समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर पार्टी मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार जोरदार हमला बोला। अखिलेश ने कांग्रेस अध्यक्ष की आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग का समर्थन करते हुए कहा, यह बिल्कुल सही है। आरएसएस और बीजेपी देश में नफरत व हिंसा का माहौल पैदा कर रही हैं।
लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर पार्टी मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा सरदार पटेल ने रियासतों को एकजुट कर भारत को एकता के सूत्र में बांधा। उनके इस योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
अखिलेश ने कांग्रेस अध्यक्ष की आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग का समर्थन करते हुए कहा, यह बिल्कुल सही है। आरएसएस और बीजेपी देश में नफरत व हिंसा का माहौल पैदा कर रही हैं। उन्होंने याद दिलाया कि सरदार पटेल ने स्वयं अपने समय में आरएसएस पर बैन लगाया था और देश में अब तक तीन बार इस संगठन पर प्रतिबंध लगा चुका है।
बीजेपी को आरएसएस का असली संगठन' बताते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी वही करती है, जो आरएसएस कहती है। अमेरिकी दबाव में देश का बाजार विदेशी कंपनियों के लिए खोल दिया गया है, जिससे चीन को फायदा पहुंच रहा है।
उत्तर प्रदेश में चल रही जनगणना प्रक्रिया (एसआईआर एक्सरसाइज) का जिक्र करते हुए अखिलेश ने मांग की कि इसमें जातीय जनगणना का एक कॉलम जोड़ा जाए। उन्होंने कहा, जब तक जातीय जनगणना नहीं होगी, तब तक सामाजिक न्याय की सच्ची स्थापना असंभव है। यदि इसे शामिल किया गया, तो समाज में बराबरी और न्याय की दिशा में ठोस कदम उठेगा। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार इस पर विचार करेगी।
बिहार में हालिया हत्याकांडों का हवाला देते हुए अखिलेश यादव ने कहा, चुनाव के दौरान ऐसी बड़ी घटनाएं हो रही हैं और सरकार खामोश है। इससे बिहार की कानून व्यवस्था की पोल खुल गई है। आखिर सरकार क्या कर रही है? इसी क्रम में कानपुर के अखिलेश दुबे मामले पर उन्होंने सरकार को घेरा, पहले ही कहा था कि सरकार उन्हें बचा रही है। सच्चाई सामने आ गई तो सरकार गिर जाएगी। प्रदेश में कानून व्यवस्था बद से बदतर हो चुकी है।
गन्ने के मूल्य में 30 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी पर अखिलेश ने तंज कसा, कई साल बाद सरकार ने दाम बढ़ाए, लेकिन यह किसानों की बढ़ती लागत के अनुपात में बेहद कम है। खाद, उर्वरक और अन्य खर्च कई गुना बढ़ चुके हैं। सरकार सिर्फ दिखावे के फैसले ले रही है।