Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के ठीक पहले एनडीए गठबंधन में रालोद (RLD)शामिल हो गई। ये गठबंधन पश्चिमी यूपी में कितना असरदार होगा, ये तो लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा। इसके साथ ही जाट लैंड में एनडीए का प्रदर्शन ही रालोद की भूमिका का भविष्य तय करेगा।
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के ठीक पहले जयंत चौधरी साइकिल छोड़कर कमल के साथ हो गए। उन्होंने अपनी राजनीतिक कलाबाजी से कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया। पहले चरण में शुक्रवार को पश्चिमी यूपी की 8 सीटों पर मतदान पूरा हो गया। मुख्य रुप से जाटों की पार्टी मानी जाने वाली आरएलडी का पश्चिमी यूपी की करीब 15 सीटों पर अच्छा खासा प्रभाव है। इन सीटों पर जयंत का हैंडपंप कमल को कितना खिलाता है, इस पर सभी की नजर है। इतना ही नहीं नतीजों पर जयंत चौधरी और उनके पार्टी का भविष्य भी टीका हुआ है।
इंडिया ब्लॉक से बाहर निकलकर जयंत चौधरी ने भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में एक समझौते के तहत शामिल हुए। इसके बदले में भाजपा ने उन्हें दो लोकसभा सीटें दीं- बागपत और बिजनौर। बागपत जयंत की पारंपरिक सीट रही है, जो आरएलडी 2014 और 2019 में भाजपा से हार गई थी। इसके अलावा जयंत अपने एक विधायक को योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में मंत्री और एक नेता को विधान परिषद में निर्वाचित कराने में भी सफल रहे।
चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे पार्टी का भविष्य
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जयंत चौधरी की नजर राज्यसभा सीट के अलावा चुनाव के बाद केंद्र में कैबिनेट मंत्री बनने पर भी है। इसलिए मौजूदा चुनाव आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि नतीजे ही भविष्य में पार्टी की भूमिका तय करेंगे। जैसे- जैसे चुनाव प्रचार जोर पकड़ रहा है, सभी की निगाहें पार्टी के गढ़ पश्चिमी यूपी में रालोद के प्रदर्शन पर हैं।
जयंत चल रहे हैं अच्छी चाल
जयंत चौधरी ने अभी तक अपने पत्ते अच्छे से खेले हैं। उदाहरण के लिए पारिवारिक सीट (बागपत) से अपनी पत्नी या परिवार के किसी अन्य सदस्य को मैदान में उतारने के बजाय एक आम पार्टी कार्यकर्ता को उतारा है। ये उनकी राजनीतिक परिपक्वता को दर्शाता है।