Janmashtami 2025: लखनऊ में जन्माष्टमी का पर्व भक्ति, प्रेम और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। शहर के बाजारों में राधा-कृष्ण की वेशभूषा, आभूषण और मिठाइयों की जबरदस्त रौनक है। मेकअप आर्टिस्टों और सैलून संचालकों ने बच्चों को राधा-कृष्ण के रूप में सजा कर उत्सव को खास बना दिया, जबकि मंदिरों में सुबह से पूजा-अर्चना जारी रही।
Krishna Janmashtami : प्रेम और आस्था के अद्वितीय संगम का पर्व जन्माष्टमी राजधानी लखनऊ में श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। राधा-कृष्ण की जोड़ी के पावन प्रेम को साकार करने के लिए न केवल मंदिरों और घरों में भव्य तैयारियां की गई, बल्कि शहर के मेकअप आर्टिस्टों और सैलून संचालकों ने भी अपनी कला से इस पर्व को विशेष रूप दिया।
सुबह से ही श्रद्धालु मुरलीधर कान्हा के दर्शन और पूजा में लीन रहे। जगह-जगह मंदिरों में भजन-कीर्तन और झूलों की धूम रही। मध्यरात्रि को श्रीकृष्ण के जन्म के साथ उत्सव अपने चरम पर पहुँचेगा। बाजारों में रौनक देखते ही बन रही है — कान्हा-राधा की पोशाक, मुकुट, बांसुरी, मोर पंख और आभूषणों से लेकर मिठाइयों तक की जमकर बिक्री हो रही है।
जन्माष्टमी के अवसर पर कई सैलून और मेकअप स्टूडियो ने बच्चों और युवाओं को राधा-कृष्ण के रूप में तैयार कर उत्सव में चार चांद लगाए। आर्टिस्ट्री अंजली के नाम से सैलून चलाने वाली अंजली बेहरा ने जानकीपुरम में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित कर राधा-कृष्ण की जोड़ी को जीवंत किया। उनकी कला को देखने के लिए लोग उमड़ पड़े और सोशल मीडिया पर इनकी तस्वीरें खूब वायरल हुईं। श्रद्धा मेकओवर ने भी बाल गोपाल को सजा कर भक्ति और सौंदर्य का अनूठा संगम प्रस्तुत किया। बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्ग तक कान्हा और राधा की वेशभूषा में दिखे। जगह-जगह बाल कृष्ण को झूलों में बैठाकर उनकी आरती की गई और भजन गाए गए।
फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पर राधा-कृष्ण के रूप में सजे बच्चों और युवाओं की तस्वीरें ट्रेंड कर रही हैं। लोग अपने प्रियजनों के साथ तस्वीरें साझा कर रहे हैं और भक्ति गीतों के वीडियो बना रहे हैं।
जन्माष्टमी के अवसर पर होने वाली खरीदारी का सीधा असर स्थानीय व्यापारियों और कारीगरों की आय पर दिख रहा है। पारंपरिक वस्त्र, आभूषण और पूजा सामग्री बनाने वालों को इस पर्व से अतिरिक्त लाभ हो रहा है।
जन्माष्टमी केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि यह सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। राधा-कृष्ण के प्रेम और भक्ति का संदेश लोगों को जोड़ता है और समाज में प्रेम, करुणा और सौहार्द का वातावरण पैदा करता है।