Major Bureaucratic Shuffle in UP: उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक और पुलिस व्यवस्था में 30 सितंबर 2025 एक अहम पड़ाव बनने जा रहा है। इस दिन प्रदेश के कई वरिष्ठ IAS, IPS और PCS अधिकारी सेवानिवृत्त होंगे। अपने लंबे कार्यकाल में इन अधिकारियों ने कानून-व्यवस्था, शिक्षा, तकनीकी विकास, बुनियादी ढांचे और प्रशासनिक सुधार में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
UP IAS-IPS-PCS Officers Retirement: उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक और पुलिस व्यवस्था में 30 सितंबर 2025 एक ऐतिहासिक दिन साबित होगा, क्योंकि इस दिन प्रदेश के कई वरिष्ठ IAS, IPS और PCS अधिकारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इन अधिकारियों ने अपने-अपने कार्यकाल में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं और राज्य की शासन-प्रणाली को मजबूत बनाने में योगदान दिया है। सेवानिवृत्ति के इस अवसर पर न केवल उनके योगदान को याद किया जा रहा है, बल्कि आने वाले समय में उनके अनुभव और सेवाओं को समाज किस रूप में याद रखेगा, इस पर भी चर्चा हो रही है।
सबसे पहले बात करते हैं PCS अधिकारियों की। PCS अधिकारी अरुण मणि तिवारी, जिन्होंने वर्ष 2015 में सेवा जॉइन की थी और वर्तमान में अयोध्या में ADM (LA) के पद पर कार्यरत थे, 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। श्री तिवारी ने भूमि अधिग्रहण और विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में विशेष योगदान दिया। अयोध्या जैसे संवेदनशील जिले में काम करना चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन उन्होंने धैर्य और कुशल प्रशासन से इन चुनौतियों का सामना किया।
इसी क्रम में PCS अधिकारी सर्वेश कुमार गुप्ता, जिन्होंने वर्ष 2012 में सेवाएं शुरू की और वर्तमान में मुरादाबाद में एडिशनल कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं, भी 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होंगे। श्री गुप्ता ने अपने कार्यकाल के दौरान राजस्व प्रशासन और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सराहनीय योगदान दिया। मुरादाबाद जैसे बड़े औद्योगिक शहर में उनकी भूमिका बेहद अहम रही।
अब बात करते हैं उन IPS अधिकारियों की, जो इस दिन अपनी सेवाओं से विदा लेंगे।
IAS अधिकारियों की बात करें तो इनमें कई बड़े नाम शामिल हैं।
इन अधिकारियों की सेवानिवृत्ति केवल व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे पर असर डालने वाली है। जब इतने बड़े पदों पर बैठे अधिकारी एक साथ सेवानिवृत्त होते हैं, तो स्वाभाविक है कि प्रशासनिक पुनर्गठन की प्रक्रिया तेज होती है। प्रदेश सरकार को नए अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले करने होंगे ताकि कामकाज प्रभावित न हो।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन अधिकारियों ने अपने कार्यकाल के दौरान जिस प्रकार से कार्य किया, वह आने वाली पीढ़ी के अधिकारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा। वहीं, यह भी चुनौती होगी कि उनके स्थान पर आने वाले अधिकारी उनकी उपलब्धियों को आगे बढ़ा सकें।