Sumaiya Rana Hijab Controversy: लखनऊ में कानून-व्यवस्था को लेकर पुलिस ने समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुमैया राणा को ₹5 लाख के बांड पर निवारक नोटिस जारी किया है। हिजाब विवाद से जुड़े प्रस्तावित प्रदर्शन और घेराव की घोषणा को शांति भंग की आशंका से जोड़कर यह कार्रवाई की गई है।
Sumaiya Rana Preventive Notice: समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता और प्रसिद्ध उर्दू शायर दिवंगत मुनव्वर राणा की पुत्री सुमैया राणा (45) को लखनऊ पुलिस ने ₹5 लाख के बांड पर शांति बनाए रखने का निवारक नोटिस जारी किया है। यह नोटिस शनिवार को जारी किया गया था, लेकिन रविवार को इसके सार्वजनिक होने के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई। पुलिस का कहना है कि राजधानी में शांति भंग और कानून-व्यवस्था प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए यह कार्रवाई की गई है। यह नोटिस एसीपी-कम-कार्यपालक मजिस्ट्रेट, कैसरबाग द्वारा BNSS (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) की धारा 126/135 के तहत जारी किया गया है। मामला केस नंबर 685/2025 के अंतर्गत कैसरबाग थाने में दर्ज है।
नोटिस के अनुसार, सुमैया राणा को 22 दिसंबर को एसीपी कैसरबाग की अदालत में उपस्थित होकर यह स्पष्ट करना होगा कि क्यों न उन्हें एक वर्ष तक शांति एवं सदाचार बनाए रखने के लिए बाध्य किया जाए। इसके तहत उनसे ₹5 लाख का व्यक्तिगत बांड, तथा दो जमानतदार, प्रत्येक ₹5 लाख के प्रस्तुत करने को कहा गया है। यदि वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाती हैं, तो उनके खिलाफ आगे की निवारक कार्रवाई की जा सकती है।
पुलिस के अनुसार, यह कार्रवाई 19 दिसंबर को कैसरबाग थाने की उपनिरीक्षक सीमा यादव द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर की गई, जिसे थाना प्रभारी की संस्तुति के साथ आगे भेजा गया था। पुलिस का दावा है कि सुमैया राणा ने हिजाब विवाद से जुड़े मुद्दे पर प्रदर्शन और घेराव (घेराओ) की घोषणा की थी। यह प्रदर्शन कथित तौर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री संजय निषाद की कथित टिप्पणियों के विरोध में प्रस्तावित था। अधिकारियों के अनुसार, प्रस्तावित कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश विधानसभा और मुख्यमंत्री के सरकारी आवास का घेराव करने का आह्वान किया गया था, जो संरक्षित व्यक्तियों की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के लिहाज से गंभीर खतरा पैदा कर सकता था।
पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस समय लखनऊ में BNSS की धारा 163 (पूर्व में धारा 144) के तहत निषेधाज्ञा लागू है। यह आदेश संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) के निर्देश पर पूरे शहर में प्रभावी है। ऐसे में किसी भी प्रकार के सार्वजनिक प्रदर्शन, जुलूस या घेराव की अनुमति नहीं है।
नोटिस सामने आते ही समाजवादी पार्टी ने इसे राजनीतिक दबाव और असहमति की आवाज को दबाने की कोशिश बताया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि लोकतंत्र में विरोध-प्रदर्शन नागरिकों का अधिकार है और सरकार निवारक कानूनों का इस्तेमाल विपक्ष को डराने के लिए कर रही है। सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह कार्रवाई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है। सुमैया राणा एक जिम्मेदार नागरिक और राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। उन्हें बिना किसी हिंसा के अंदेशे के नोटिस देना सत्ता की घबराहट दिखाता है।”
हालांकि खबर लिखे जाने तक सुमैया राणा की ओर से कोई विस्तृत आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि वह कानूनी रास्ता अपनाते हुए अदालत में अपना पक्ष रखेंगी। सूत्रों के मुताबिक, वह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने के पक्ष में हैं और किसी भी तरह की हिंसा या अव्यवस्था का समर्थन नहीं करतीं।