लखनऊ

Delhi Blast Hawala Network: दिल्ली ब्लास्ट फंडिंग में हवाला नेटवर्क का खुलासा, मेवात एजेंट और 30 संदिग्धों की तलाश तेज हुई

Delhi Blast Funding Trail Hawala Network : दिल्ली ब्लास्ट की जांच में हवाला नेटवर्क की गहरी परतें उजागर हो रही हैं। फरीदाबाद के अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े कथित “डॉक्टर मॉड्यूल” तक फंडिंग मेवात के एक एजेंट के जरिये पहुंचाई जा रही थी। बरामद डायरी में मिले 30 से अधिक नाम और नंबर जांच को नए मोड़ दे रहे हैं।

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Nov 15, 2025
हवाला नेटवर्क की कड़ी बढ़ी, डायरी में मिले 30 से अधिक नाम और नंबर (फोटो सोर्स : Whatsapp News Group )

Delhi Blast Funding Trail: दिल्ली ब्लास्ट मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, सुरक्षा एजेंसियों को इस मामले के फंडिंग नेटवर्क से जुड़े कई चौंकाने वाले तथ्य मिल रहे हैं। खुफिया इनपुट और पूछताछ में सामने आया है कि हरियाणा के फरीदाबाद जिले में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी से शुरू हुए कथित "डॉक्टर मॉड्यूल" को फंडिंग सीधे किसी संगठन द्वारा नहीं, बल्कि दिल्ली और आसपास सक्रिय हवाला नेटवर्क के जरिए पहुंच रही थी। इस नेटवर्क ने संदिग्ध डॉक्टरों,डॉ. मुज्जमिल, डॉ. उमर और डॉ. शाहीन तक कथित रूप से रुपये पहुंचाने में प्रमुख भूमिका निभाई। जांच एजेंसियों को कई तकनीकी और भौतिक साक्ष्यों के आधार पर यह संकेत मिले हैं कि यह नेटवर्क संगठित तरीके से संचालित हो रहा था और इसका एक महत्वपूर्ण कनेक्शन मेवात क्षेत्र के एक एजेंट से जुड़ा हुआ था। यही एजेंट इस मॉड्यूल को हवाला के पैसों से जोड़ता था और कथित तौर पर नकद राशि पहुंचाने का काम करता था।

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मेवात के एजेंट के जरिए जुड़ा हवाला नेटवर्क

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली और उसके आसपास का इलाका लंबे समय से हवाला गतिविधियों के लिए संवेदनशील माना जाता रहा है। इस मामले में भी जांच के शुरुआती निष्कर्ष इसी दिशा की ओर इशारा कर रहे हैं। एजेंसियों के अनुसार, डॉक्टर मॉड्यूल के सदस्य,डॉ. मुज्जमिल, डॉ. उमर और डॉ. शाहीन किसी भी बड़े हवाला संचालक से सीधे संपर्क में नहीं थे। इसके बजाय वे मेवात के एक एजेंट के माध्यम से दिल्ली के हवाला नेटवर्क तक पहुंचे।

सूत्रों का दावा है कि सबसे पहले एजेंट का संपर्क डॉ. शाहीन से हुआ, और बाद में इसी संपर्क श्रृंखला के माध्यम से वह डॉ. मुज्जमिल तक पहुंचा। कुछ सप्ताह पहले ही एजेंट की मुलाकात डॉ. उमर से भी हुई थी। यही एजेंट कथित तौर पर हवाला के पैसों को प्राप्त करता था और फिर यह रकम मॉड्यूल के सदस्यों तक पहुंचाई जाती थी। इस पूरी प्रक्रिया में बड़ी सावधानी बरती जाती थी,ताकि कोई डिजिटल रिकॉर्ड न बने और रकम का स्रोत पता न चल सके।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी से शुरू हुआ पूरा नेटवर्क

जांच अधिकारियों के अनुसार, इस मॉड्यूल का आधार हरियाणा के फरीदाबाद जिले के धौज क्षेत्र में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के आसपास था। यहां पढ़ने वाले या रहने वाले कुछ लोग कथित तौर पर मॉड्यूल के संपर्क में आए और धीरे-धीरे एक समूह तैयार हुआ। ब्लास्ट की योजना, आवश्यक सामग्री का इंतजाम और लॉजिस्टिक्स के निर्णय इसी नेटवर्क के माध्यम से किए जाते थे। एजेंसियों का कहना है कि फंडिंग का प्रवाह इसी नेटवर्क की रीढ़ था। हवाला के जरिये आने वाला पैसा ही कथित सदस्यों तक पहुंचता था और इसका इस्तेमाल उनके दैनिक खर्चों से लेकर अन्य तैयारियों तक में होता था।

टेरर फंडिंग: खर्च कहाँ-कहाँ हुआ

एक खुफिया अधिकारी ने बताया कि हवाला नेटवर्क से आने वाली रकम का उपयोग मॉड्यूल के कथित सदस्यों द्वारा कई प्रकार की तैयारियों में किया गया।

सूत्रों के अनुसार, ये रकम मुख्य रूप से निम्न कार्यों में खर्च की गई:

  • अमोनियम नाइट्रेट जैसे रसायन की खरीद
  • ब्लास्ट में इस्तेमाल की गई कार के लिए भुगतान
  • धमाके से जुड़े अन्य उपकरण और सामग्री
  • स्थानों की बार-बार रेकी में होने वाला खर्च
  • आवागमन, ईंधन, ठहरने और अन्य लॉजिस्टिक कार्य

अधिकारी के अनुसार, ऐसी गतिविधियों के लिए नकद धन की जरूरत अधिक होती है, इसलिए हवाला नेटवर्क का चयन किया गया ताकि बैंकिंग प्रणाली में कोई रिकॉर्ड न छोड़ा जाए।

डायरी में दर्ज 30 से अधिक नाम और नंबर-नया सिरा मिला

जांच को बड़ा आधार तब मिला जब एजेंसियों ने डॉ. मुज्जमिल के कमरे से एक डायरी बरामद की। इस डायरी में 30 से अधिक लोगों के नाम और मोबाइल नंबर दर्ज थे। कुछ प्रविष्टियों के आगे विभिन्न रकम भी लिखी हुई थी। अब जांच टीमें यह जानने में जुटी हैं कि

ये लोग कौन हैं?

  • देश के किस क्षेत्र में सक्रिय हैं?
  • उनका मॉड्यूल या फंडिंग चैन से क्या संबंध है?
  • जिन नामों के आगे रकम लिखी है, क्या वे हवाला रकम पाने या पहुँचाने वालों में शामिल थे?
  • इस डायरी के आधार पर एजेंसियों ने मोबाइल नंबर से लोकेशन इतिहास, कॉल रिकॉर्ड और सोशल संपर्कों का विश्लेषण शुरू कर दिया है।

बैंक खातों की ट्रांजेक्शन भी जांच के दायरे में

एजेंसियां संदिग्ध डॉक्टरों के बैंक खातों की भी जांच कर रही हैं। सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ महीनों के दौरान हुए लेनदेन,नकद निकासी, अचानक जमा होने वाली रकम, संदिग्ध खातों से ट्रांसफर और अन्य गतिविधियां,सबकी बारीकी से जांच की जा रही है। यदि किसी खाते में कोई असामान्य गतिविधि या संदिग्ध जमा-निकासी दिखाई देती है तो उसे हवाला चैन के साथ जोड़कर देखा जाएगा।

जांच एजेंसियों का ध्यान फंडिंग चैन तोड़ने पर

अधिकारियों का कहना है कि किसी भी आतंकी गतिविधि का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा उसका फंडिंग चैन होता है। यदि पैसे का प्रवाह बंद कर दिया जाए तो मॉड्यूल की गतिविधियों को नियंत्रित करना आसान हो जाता है। इसी कारण एजेंसियां इस मामले में फंडिंग प्रदान करने वाले प्रत्येक व्यक्ति, माध्यम और चैन की पहचान कर रही हैं। दिल्ली का हवाला नेटवर्क पहले भी कई बार विभिन्न जांचों में सामने आ चुका है, लेकिन इस बार संदिग्ध डॉक्टरों के मॉड्यूल से इसका जुड़ाव एक नए प्रकार का मामला माना जा रहा है।

हवाला नेटवर्क का पैटर्न जांच में उभर रहा है

  • पैसा पहले दिल्ली के हवाला संचालकों के पास पहुंचता था
  • वहाँ से मेवात के एजेंट को मिलता था
  • और फिर वह यह रुपये डॉक्टर मॉड्यूल के सदस्यों तक पहुंचाता था
  • यह तंत्र तेज़, गुप्त और बहु-स्तरीय था, जिससे पैसा बिना बैंकिंग प्रणाली में दर्ज हुए प्रवाहित हो जाता था।

आगे की जांच में और बड़े खुलासों की संभावना

जांच एजेंसियों का मानना है कि मॉड्यूल की फंडिंग का पूरा ढांचा अभी सामने नहीं आया है। डायरी, डिजिटल डाटा, बैंक ट्रांजेक्शन और एजेंट के संपर्कों से जुड़े कई और नामों की पहचान होने की संभावना है।एक अधिकारी ने कहा कि आने वाले दिनों में हवाला सिस्टम में शामिल लोगों, रकम पहुंचाने वालों, और मॉड्यूल के संपर्कों की पहचान और स्पष्ट हो सकती है।

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