लखनऊ

Good News: आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत: जल्द बनेगा आउटसोर्स कर्मचारी निगम, शोषण से मिलेगी मुक्ति

Good News Outsource Employee Corporation:   उत्तर प्रदेश सरकार ने आउटसोर्स कर्मचारियों के हित में बड़ा कदम उठाया है। आउटसोर्स कर्मचारी निगम के गठन की सभी प्रक्रियाएं लगभग पूरी हो चुकी हैं। अब सिर्फ मंत्रिपरिषद की मंजूरी बाकी है। यह निगम कर्मचारियों को सेवा प्रदाता एजेंसियों के शोषण से मुक्त करने और सुरक्षा देने की दिशा में निर्णायक कदम है।

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May 23, 2025
फोटो सोर्स : पत्रिका : आउटसोर्स कर्मचारियों के हक में ऐतिहासिक कदम

Good News Outsource Employee: राज्य सरकार ने आउटसोर्स कर्मचारियों को लंबे समय से हो रहे शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। उत्तर प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारी निगम (Outsource Karmachari Nigam) के गठन की लगभग सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। अब केवल मंत्रिपरिषद की मंजूरी बाकी है, जिसके बाद यह निगम विधिवत कार्य करना शुरू कर देगा।

क्यों जरूरी था निगम का गठन

राज्य में विभिन्न सरकारी विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों और संस्थानों में लाखों की संख्या में आउटसोर्सिंग के तहत कर्मचारी कार्यरत हैं। इन कर्मचारियों को सेवा प्रदाता एजेंसियों के माध्यम से नियुक्त किया जाता है, जो अक्सर उनकी मेहनत का शोषण करती रही हैं, जैसे:

  • निर्धारित मानदेय का पूर्ण भुगतान न करना
  • अवकाश और स्वास्थ्य सुविधाओं की अनदेखी
  • अनुचित कार्यकाल और कार्य शर्तें
  • अस्थिरता और असुरक्षा की स्थिति
  • इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए "आउटसोर्स कर्मचारी निगम" की नींव रखी जा रही है।

मुख्यमंत्री का बड़ा ऐलान: ₹20,000 का न्यूनतम मानदेय

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे.एन. तिवारी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आउटसोर्स कर्मचारियों को न्यूनतम ₹20,000 मासिक मानदेय देने की घोषणा की है। हालांकि वित्त विभाग ने इसका ₹18,000 प्रस्तावित किया है, लेकिन अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री को लेना है। इस ऐलान के बाद कर्मचारियों में आशा की नई किरण जगी है कि उन्हें अब न्यूनतम आर्थिक सुरक्षा प्राप्त हो सकेगी।

निगम का उद्देश्य: सेवा प्रदाता एजेंसियों के शोषण से मुक्ति

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की महामंत्री अरुणा शुक्ला ने बताया कि मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद से मुलाकात कर निगम गठन के निर्णय पर चर्चा की गई और इसके शीघ्र क्रियान्वयन की मांग की गई। जे.एन. तिवारी ने यह भी कहा कि यदि सेवा प्रदाता एजेंसियों के माध्यम से ही मानदेय का भुगतान होता रहेगा, तो कर्मचारियों को शोषण से मुक्ति नहीं मिल पाएगी। इसलिए भुगतान की प्रक्रिया सीधे निगम के माध्यम से की जाए, यही परिषद की मांग है। प्रमुख सचिव ने आश्वासन दिया है कि ऐसी व्यवस्था और कड़े नियम बनाए जा रहे हैं, जिससे कोई एजेंसी कर्मचारियों के साथ धोखाधड़ी न कर सके।

निगम के माध्यम से क्या सुविधाएं मिलेंगी

आउटसोर्स कर्मचारी निगम के गठन से कर्मचारियों को केवल नियमित मानदेय ही नहीं, बल्कि अन्य कई सामाजिक सुरक्षा लाभ भी मिलने की संभावना है:

  • मानदेय का समय पर भुगतान
  • आकस्मिक एवं चिकित्सा अवकाश की सुविधा
  • बीमा और स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ
  • सेवा स्थायित्व और अनुबंध की पारदर्शिता
  • बिना बिचौलियों के सीधे सरकारी निगरानी में काम
  • कार्य की निगरानी एवं शिकायत निवारण तंत्र
  • निगम द्वारा सभी कर्मचारियों के रिकॉर्ड को डिजिटाइज़ किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकेगी।

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद का रुख और समर्थन

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यह "श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में ऐतिहासिक पहल" है। परिषद का मानना है कि निगम के गठन से राज्य में आउटसोर्सिंग की पारदर्शी और न्यायसंगत व्यवस्था स्थापित होगी। महामंत्री अरुणा शुक्ला ने प्रमुख सचिव से सौहार्दपूर्ण चर्चा के दौरान सुझाव दिया कि निगम का गठन केवल औपचारिक नहीं, बल्कि प्रभावी होना चाहिए ताकि जमीनी स्तर पर इसका असर दिखे।

वित्त, कार्मिक और न्याय विभाग की भूमिका

सरकार के परामर्शी विभागों ,वित्त, कार्मिक और न्याय ,ने यह प्रस्ताव दिया है कि सेवा प्रदाता एजेंसियों के माध्यम से मानदेय का भुगतान जारी रखा जाए। लेकिन कर्मचारियों और संगठनों का विरोध इसी व्यवस्था से है। अब इस पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री को लेना है।

कब तक मिल सकती है अंतिम मंजूरी

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार मंत्रिपरिषद की अगली बैठक में निगम गठन को स्वीकृति मिलने की पूरी संभावना है। जैसे ही यह स्वीकृति मिलती है, निगम के तहत भर्ती, भुगतान, निगरानी और शिकायत निवारण तंत्र कार्यान्वित हो जाएगा।

 कर्मचारियों के लिए उम्मीदों की नई सुबह

आउटसोर्स कर्मचारी निगम उत्तर प्रदेश सरकार की एक दूरदर्शी योजना है, जिसका उद्देश्य केवल शोषण रोकना नहीं, बल्कि कर्मचारियों को एक सम्मानजनक और सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान करना है। यह केवल एक नीति परिवर्तन नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और श्रमिक कल्याण की दिशा में मजबूत कदम है। अब सबकी निगाहें मंत्रिपरिषद के निर्णय पर हैं, जिसके बाद यह योजना धरातल पर उतरने को तैयार है।

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