लखनऊ

अगर आप 2 साल से छोटे बच्चों को पिला रहे हैं कफ सिरप तो हो जाएं सतर्क वरना…जानें क्या है एडवाइजरी

Health Ministry Advisory Cough Syrup Warning: स्वास्थ्य मंत्रालय ने बच्चों को कफ सिरप देने को लेकर बड़ी एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी हालत में कफ सिरप न दिया जाए, जबकि पांच साल तक के बच्चों को यह दवा केवल डॉक्टर की सलाह पर दी जानी चाहिए।

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Oct 04, 2025
बच्चों के लिए क्यों खतरनाक है कफ सिरप (फोटो सोर्स : Whatsapp )

Health Ministry Advisory: बच्चों की सेहत को लेकर केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक अहम एडवाइजरी जारी की है। मंत्रालय ने साफ कहा है कि छोटे बच्चों को खांसी-जुकाम की स्थिति में बिना डॉक्टर की सलाह के कफ सिरप देना खतरनाक साबित हो सकता है। विशेष तौर पर 2 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप बिल्कुल नहीं देना चाहिए, जबकि 5 साल तक के बच्चों को यह दवा केवल डॉक्टर की सलाह और निगरानी में ही दी जानी चाहिए।

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बच्चों के लिए क्यों खतरनाक है कफ सिरप

डॉक्टरों और विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता और श्वसन तंत्र (respiratory system) पूरी तरह विकसित नहीं होता। ऐसे में कफ सिरप में मौजूद कुछ रसायन उनके शरीर पर उल्टा असर डाल सकते हैं। इससे बच्चों को,

  • तेज़ नींद आना
  • सांस लेने में दिक्कत
  • एलर्जी या घुटन
  • हृदय गति पर असर
  • जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

मंत्रालय की एडवाइजरी के मुख्य बिंदु

  • 2 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी हालत में कफ सिरप न दें।
  • 5 साल तक के बच्चों को यह सिरप देने से पहले डॉक्टर से सलाह ज़रूरी।
  • किसी भी दवा को ‘ओवर-द-काउंटर’ यानी बिना डॉक्टर के पर्चे के न खरीदें।
  • घरेलू नुस्ख़ों और हल्के उपायों को प्राथमिकता दें।
  • बच्चों की खांसी-जुकाम लंबा खिंचने पर तुरंत चिकित्सक से मिलें।

पिछले वर्षों में उठे सवाल

कफ सिरप को लेकर पिछले कुछ सालों में कई बार विवाद सामने आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी कुछ देशों में खराब क्वॉलिटी की दवाओं के कारण बच्चों की मौत की घटनाओं पर गंभीर चिंता जताई थी। भारत जैसे बड़े दवा-निर्माता देश में यह और भी ज़रूरी हो जाता है कि हर स्तर पर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

डॉक्टर क्या कहते हैं

लखनऊ स्थित पीजीआई के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आर.के. गुप्ता का कहना है कि छोटे बच्चों को कफ सिरप देना जोखिम भरा है। उनकी इम्यूनिटी प्राकृतिक होती है और सामान्य खांसी-जुकाम अक्सर 5-7 दिन में अपने आप ठीक हो जाता है। ऐसे में दवा देना उल्टा नुकसान कर सकता है। वहीं, दिल्ली एम्स के डॉक्टरों का मानना है कि पैरेंट्स अक्सर बच्चों की तकलीफ देखकर जल्दबाज़ी में सिरप दे देते हैं, लेकिन यह आदत खतरनाक साबित हो सकती है।

बच्चों के लिए सुरक्षित विकल्प

डॉक्टरों का सुझाव है कि छोटे बच्चों में खांसी-जुकाम होने पर घरेलू स्तर पर कुछ उपाय किए जा सकते हैं, जैसे ,

  • गुनगुना पानी पिलाना
  • हल्का और सुपाच्य भोजन देना
  • कमरे का वातावरण साफ़ और धूल-मिट्टी रहित रखना
  • भाप (स्टीम) दिलाना
  • नाक बंद होने पर सलाइन ड्रॉप्स का इस्तेमाल करना
  • इनसे बच्चों को राहत मिल सकती है और शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मज़बूत होती है।

माता-पिता की जिम्मेदारी

विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को दवा देना आसान विकल्प लगता है, लेकिन माता-पिता को धैर्य रखना चाहिए। यदि बच्चा लगातार खांस रहा है, सांस लेने में परेशानी है, तेज़ बुखार है या कमजोरी दिखा रहा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

एडवाइजरी का उद्देश्य

स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह एडवाइजरी आम जनता को जागरूक करने और छोटे बच्चों को अनावश्यक दवा से बचाने के लिए जारी की है। मंत्रालय का कहना है कि बच्चों की जान बचाना और उन्हें सुरक्षित रखना सबसे पहली प्राथमिकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह केवल सरकार या डॉक्टरों की नहीं बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है कि बच्चों को दवा का गलत इस्तेमाल न झेलना पड़े। पैरेंट्स, फार्मासिस्ट और दवा कंपनियों को भी पूरी सजगता बरतनी होगी।

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