UP Liquor Sale 2024-25: उत्तर प्रदेश में शराब की बिक्री से राज्य सरकार को वित्तीय वर्ष 2024-25 में ऐतिहासिक राजस्व प्राप्त हुआ। प्रदेश के आबकारी विभाग ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए कुल 52,297.08 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया। ये पिछले वर्ष की तुलना में 14.76% अधिक है।
UP Liquor Sale 2024-25: प्रदेश में नई आबकारी नीति लागू की गई है, जिसके तहत अंग्रेजी शराब और बीयर को एक ही दुकान पर बेचा जाएगा। वित्तीय वर्ष 2024-25 में सरकार को जबरदस्त मुनाफा हुआ है। माना जा रहा है कि अवैध शराब पर सख्त नियंत्रण और नई आबकारी नीति के चलते यह बढ़ोतरी संभव हुई है।
बीते वर्ष उत्तर प्रदेश में शराब की खपत में भारी इजाफा देखा गया। आबकारी विभाग के आंकड़ों के अनुसार यूपी के लोगों ने इस वित्तीय वर्ष में 52 हजार करोड़ रुपये से अधिक की शराब खरीदी, जिससे सरकार को भारी मुनाफा हुआ। पिछले साल की तुलना में यह 14.76% की वृद्धि को दर्शाता है। अधिकारियों का मानना है कि अवैध शराब पर प्रभावी अंकुश लगाने के कारण यह राजस्व तेजी से बढ़ा है।
प्रदेश में नई आबकारी नीति लागू की गई है, जिसके तहत अंग्रेजी शराब और बीयर को एक ही दुकान पर बेचा जाएगा। इससे खुदरा बिक्री में तेजी आई है और सरकार की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है। नीति के तहत दुकानों की संख्या बढ़ाने और बिक्री प्रणाली को सरल बनाने पर जोर दिया गया, जिससे राजस्व में उछाल देखा गया।
आबकारी विभाग के आंकड़ों के अनुसार:
यह लगातार तीसरा वर्ष है जब आबकारी विभाग ने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए अधिक राजस्व प्राप्त किया है।
प्रदेश सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 में 55,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व अर्जित करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अवैध शराब पर और अधिक सख्ती बरती जाएगी और नई नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगने से अधिक लोग लाइसेंसी दुकानों से शराब खरीद रहे हैं, जिससे सरकार को राजस्व में सीधा फायदा हुआ है। इसके अलावा, नियमित निरीक्षण और सख्त कार्रवाई के चलते नकली और अवैध शराब का कारोबार लगभग खत्म हो गया है।
उत्तर प्रदेश में शराब की खपत और उससे प्राप्त होने वाले राजस्व में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। नई नीतियों, अवैध शराब पर नियंत्रण और बेहतर प्रशासनिक उपायों के चलते सरकार को इस क्षेत्र से भारी मुनाफा हो रहा है। अगले वर्ष के लिए 55,000 करोड़ रुपये से अधिक का लक्ष्य रखा गया है, जिससे यह स्पष्ट है कि आबकारी विभाग भविष्य में भी राजस्व बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।