लखनऊ

जेल में गायत्री प्रजापति पर हमला आकस्मिक, जांच में साजिश नहीं मिली; प्रशासन ने मामला किया बंद

लखनऊ जेल अस्पताल में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति पर हुए हमले की जांच रिपोर्ट में राजनीतिक साजिश की संभावना खारिज कर दी गई है। डीआईजी की पड़ताल में यह घटना बंदी के साथ कहासुनी से उपजा अचानक का विवाद पाई गई। शासन ने रिपोर्ट के आधार पर मामला समाप्त कर दिया है।

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Dec 06, 2025
जेल अस्पताल में गायत्री प्रजापति पर हमला,अचानक भड़का विवाद (फोटो सोर्स :Facebook News Group)

Ex-Minister Gayatri Prajapati Political Controversy: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित जिला जेल में पूर्व ऊर्जा व खनन मंत्री गायत्री प्रजापति पर जेल अस्पताल में हुए हमले के मामले में जांच पूरी हो गई है। शासन को भेजी गई आधिकारिक रिपोर्ट में बताया गया है कि यह घटना किसी भी राजनीतिक साजिश या पूर्व-नियोजित षड्यंत्र का हिस्सा नहीं थी, बल्कि दवा वितरण के दौरान हुई आपसी कहासुनी से उपजा एक आकस्मिक विवाद था। इस रिपोर्ट के बाद मामले को प्रशासनिक स्तर पर बंद करने का निर्णय लिया गया है।

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घटना : 30 सितंबर की शाम जेल अस्पताल में हुआ विवाद

30 सितंबर की शाम लगभग छह बजे जेल अस्पताल के OPD कक्ष में दवा वितरण का समय था। इसी दौरान पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति और आरोपी बंदी विश्वास के बीच किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई। जांच रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व मंत्री द्वारा कथित रूप से अपशब्द कहे जाने पर बंदी विश्वास क्रोधित हो गया और पास ही रखी लोहे की आलमारी की पटरी निकालकर पूर्व मंत्री के सिर पर वार कर दिया। घटना के बाद तत्काल मौजूद जेलकर्मियों ने हस्तक्षेप किया और पूर्व मंत्री को प्राथमिक उपचार के लिए जेल अस्पताल में दाखिल किया गया। सिर में दर्द और हल्के सूजन की शिकायत पर उन्हें सावधानी स्वरूप ट्रॉमा सेंटर भेजा गया, जहाँ जांच के बाद उनकी हालत स्थिर बताई गई।

डीआईजी ने की गहन जांच: बयान, फुटेज और दस्तावेज खंगाले

जांच की जिम्मेदारी लखनऊ परिक्षेत्र के जेल डीआईजी डॉ. रामधनी को सौंपी गई थी। उन्होंने घटना के बाद जिला जेल पहुंचकर पूरे मामले की बारीकी से छानबीन की।
जांच के प्रमुख बिंदु इस प्रकार रहे:

1. प्रत्यक्षदर्शियों के बयान

  • आरोपी बंदी विश्वास का बयान
  • ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर
  • फार्मासिस्ट
  • जेल अस्पताल के कर्मचारियों
  • घटना के दौरान उपस्थित अन्य बंदियों

सभी के बयान एक समान दिशा में थे- कि घटना अचानक हुई और पूर्व-नियोजित नहीं थी।

2. CCTV फुटेज की जांच

  • जेल अस्पताल के कैमरों की फुटेज खंगालने पर भी यह स्पष्ट हुआ कि विवाद अचानक बढ़ा और बंदी विश्वास ने उत्तेजित होकर हमला कर दिया। फुटेज में किसी अन्य व्यक्ति की संलिप्तता या किसी तरह की साजिश का संकेत नहीं मिला।

3. चिकित्सा से जुड़े दस्तावेजों की पड़ताल

  • घटना के बाद गायत्री प्रजापति को दी गई चिकित्सा सुविधा, दवा रजिस्टर, अस्पताल लॉगबुक और ट्रॉमा सेंटर रेफरल के दस्तावेजों की पुष्टि की गई। मेडिकल दस्तावेजों में यह प्रमाणित हुआ कि चोट गंभीर नहीं थी और उपचार मोबाइल यूनिट तथा ट्रॉमा सेंटर द्वारा पर्याप्त रूप से उपलब्ध कराया गया।

जांच अधिकारी की रिपोर्ट : “राजनीतिक साजिश का कोई प्रमाण नहीं”

  • डीआईजी डॉ. रामधनी ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा:
  • घटना पूर्णतः आकस्मिक थी
  • मंत्री पर किसी प्रकार की पूर्व-नियोजित साजिश नहीं थी
  • किसी बाहरी व्यक्ति या किसी राजनीतिक हस्तक्षेप का कोई सबूत नहीं मिला
  • केवल दो व्यक्तियों के बीच हुए निजी विवाद के कारण परिस्थिति बिगड़ी

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बंदी विश्वास का पूर्व मंत्री से पुराना कोई विवाद नहीं था, न ही उसका किसी राजनीतिक दल या समूह से कोई संबंध मिला।

जेल प्रशासन ने FIR दर्ज कराई, जल्द दाखिल होगा आरोप पत्र

  • जेल प्रशासन ने घटना के बाद तुरंत गोसाईंगंज थाने में आरोपी बंदी विश्वास के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी। FIR में IPC की संबंधित धाराओं के तहत हमला, मारपीट और सरकारी प्रणाली के भीतर हिंसा करने के आरोप शामिल हैं।
  • पुलिस अब मामले में चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी कर रही है। जेल सूत्रों के अनुसार, बंदी विश्वास को जेल मैन्युअल के अनुसार दंडित भी किया जाएगा।

अखिलेश यादव और पूर्व आईपीएस ने उठाए थे सवाल

  • घटना के बाद राजनीतिक हलचल भी तेज हुई थी।
  • समाजवादी पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जेल सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न उठाए थे।
  • पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने भी एक अक्टूबर को शासन को पत्र भेजकर न्यायिक जांच की मांग की थी।
  • इन बयानों ने मामले को राजनीतिक सुर्खियों में ला दिया था, जिसके बाद शासन ने विस्तृत जांच के आदेश दिए थे।

जांच पूरी, केस बंद: कारागार मुख्यालय का निर्णय

जांच पूरी होने के बाद कारागार मुख्यालय ने डीआईजी की रिपोर्ट के आधार पर इस निष्कर्ष को स्वीकार कर लिया कि घटना आकस्मिक थी और किसी राजनीतिक षड्यंत्र का स्वरूप नहीं रखती। इसके साथ ही मामले की प्रशासनिक जांच समाप्त कर दी गई है। इसके बाद मेरठ परिक्षेत्र के जेल डीआईजी सुभाष चंद्र शाक्य ने अंतिम रिपोर्ट शासन को भेजकर मामले को तकनीकी तौर पर बंद करने की अनुशंसा की।

घटना का राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभाव

  • हालांकि यह घटना राजनीतिक माहौल में गर्मा गई थी, लेकिन जांच रिपोर्ट ने कई महत्वपूर्ण बातें स्पष्ट कर दी हैं:
  • जेल सुरक्षा व्यवस्था पर उठ रहे सवालों को जांच ने तकनीकी स्तर पर शांत किया
  • आरोपों में राजनीतिक रंग भरने की कोशिशें रिपोर्ट के सामने टिक नहीं सकीं
  • जेल प्रशासन ने समय पर FIR दर्ज करके अपनी प्रक्रिया का पालन किया
  • तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना प्रशासन के लिए राहतप्रद रहा

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