Nutmeg Health Benefits: मानसून के मौसम में खांसी-जुकाम ने कर रखा है परेशान? तो आजमाएं जायफल से बनी इम्युनिटी बूस्टिंग चाय, जो भीतर से दे मजबूत रक्षा। आइए जानते हैं जायफल के फायदे और इसके सेवन का सही तरीका।
Nutmeg Health Benefits In Monsoon: मानसून का मौसम जहां एक ओर ठंडक, हरियाली और रिमझिम बारिश लेकर आता है, वहीं दूसरी ओर यह सर्दी-जुकाम, गले में खराश, थकान और बार-बार होने वाली वायरल बीमारियों का कारण भी बन जाता है। ऐसे में सिर्फ छाता या रेनकोट नहीं, बल्कि शरीर के अंदरूनी इम्युनिटी कवच से भी खुद को मजबूत बनाना जरूरी है।इम्युनिटी बूस्टिंग डाइट में जहां अदरक, तुलसी और हल्दी का नाम आता है, वहीं एक मसाला अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है वह है जायफल (Nutmeg)।यह छोटा-सा दिखने वाला मसाला बेहद ताकतवर होता है और मानसून में शरीर को संक्रमणों से बचाने के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है।आइए जानते हैं जायफल के फायदे और इसके सेवन का सही तरीका।
जायफल में पाए जाने वाले सक्रिय यौगिक (Compounds) शरीर में बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने की क्षमता को मजबूत करते हैं। यह खासतौर पर गले की खराश, बंद नाक और छींकों को कम करने में मददगार होता है।
जायफल म्यूकस को ढीला करता है और श्वसन तंत्र को साफ करने में सहायता करता है, जिससे खांसी और जुकाम में तुरंत आराम मिलता है।
खांसी और जुकाम से रात में नींद नहीं आ रही? जायफल वाली चाय पीने से शरीर को आराम मिलता है और अच्छी नींद आती है, जिससे रिकवरी जल्दी होती है।
सामग्री
आधा कप पानी
आधा कप दूध (वैकल्पिक)
1/4 चम्मच जायफल पाउडर (ताजा कद्दूकस किया हुआ हो तो बेहतर)
1/2 चम्मच अदरक (कद्दूकस किया हुआ)
3-4 तुलसी की पत्तियां
1 छोटी इलायची
1 चुटकी काली मिर्च
शहद या गुड़ स्वाद अनुसार
एक पैन में पानी और दूध मिलाकर गर्म करें।
उसमें अदरक, तुलसी, इलायची, काली मिर्च और जायफल डालें।
5-7 मिनट तक धीमी आंच पर उबालें ताकि सारे तत्व अच्छी तरह से घुल जाएं।
गैस से उतारकर छान लें और गुनगुना होने पर शहद या गुड़ मिलाएं।
दिन में एक या दो बार सेवन करें – खासकर सुबह खाली पेट या शाम को हल्के नाश्ते के साथ।
-जायफल की मात्रा हमेशा सीमित रखें। ज़्यादा मात्रा में इसका सेवन नुकसानदायक हो सकता है।
-प्रेग्नेंसी, बच्चों या किसी भी गंभीर बीमारी में इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।