Health Ministry Advisory Cough Syrup Warning: स्वास्थ्य मंत्रालय ने बच्चों को कफ सिरप देने को लेकर बड़ी एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी हालत में कफ सिरप न दिया जाए, जबकि पांच साल तक के बच्चों को यह दवा केवल डॉक्टर की सलाह पर दी जानी चाहिए।
Health Ministry Advisory: बच्चों की सेहत को लेकर केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक अहम एडवाइजरी जारी की है। मंत्रालय ने साफ कहा है कि छोटे बच्चों को खांसी-जुकाम की स्थिति में बिना डॉक्टर की सलाह के कफ सिरप देना खतरनाक साबित हो सकता है। विशेष तौर पर 2 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप बिल्कुल नहीं देना चाहिए, जबकि 5 साल तक के बच्चों को यह दवा केवल डॉक्टर की सलाह और निगरानी में ही दी जानी चाहिए।
डॉक्टरों और विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता और श्वसन तंत्र (respiratory system) पूरी तरह विकसित नहीं होता। ऐसे में कफ सिरप में मौजूद कुछ रसायन उनके शरीर पर उल्टा असर डाल सकते हैं। इससे बच्चों को,
कफ सिरप को लेकर पिछले कुछ सालों में कई बार विवाद सामने आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी कुछ देशों में खराब क्वॉलिटी की दवाओं के कारण बच्चों की मौत की घटनाओं पर गंभीर चिंता जताई थी। भारत जैसे बड़े दवा-निर्माता देश में यह और भी ज़रूरी हो जाता है कि हर स्तर पर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
लखनऊ स्थित पीजीआई के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आर.के. गुप्ता का कहना है कि छोटे बच्चों को कफ सिरप देना जोखिम भरा है। उनकी इम्यूनिटी प्राकृतिक होती है और सामान्य खांसी-जुकाम अक्सर 5-7 दिन में अपने आप ठीक हो जाता है। ऐसे में दवा देना उल्टा नुकसान कर सकता है। वहीं, दिल्ली एम्स के डॉक्टरों का मानना है कि पैरेंट्स अक्सर बच्चों की तकलीफ देखकर जल्दबाज़ी में सिरप दे देते हैं, लेकिन यह आदत खतरनाक साबित हो सकती है।
डॉक्टरों का सुझाव है कि छोटे बच्चों में खांसी-जुकाम होने पर घरेलू स्तर पर कुछ उपाय किए जा सकते हैं, जैसे ,
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को दवा देना आसान विकल्प लगता है, लेकिन माता-पिता को धैर्य रखना चाहिए। यदि बच्चा लगातार खांस रहा है, सांस लेने में परेशानी है, तेज़ बुखार है या कमजोरी दिखा रहा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह एडवाइजरी आम जनता को जागरूक करने और छोटे बच्चों को अनावश्यक दवा से बचाने के लिए जारी की है। मंत्रालय का कहना है कि बच्चों की जान बचाना और उन्हें सुरक्षित रखना सबसे पहली प्राथमिकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह केवल सरकार या डॉक्टरों की नहीं बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है कि बच्चों को दवा का गलत इस्तेमाल न झेलना पड़े। पैरेंट्स, फार्मासिस्ट और दवा कंपनियों को भी पूरी सजगता बरतनी होगी।