School Holiday Valmiki Jayanti 2025: लखनऊ में योगी सरकार ने महर्षि वाल्मीकि जयंती पर सात अक्टूबर को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी है। मुख्यमंत्री योगी ने श्रावस्ती की सभा में इसका ऐलान किया था। आदेश जारी होते ही वाल्मीकि समाज में खुशी की लहर दौड़ गई और जगह-जगह लोगों ने मिठाइयां बांटकर सरकार का आभार जताया।
Public Holiday Maharshi Valmiki Jayanti: उत्तर प्रदेश सरकार ने महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर सात अक्टूबर को पूरे प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश की औपचारिक घोषणा कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ दिन पहले श्रावस्ती जिले में आयोजित एक सभा के दौरान इसकी घोषणा की थी, जिसके बाद अब राज्य सरकार ने इसे सरकारी आदेश (GO) के रूप में जारी कर दिया है। आदेश के मुताबिक, यह अवकाश सभी राज्य सरकारी कार्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों, निगमों और बोर्डों में लागू रहेगा।
महर्षि वाल्मीकि, जिन्हें ‘आदिकवि’ यानी प्रथम कवि के रूप में जाना जाता है, भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपरा में विशेष स्थान रखते हैं। उन्होंने रामायण जैसी महान काव्य रचना की, जो भारतीय सभ्यता का मूल आधार मानी जाती है। हर वर्ष आश्विन पूर्णिमा के दिन महर्षि वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है, और देशभर में वाल्मीकि समाज के लोग इस दिन विशेष पूजन, शोभायात्रा और भक्ति कार्यक्रम आयोजित करते हैं। यूपी में यह पर्व बड़ी श्रद्धा और भव्यता से मनाया जाता है, खासकर लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर और मेरठ जैसे शहरों में लाखों लोग इसमें शामिल होते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रावस्ती जिले में आयोजित एक कार्यक्रम में समाज के लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि महर्षि वाल्मीकि केवल एक महापुरुष ही नहीं, बल्कि भारतीय समाज के नैतिक मूल्यों के संवाहक हैं। उन्होंने सत्य, त्याग और समरसता का जो संदेश दिया, वही हमारे राष्ट्र की आत्मा है। उनकी जयंती पर प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश रहेगा, ताकि समाज का हर वर्ग उनके आदर्शों से जुड़ सके।” उनके इस वक्तव्य के बाद से ही प्रदेश में महर्षि वाल्मीकि समाज के लोगों में हर्ष की लहर दौड़ गई थी।
मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद राज्य के मुख्य सचिव दुर्योधन सिंह की ओर से आदेश जारी कर दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि महर्षि वाल्मीकि जयंती, जो इस वर्ष सात अक्तूबर को पड़ रही है, पर समस्त शासकीय कार्यालय, निगम, प्राधिकरण, शैक्षणिक संस्थान तथा वित्तीय कार्यालय बंद रहेंगे। इस दिन को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाता है। इसके साथ ही, जिला प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि वाल्मीकि जयंती के आयोजन शांतिपूर्ण और गरिमापूर्ण ढंग से संपन्न हों।
महर्षि वाल्मीकि समाज ने इस फैसले का स्वागत किया है। भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज के अध्यक्ष रामसेवक वाल्मीकि ने कहा कि हम कई वर्षों से इस मांग को उठा रहे थे। मुख्यमंत्री योगी ने हमारी भावना को समझा और इस ऐतिहासिक निर्णय को लिया। यह सिर्फ वाल्मीकि समाज नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। वहीं, लखनऊ के वाल्मीकि बस्ती, चारबाग, गोमती नगर और ऐशबाग इलाकों में इस फैसले के बाद जश्न का माहौल रहा। जगह-जगह मिठाइयां बांटी गईं और मुख्यमंत्री के पोस्टर लगाकर आभार व्यक्त किया गया।
राज्य सरकार के आदेश के अनुसार, सात अक्टूबर को प्रदेश के सभी सरकारी, सहायता प्राप्त, और निजी विद्यालयों में भी अवकाश रहेगा।माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इस आदेश की प्रति सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों (DIOS) को भेज दी है।लखनऊ विश्वविद्यालय, कानपुर विश्वविद्यालय और गोरखपुर विश्वविद्यालय ने भी घोषणा की है कि 7 अक्टूबर को कक्षाएं और परीक्षाएं स्थगित रहेंगी।
महर्षि वाल्मीकि समाज के प्रतिनिधियों ने कई बार प्रदेश सरकारों से मांग की थी कि वाल्मीकि जयंती पर राज्य स्तरीय अवकाश घोषित किया जाए।2015 और 2018 में भी इस संबंध में ज्ञापन सौंपे गए थे, लेकिन किसी सरकार ने औपचारिक निर्णय नहीं लिया था। योगी सरकार ने इस बार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के मंत्र के तहत इस मांग को स्वीकार करते हुए इसे राज्य स्तरीय अवकाश के रूप में मान्यता दी है।
लखनऊ में महर्षि वाल्मीकि जयंती समारोह समिति ने बताया कि इस बार जयंती पर शोभायात्रा, भजन संध्या और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।गोमती नगर, राजाजीपुरम, ऐशबाग और हुसैनगंज क्षेत्रों में वाल्मीकि मंदिरों की सजावट शुरू हो चुकी है। वाराणसी में घाटों पर दीपदान और भजन कार्यक्रम होंगे।
महर्षि वाल्मीकि को आदि कवि कहा जाता है, जिन्होंने संस्कृत में “रामायण” की रचना की। वह समाज में समानता, न्याय और करुणा के प्रतीक माने जाते हैं। उन्होंने भगवान राम और माता सीता की कथा को मानवता के आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया। उनकी शिक्षाएं आज भी समाज को धर्म, करुणा और कर्तव्यनिष्ठा की ओर प्रेरित करती हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, सरकार का यह फैसला सामाजिक दृष्टि से अहम है। इससे वाल्मीकि समाज के साथ-साथ अन्य दलित वर्गों में भी सकारात्मक संदेश जाएगा। राजनीतिक पर्यवेक्षक डॉ. अशोक पांडेय कहते हैं कि योगी सरकार का यह निर्णय सांस्कृतिक और सामाजिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। इससे समाज के एक बड़े तबके को सम्मान की अनुभूति होगी। यह निर्णय न केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक उत्सव के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि इसे सामाजिक समानता और सम्मान की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है। सरकार का उद्देश्य यह है कि समाज के हर वर्ग को बराबरी का स्थान मिले और उनके महापुरुषों को भी वैसी ही मान्यता दी जाए जैसी अन्य महापुरुषों को दी जाती है।