CHC Doctors Salary Issue: उत्तर प्रदेश के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में बॉन्ड के तहत तैनात जूनियर डॉक्टर तीन महीने से मानदेय न मिलने से परेशान हैं। मेडिकल कॉलेजों की तुलना में पहले से ही कम वेतन और अब भुगतान में देरी ने उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है। डॉक्टरों ने सीएम-डिप्टी सीएम से गुहार लगाई।
CHC Doctors News: प्रदेश के विभिन्न सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में बॉन्ड के तहत सेवा दे रहे जूनियर डॉक्टर तीन माह से मानदेय न मिलने से परेशान हैं। मानदेय मेडिकल कॉलेजों की तुलना में पहले से ही कम है, ऊपर से लगातार देरी ने इनके सामने गंभीर आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है। डॉक्टर अब स्वास्थ्य महानिदेशालय से लेकर सीएमओ कार्यालय तक चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन ही मिल रहा है। आखिरकार, मजबूर होकर इन डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप की गुहार लगाई है।
एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने वाले छात्रों को प्रदेश सरकार की नीति के तहत दो वर्ष तक सरकारी सेवा देना अनिवार्य है। यदि वे यह सेवा नहीं करते तो उन्हें राजकोष में 10 लाख रुपये जमा करने पड़ते हैं। चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीएमई) ने इस व्यवस्था के तहत हाल ही में 2100 डॉक्टरों की काउंसिलिंग कराई। इनमें से अधिकांश को मेडिकल कॉलेजों में नॉन-पीजी जूनियर रेजीडेंट और डेमोंस्ट्रेटर के रूप में तैनात किया गया, जबकि 438 डॉक्टरों को प्रदेशभर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भेजा गया।
सीएचसी में तैनात डॉक्टरों का आरोप है कि वे पिछले तीन महीने से लगातार सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन मानदेय अब तक जारी नहीं किया गया। कई डॉक्टर किराया, भोजन और अन्य आवश्यक खर्च पूरे करने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं। एक डॉक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा,“हमसे लगातार सेवाएं ली जा रही हैं। ड्यूटी समय पर करनी पड़ती है, मरीजों की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है, लेकिन मानदेय नहीं मिल रहा। आर्थिक तंगी की वजह से कई साथी डॉक्टर परेशान हैं।”
अलीगढ़ की सीएचसी में कार्यरत डॉ. सोनल, डॉ. नम्रता, डॉ. रितिका और डॉ. प्रियंका,कन्नौज से डॉ. देवेंद्र, डॉ. अंकित, डॉ. संदीप और डॉ. अरुण,गोंडा से डॉ. मोहित और डॉ. प्रियंका,बरेली से डॉ. वैष्णवी और अन्य डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मानदेय भुगतान की मांग की है। डॉ. नम्रता का कहना है,“हमें साफ जानकारी नहीं दी गई कि सीएचसी में मानदेय कितना मिलेगा। अब हालात यह हैं कि न समय पर वेतन मिल रहा है और न ही कोई स्पष्ट गाइडलाइन।”
इस पूरे मामले पर महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, डॉ. रतनपाल सिंह सुमन ने कहा,“जिलों की ग्रेडिंग के आधार पर मानदेय तय है। सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को भुगतान के निर्देश दिए गए हैं। कुछ जगह भुगतान हो चुका है और जहाँ बाकी है वहाँ भी जल्द भुगतान होगा।”उन्होंने यह भी जोड़ा कि पिछड़े जिलों में ज्यादा डॉक्टर भेजने का मकसद ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करना है। हालाँकि, जिलों के सीएमओ का कहना है कि उन्हें मानदेय भुगतान के लिए स्पष्ट गाइडलाइन नहीं मिली है, इसलिए प्रक्रिया में देरी हो रही है।
डॉक्टरों का कहना है कि एक तरफ वे ग्रामीण इलाकों में 24 घंटे मरीजों की सेवा कर रहे हैं, दूसरी तरफ तीन महीने से मानदेय न मिलने के कारण उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। कई डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें किराया और भोजन का खर्च उठाने में दिक्कत हो रही है। कुछ ने बताया कि परिवार का पालन-पोषण मुश्किल हो गया है। महिला डॉक्टरों ने ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा और आवास संबंधी समस्याएँ भी गिनाईं।
इस मामले ने अब राजनीतिक रंग लेना भी शुरू कर दिया है। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की बात तो करती है, लेकिन डॉक्टरों को समय पर मानदेय नहीं दे पा रही। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यदि डॉक्टरों को समय पर भुगतान नहीं हुआ तो उनका मनोबल टूटेगा और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएँ प्रभावित होंगी।