69000 सहायक शिक्षक भर्ती में न्याय न मिलने से नाराज आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों का गुस्सा लखनऊ की सड़कों पर फूट पड़ा। सुप्रीम कोर्ट में बार-बार सुनवाई टलने और सरकार के उदासीन रवैये के खिलाफ उन्होंने डिप्टी सीएम के आवास का घेराव किया और रोजाना आंदोलन की चेतावनी दी।
69000 Teacher Protest: 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का धैर्य अब जवाब देता दिख रहा है। सैकड़ों अभ्यर्थियों ने राजधानी लखनऊ में डिप्टी सीएम और बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास का घेराव किया। सुप्रीम कोर्ट में बार-बार सुनवाई टलने और पिछले पाँच साल से न्याय न मिलने के कारण उनका गुस्सा खुलकर सड़क पर उतर आया। अभ्यर्थियों का आरोप है कि सरकार जानबूझकर मामले को लटका रही है। वे कहते हैं कि पिछले बारह महीनों से सुप्रीम कोर्ट में एक भी प्रभावी सुनवाई नहीं हो सकी क्योंकि सरकार की ओर से अधिवक्ता पेश ही नहीं हो रहे। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए वाहनों में भरकर इको गार्डन भेज दिया, लेकिन अभ्यर्थियों ने चेतावनी दी है कि अगर अब भी सुनवाई नहीं हुई तो वे प्रतिदिन लखनऊ में धरना देंगे और भाजपा नेताओं के आवास का घेराव जारी रखेंगे।
प्रदर्शनकारियों में हरिओम, राज, अनिल वर्मा और वृजेश गुप्ता सहित कई अभ्यर्थियों ने कहा, “हम पिछले पाँच साल से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। सरकार हमसे वोट के समय हिंदू बनकर समर्थन मांगती है, लेकिन नौकरी के समय हमें जाति के आधार पर बांट देती है। हमारी न तो शादी हो पाई, न परिवार की आर्थिक हालत ठीक है। मानसिक दबाव इतना बढ़ गया है कि लग रहा है जैसे हमने कोई अपराध किया हो।”
अभ्यर्थियों का कहना है कि आरक्षण नीति के चलते उनका चयन रोका जा रहा है और सरकार उनके पक्ष को अदालत में रखने के बजाय मामले को लटकाने की रणनीति अपना रही है। उनका आरोप है कि सरकारी अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट की तारीखों पर अनुपस्थित रहते हैं, जिससे सुनवाई आगे नहीं बढ़ पाती।
2019 में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम आया था। तब से कई बार चयन सूची को लेकर विवाद हुआ और मामला अदालत तक पहुंचा। सामान्य और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के बीच आरक्षण को लेकर खींचतान चल रही है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई तय होती रही, लेकिन बार-बार स्थगन या सरकारी पक्ष की अनुपस्थिति के कारण अंतिम निर्णय नहीं आ सका।
अभ्यर्थियों का कहना है कि इस लंबे इंतज़ार ने उनके करियर और निजी जीवन पर बुरा असर डाला है। “न नौकरी मिल रही है, न शादी हो पा रही। माता-पिता पर बोझ बढ़ गया है। पांच साल में हम बेरोजगारी और मानसिक तनाव के शिकार हो चुके हैं,” अभ्यर्थियों ने कहा।
अभ्यर्थियों ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा-निर्देश में ही बेसिक शिक्षा विभाग और सरकारी अधिवक्ता अदालत में पैरवी नहीं कर रहे। उनका कहना है कि भाजपा के नेता केवल आश्वासन देते हैं कि “चिंता मत करो, न्याय मिलेगा”, लेकिन कब और कैसे मिलेगा, इसका कोई जवाब नहीं देते। “हम रोज कोर्ट की तारीख का इंतजार करते हैं, लेकिन सरकार कभी भी गंभीरता से नहीं पेश आती। यह हमें सिर्फ मीठी गोली दी जा रही है,” एक अभ्यर्थी ने कहा।
सोमवार को जब प्रदर्शनकारी संदीप सिंह के आवास के बाहर जमा हुए, तो पुलिस ने तत्काल सुरक्षा घेरा बना लिया। अभ्यर्थियों की मंत्री से मुलाकात नहीं हो सकी और पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लेकर इको गार्डन पहुँचा दिया। प्रशासन का कहना है कि प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए यह कार्रवाई की गई।
अभ्यर्थियों ने साफ कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट में मामले की नियमित सुनवाई सुनिश्चित नहीं होती और सरकार सक्रिय रूप से पक्ष नहीं रखती, वे लखनऊ में रोज धरना देंगे। साथ ही भाजपा नेताओं के घर का घेराव जारी रहेगा। “हम अब चुप नहीं बैठेंगे। अगर सरकार चाहती है कि मामला लटकता रहे, तो हम भी लखनऊ में रोज़ जमे रहेंगे। भाजपा को याद रखना चाहिए कि आज हमसे नौकरी छीनी जा रही है, कल हम अपना वोट भी वापस ले लेंगे,” एक प्रदर्शनकारी ने कहा।
सरकार की ओर से इस प्रदर्शन पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तैयारियों में जुटा है। लेकिन अभ्यर्थियों का कहना है कि यह सिर्फ दिखावा है और अब तक की चुप्पी सरकार के रवैये को उजागर करती है।