Suicide Prevention : लखनऊ के इंदिरा नगर में रिटायर्ड IAS अधिकारी मंगला प्रसाद मिश्र के बेटे सुधा कांत मिश्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। सूडा के प्रोजेक्ट मैनेजर रहे सुधाकांत लंबे समय से डिप्रेशन से जूझ रहे थे। इस घटना से सरकारी महकमे और उनके जानने वालों में शोक की लहर दौड़ गई।
Suicide IAS Officer Son News: राजधानी लखनऊ में एक दर्दनाक घटना सामने आई। उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी मंगला प्रसाद मिश्र के पुत्र और सूडा (SUDA) के प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत सुधा कांत मिश्र ने आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार सुधा कांत मिश्र ने लखनऊ के इंदिरा नगर के सेक्टर बी स्थित अपने आवास में फांसी लगाकर जान दे दी। यह खबर सामने आते ही परिवार, रिश्तेदारों और उनके जानने वालों में शोक की लहर दौड़ गई।
परिवार और पुलिस सूत्रों के अनुसार सुधा कांत मिश्र पिछले कई वर्षों से डिप्रेशन (अवसाद) से जूझ रहे थे। उन्होंने इसका इलाज भी कराया था। परिजनों का कहना है कि हालांकि वह रोजमर्रा के कार्यों में सामान्य दिखने का प्रयास करते थे, लेकिन अंदर ही अंदर मानसिक रूप से बेहद परेशान थे। करीबी मित्रों के अनुसार हाल के कुछ महीनों में उनकी मानसिक स्थिति और अधिक बिगड़ गई थी। वह अक्सर अकेले रहना पसंद करने लगे थे। हालांकि परिवार ने हरसंभव प्रयास किए कि वे इस स्थिति से उबर सकें, लेकिन दुखद अंत को नहीं रोका जा सका।
जानकारी के अनुसार शनिवार सुबह जब परिवार के सदस्य उन्हें कमरे से बाहर आते नहीं देख पाए तो दरवाजा खटखटाया। भीतर से कोई जवाब न मिलने पर दरवाजा तोड़ा गया। अंदर का दृश्य देखकर सबकी आंखें फटी की फटी रह गईं। सुधा कांत मिश्र ने फांसी का फंदा लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी। परिवार ने तुरंत स्थानीय पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। इंदिरा नगर थाना प्रभारी के अनुसार, “घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। परिजन और अन्य सूत्रों से जानकारी मिली है कि वह लंबे समय से डिप्रेशन में थे।”
घटना के बाद मिश्र परिवार में मातम का माहौल है। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी मंगला प्रसाद मिश्र और उनकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। परिवार के करीबी मित्रों और रिश्तेदारों ने बताया कि सुधाकांत बेहद संवेदनशील और मिलनसार व्यक्ति थे। एक पारिवारिक मित्र ने कहा, “वे हमेशा दूसरों के लिए सोचते थे लेकिन शायद अपनी परेशानी किसी से खुलकर नहीं कह पाए। उनका इस तरह जाना हम सभी के लिए बहुत बड़ा सदमा है।”
जैसे ही यह खबर सामने आई, सरकारी कर्मचारियों और प्रशासनिक हलकों में शोक की लहर दौड़ गई। कई अधिकारी और उनके मित्रों ने सोशल मीडिया के माध्यम से सुधा कांत मिश्र को श्रद्धांजलि दी और परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं।UPSUDA (उत्तर प्रदेश स्टेट अर्बन डवलपमेंट एजेंसी) के एक अधिकारी ने लिखा, “हमने एक अच्छे इंसान और समर्पित अधिकारी को खो दिया। ईश्वर उनके परिवार को इस असहनीय दुख को सहने की शक्ति दे।”
इस घटना ने एक बार फिर मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को सामने ला दिया है। सुधा कांत मिश्र का मामला इस बात की गंभीर याद दिलाता है कि समाज में डिप्रेशन जैसी बीमारियों को समय रहते पहचानना और उसका इलाज कराना कितना जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि पारिवारिक, सामाजिक और पेशेवर दबाव के चलते लोग अक्सर मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं। लेकिन हमारे समाज में अब भी मानसिक बीमारियों को लेकर संकोच और गलतफहमी बनी हुई है। डॉ. रचना श्रीवास्तव, एक मनोचिकित्सक कहती हैं, “अधिकतर लोग मानसिक बीमारी को छिपाते हैं। यह बेहद जरूरी है कि यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से अवसाद या चिंता में है तो उसे पेशेवर मदद जरूर लेनी चाहिए।”
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। मामले की जांच की जा रही है। हालांकि अभी तक कोई संदिग्ध परिस्थिति सामने नहीं आई है और प्रथम दृष्टया यह मामला आत्महत्या का ही लग रहा है। इंदिरा नगर थाना प्रभारी के अनुसार, “हम परिवार के बयान दर्ज कर रहे हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ही स्थिति पूरी तरह स्पष्ट होगी। घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।”
सुधा कांत मिश्र, रिटायर्ड IAS अधिकारी मंगला प्रसाद मिश्र के पुत्र थे। वे फिलहाल सूडा (SUDA) में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत थे। लंबे समय से डिप्रेशन से पीड़ित थे। लखनऊ के इंदिरा नगर सेक्टर बी में रहते थे। एक बेहद मिलनसार और संवेदनशील व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे।
सुधा कांत मिश्र की आत्महत्या की घटना ने समाज में एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि हम अपने आसपास के लोगों की मानसिक स्थिति को कितना समझ पाते हैं। आज के तेज रफ्तार जीवन, अत्यधिक प्रतिस्पर्धा और सामाजिक दबावों के चलते कई लोग मानसिक रूप से टूट रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर समाज में खुलकर बात हो। विशेषज्ञों और समाजसेवियों का मानना है कि परिवारों को भी चाहिए कि वे ऐसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें। समय पर सलाह और परामर्श लेने से कई बार जान बचाई जा सकती है।