lady Finger Benefits : अगर आप पेट से जुड़ी समस्याओं, बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल या डायबिटीज से परेशान हैं तो भिंडी आपके लिए एक फायदेमंद सब्जी हो सकती है। जानिए किन 3 बीमारियों में भिंडी का सेवन जरूर करना चाहिए और इससे कैसे मिलते हैं सेहत को बड़े फायदे।
Lady Finger Benefits : अगर आप उन लोगों में शामिल हैं जो बार-बार पाचन से जुड़ी समस्याओं, बढ़ते कोलेस्ट्रॉल या ब्लड शुगर की चिंता में रहते हैं तो अब आपको अपनी थाली में भिंडी को जरूर जगह देनी चाहिए। भिंडी में कई ऐसे गुण छिपे हैं जो शरीर को गंभीर बीमारियों से बचा सकते हैं। आयुर्वेद में भी भिंडी को औषधीय गुणों से भरपूर माना गया है।
हाल ही में अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक रिसर्च (2021) में भी भिंडी की महत्ता को वैज्ञानिक रूप से साबित किया गया है। अध्ययन में बताया गया कि भिंडी यानी ओकरा (Okra) की उत्पत्ति इथियोपिया के पास हुई थी और 12वीं सदी में मिस्र में इसकी खेती शुरू हुई।
इसके बाद यह सब्जी मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका होते हुए दुनियाभर में फैल गई। आज यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय इलाकों में बड़े पैमाने पर उगाई जाती है और लोगों की पसंदीदा सब्जियों में से एक है। आइए जानते हैं किन 3 समस्याओं में भिंडी (Lady Finger Benefits) का सेवन करना चाहिए।
भिंडी में फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाती है। जिन लोगों को कब्ज, गैस या एसिडिटी की शिकायत होती है। उनके लिए भिंडी बहुत फायदेमंद है। यह पेट को साफ रखने में मदद करती है और आंतों की सफाई भी करती है। फाइबर की वजह से खाना पचने में आसानी होती है और पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है।
भिंडी के अंदर घुलनशील फाइबर होता है जो शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने में मदद करता है। इससे दिल की बीमारियों का खतरा भी कम होता है। जो लोग नियमित रूप से भिंडी का सेवन करते हैं। उनमें कोलेस्ट्रॉल लेवल बैलेंस रहता है और हार्ट हेल्थ भी बेहतर होती है। इसके अलावा यह शरीर में फैट जमा होने की प्रक्रिया को भी कम करती है।
भिंडी ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में फायदेमंद मानी जाती है। इसमें मौजूद नेचुरल तत्व शरीर में शुगर के अवशोषण को कम करते हैं जिससे अचानक ब्लड शुगर स्पाइक नहीं होता। कई आयुर्वेद विशेषज्ञ भी डायबिटीज के मरीजों को भिंडी का पानी पीने की सलाह देते हैं। यह एक नेचुरल तरीका है जिससे इंसुलिन का स्तर नियंत्रित रहता है।