Lucknow Power Supply: लखनऊ में पतंग की डोर से बिजली गुल होने की पुरानी समस्या अब खत्म होने जा रही है। राजधानी की बिजली व्यवस्था को आधुनिक बनाने के लिए खुले हाईटेंशन तार बदले जाएंगे। केंद्र सरकार की योजना के तहत करीब 1800 करोड़ रुपये खर्च कर इंसुलेटेड केबल और आधुनिक सिस्टम लगाए जाएंगे।
Lucknow to End Kite-String Power Cuts: राजधानी लखनऊ में पतंगबाजी के दौरान बिजली गुल होने की समस्या अब इतिहास बनने जा रही है। हर साल मकर संक्रांति, बसंत पंचमी और अन्य त्योहारों पर चीन के मांझा और धातु की डोर से बिजली के तारों को होने वाले नुकसान से उपभोक्ताओं को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। अब इस समस्या से स्थायी निजात दिलाने के लिए बिजली निगम ने एक व्यापक और महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है, जिस पर करीब ₹1800 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस योजना के तहत 11 केवी और 22 केवी की हाईटेंशन ओवरहेड लाइनों के खुले तारों को इंसुलेटेड केबल से बदला जाएगा, ताकि पतंग की डोर उलझने से न तो शॉर्ट सर्किट हो और न ही हजारों उपभोक्ताओं की बिजली आपूर्ति बाधित हो।
अब तक लखनऊ में स्थिति यह थी कि जैसे ही 11 या 33 केवी लाइन पर चीन के मांझा से बंधी पतंग गिरती, पूरा इलाका अंधेरे में डूब जाता था। एक ही फीडर से जुड़े 1200 से 2500 उपभोक्ताओं की बिजली एक झटके में गुल हो जाती थी। कई बार यह कटौती घंटों तक बनी रहती थी। अधिशासी अभियंताओं के अनुसार, पतंग की डोर गिरते ही लाइन में शॉर्ट सर्किट हो जाता है। इससे उपकेंद्र के ब्रेकर में जोरदार धमाका होता है और महंगे विद्युत उपकरण क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इससे न केवल मरम्मत में समय और धन खर्च होता है, बल्कि कर्मचारियों की जान को भी खतरा रहता है।
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पहले ही इस तरह का कार्य किया जा चुका है, जहां इंसुलेटेड केबल लगाने से बिजली आपूर्ति काफी हद तक निर्बाध हो गई है। अब उसी मॉडल को राजधानी लखनऊ में लागू किया जाएगा। यह कार्य केंद्र सरकार की रिवैम्प डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (RDSS) के तहत किया जाएगा। इसके लिए विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भेजे जा रहे हैं।
केंद्र को प्रस्ताव भेजने से पहले लखनऊ के विभिन्न इलाकों में उन 11 केवी ओवरहेड लाइनों का सर्वे किया जा रहा है, जहां अक्सर पतंग की डोर या धातु के तार से बिजली बाधित होती है। जिन उपकेंद्र क्षेत्रों में सर्वे चल रहा है, उनमें शामिल हैं ,अमौसी, लखनऊ मध्य, जानकीपुरम और गोमतीनगर। इन क्षेत्रों के अंतर्गत फैजुल्लागंज, दाउदनगर, प्रियदर्शिनी, अहिबरनपुर, डालीगंज इक्का स्टैंड, मेडिकल कॉलेज, विक्टोरिया चौक, नादान महल रोड, चौपटिया, नींबू पार्क, गऊघाट, आजाद नगर, ऐशबाग, रेलवे पावर हाउस, चंदन नगर, उतरेटिया, सर्वोदय नगर, एचएएल, इंदिरा नगर सेक्टर-14, भीखमपुर सहित कई घनी आबादी वाले इलाके शामिल हैं।
इस योजना का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा है रिंग मेन यूनिट (RMU) की स्थापना। जानकीपुरम जोन के मुख्य अभियंता वीपी सिंह ने बताया कि 11 और 33 केवी लाइनों के लिए दो-दो अलग-अलग फीडर बनाए जाएंगे और उनके बीच आरएमयू सिस्टम स्थापित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यदि किसी एक फीडर में खराबी आती है और उसकी बिजली सप्लाई बाधित होती है, तो आरएमयू सिस्टम ऑटोमेटिक रूप से दूसरे फीडर से कनेक्शन जोड़ देगा। इससे उपभोक्ताओं को बिना इंतजार के बिजली मिलती रहेगी। इस पूरी प्रक्रिया को स्वचालित बनाने के लिए स्काडा (SCADA) सिस्टम विकसित किया जाएगा, जिससे कंट्रोल रूम से ही पूरी व्यवस्था पर नजर रखी जा सकेगी।
राजधानी के चारों जोन में अलग-अलग बजट निर्धारित किया गया है-
इस तरह कुल मिलाकर करीब ₹1800 करोड़ रुपये की लागत से राजधानी की बिजली व्यवस्था को आधुनिक बनाया जाएगा।
यह योजना केवल पतंग की डोर से होने वाले नुकसान तक सीमित नहीं है। इसके जरिए फॉल्ट की संख्या कम होगी,बिजली कटौती की अवधि घटेगी,उपकरणों की उम्र बढ़ेगी,मेंटेनेंस लागत कम होगी,उपभोक्ताओं को बेहतर और स्थिर बिजली मिलेगी। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में बार-बार होने वाले ट्रिपिंग और ब्रेकर फेल होने की समस्या भी काफी हद तक खत्म हो जाएगी।
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के निदेशक (तकनीकी) हरीश बंसल ने बताया कि राजधानी की बिजली व्यवस्था को आधुनिक करने के लिए लेसा के चारों जोनों में सुधार कार्यों के प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं। जैसे ही केंद्र सरकार से मंजूरी मिलेगी, कार्य तेजी से शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस योजना का मकसद केवल तकनीकी सुधार नहीं, बल्कि लखनऊ को निर्बाध और सुरक्षित बिजली आपूर्ति वाला आधुनिक शहर बनाना है।
अगर यह योजना समय पर लागू हो जाती है, तो आने वाले वर्षों में लखनऊ वासियों को त्योहारों पर बिजली गुल होने की चिंता नहीं सताएगी। पतंगबाजी के दौरान होने वाले हादसों और विद्युत फाल्ट में भी कमी आएगी। कुल मिलाकर, ₹1800 करोड़ की यह योजना राजधानी की बिजली व्यवस्था के लिए मील का पत्थर साबित होगी और लखनऊ को स्मार्ट और सुरक्षित ऊर्जा प्रणाली की दिशा में एक बड़ा कदम आगे ले जाएगी।