Teeth Wearing Down: दांतों की देखभाल उतनी ही जरूरी है जितनी कि शरीर के अन्य अंगों की। थोड़ी-सी सावधानी और कुछ हेल्दी आदतें अपनाकर आप अपने दांतों को ना केवल मजबूत बना सकते हैं, बल्कि समय से पहले उनके घिसने या टूटने से भी बच सकते हैं।
Teeth Wearing Down: चेहरे की मुस्कान तभी आकर्षक लगती है जब उसमें चमकते हुए, सफेद और मजबूत दांत शामिल हों। दांत सिर्फ आपकी पर्सनालिटी का हिस्सा नहीं होते, बल्कि ये आपके संपूर्ण स्वास्थ्य की भी झलक देते हैं। अगर आपके दांत पीले, काले, घिसे हुए या टूटने लगे हैं तो यह आपकी खराब ओरल हाइजीन और जीवनशैली की ओर इशारा करता है। कई बार ऐसा देखा गया है कि कुछ लोगों के दांत उम्र से पहले ही छोटे होने लगते हैं या उनकी सेंसिटिविटी इतनी बढ़ जाती है कि ठंडा या गर्म खाना तक मुश्किल हो जाता है।
इस समस्या की जड़ में आपकी रोजमर्रा की कुछ आदतें और खानपान के तरीके हो सकते हैं, जिनका समय रहते सुधार न किया जाए तो आगे चलकर ये दांतों की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। आइए जानते हैं दांतों के घिसने के मुख्य कारण, इसके पीछे छिपी आदतें और इनसे कैसे बचा जाए।
ज्यादा कैफीन का सेवन
अगर आप दिनभर में कई बार चाय या कॉफी पीते हैं, तो यह आदत आपके दांतों की ऊपरी परत (एनामेल) को कमजोर कर सकती है। ज्यादा कैफीन दांतों का नेचुरल मॉइश्चर खत्म कर देती है, जिससे घिसाव की प्रक्रिया तेज हो जाती है।
तंबाकू और स्मोकिंग की लत
सिगरेट और तंबाकू दांतों की बनावट को न सिर्फ खराब करते हैं, बल्कि इनका रंग भी पीला या काला कर देते हैं। लगातार सेवन से दांत कमजोर होकर जल्दी घिसने या टूटने लगते हैं।
गुस्से या तनाव में दांत पीसना
तनाव में कई लोगों को आदतन दांत भींचने या पीसने की आदत होती है। ये आदत लंबे समय में दांतों की बनावट को नुकसान पहुंचाती है, जिससे वे छोटे और कमजोर हो जाते हैं।
मुंह की सफाई में लापरवाही
अगर ब्रश और कुल्ला करना आपकी दिनचर्या का हिस्सा नहीं है, तो यह दांतों की सेहत के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। इससे दांतों में प्लाक जमता है, जिससे सड़न और घिसाव की समस्या शुरू होती है।
हर भोजन के बाद कुल्ला करें: खाने के तुरंत बाद मुंह की सफाई से दांतों पर जमा होने वाली गंदगी और एसिड हटते हैं।
दिन में दो बार ब्रश करें: खासकर रात को सोने से पहले ब्रश करना न भूलें। इससे बैक्टीरिया से लड़ने में मदद मिलती है।
फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट इस्तेमाल करें: फ्लोराइड दांतों को मजबूत बनाता है और घिसने से बचाता है।
नमक और गर्म पानी से कुल्ला करें: ये उपाय प्राकृतिक एंटीसेप्टिक का काम करता है और मसूड़ों को भी राहत देता है।
सरसों के तेल और नमक से मालिश करें: सप्ताह में दो बार यह घरेलू नुस्खा मसूड़ों को मज़बूती देता है।
नीम की दातून का प्रयोग करें: हफ्ते में 1-2 बार नीम की दातून करने से दांतों से बैक्टीरिया हटते हैं और सफेदी बनी रहती है।
कैफीन की मात्रा नियंत्रित करें: कॉफी और चाय का सेवन सीमित मात्रा में करें ताकि दांतों की नमी बनी रहे।
जॉ एक्सरसाइज अपनाएं: जबड़ों की हल्की एक्सरसाइज से नसों पर तनाव कम होता है और दांतों पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ता।
अगर आप महसूस करते हैं कि दांतों में लगातार दर्द बना रहता है, दांत झड़ने लगे हैं या उनके आकार में कमी आ रही है, साथ ही कैविटी या सेंसिटिविटी की समस्या भी बढ़ती जा रही है, तो यह संकेत हो सकते हैं कि आपके ओरल हेल्थ में कोई गंभीर परेशानी है। ऐसी स्थिति में समय गंवाए बिना किसी प्रोफेशनल डेंटिस्ट से संपर्क करना बेहद ज़रूरी है। यदि इन समस्याओं का समय पर इलाज नहीं किया गया, तो यह आगे चलकर गंभीर ओरल डिजीज का रूप ले सकती हैं, जिससे न केवल दांतों की हालत खराब होगी बल्कि आपकी पूरी सेहत पर भी असर पड़ सकता है।