लखनऊ

Online Attendance: यूपी के सरकारी स्कूलों में डिजिटल हाजिरी लागू, लेट आने वाले शिक्षकों पर सख्ती का नया नियम

UP Mandates Online Attendance for Primary Teachers: उत्तर प्रदेश में परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की उपस्थिति व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया गया है। अब सभी शिक्षकों को स्कूल खुलने के एक घंटे के भीतर ऑनलाइन डिजिटल माध्यम से हाजिरी दर्ज करनी होगी, जिससे शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और अनुशासन सुनिश्चित किया जाएगा।

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Dec 10, 2025
ऑनलाइन हाजिरी अनिवार्य, एक घंटे के भीतर दर्ज करनी होगी उपस्थिति (फोटो सोर्स : AI)

Online Attendance Basic Education: उत्तर प्रदेश में परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के लिए एक बड़ा और महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय लिया गया है। अब प्रदेश के सभी प्राथमिक शिक्षकों को अपनी उपस्थिति ऑनलाइन डिजिटल माध्यम से दर्ज करानी होगी। यह फैसला उच्च न्यायालय के निर्देश पर गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर लिया गया है। शासन ने स्पष्ट किया है कि विद्यालय खुलने के एक घंटे के भीतर शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज करना अनिवार्य होगा, उसके बाद सिस्टम स्वतः लॉक हो जाएगा।

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क्यों लिया गया यह फैसला

उत्तर प्रदेश में लंबे समय से सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की समय पर उपस्थिति को लेकर सवाल उठते रहे हैं। कई बार निरीक्षण के दौरान शिक्षक अनुपस्थित पाए गए, जिससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई। इस विषय पर उच्च न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए सरकार को शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए प्रभावी व्यवस्था बनाने का निर्देश दिया था। उसी के अनुपालन में विभागीय स्तर पर एक समिति का गठन किया गया, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर अब डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम लागू किया जा रहा है।

किन पर पड़ेगा असर

यह निर्णय प्रदेश के लगभग 1.33 लाख परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत करीब 4.50 लाख शिक्षकों पर लागू होगा। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक दोनों श्रेणियों के विद्यालयों को इस व्यवस्था के तहत लाया गया है। इससे प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने का दावा किया जा रहा है।

कैसे होगी ऑनलाइन उपस्थिति

शासन के आदेश के अनुसार, विद्यालय खुलने के समय से लेकर एक घंटे के भीतर शिक्षकों की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज करनी होगी। यह प्रक्रिया विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा पूरी की जाएगी। यदि किसी कारणवश प्रधानाध्यापक यह कार्य करने में सक्षम नहीं होते हैं, तो यह जिम्मेदारी किसी अन्य नामित शिक्षक को सौंपी जाएगी। उपस्थिति दर्ज करने के बाद एक घंटे की समय सीमा समाप्त होते ही डिजिटल सिस्टम स्वतः लॉक हो जाएगा, ताकि बाद में किसी तरह का हेरफेर न हो सके।

नेटवर्क फेल होने पर क्या होगा

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में नेटवर्क की समस्या को ध्यान में रखते हुए वैकल्पिक व्यवस्था भी रखी गई है। यदि इंटरनेट या नेटवर्क की खराबी के कारण ऑनलाइन हाजिरी दर्ज नहीं हो पाती है, तो उस स्थिति में ऑफ लाइन उपस्थिति दर्ज की जाएगी। जैसे ही नेटवर्क सुचारु होगा, यह जानकारी स्वतः डिजिटल प्रणाली में सिंक कर दी जाएगी।

बिना शिक्षक की सुने कार्रवाई नहीं

शिक्षकों को राहत देते हुए आदेश में यह भी साफ किया गया है कि बिना शिक्षक का पक्ष सुने उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। यदि कोई शिक्षक अनुपस्थित पाया जाता है, तो पहले उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। जवाब संतोषजनक नहीं होने की स्थिति में ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। इससे यह संदेश दिया गया है कि व्यवस्था का उद्देश्य दंड नहीं, बल्कि जवाबदेही सुनिश्चित करना है।

2024 में भी आया था ऐसा आदेश

यह व्यवस्था पहली बार नहीं लाई जा रही है। वर्ष जुलाई 2024 में भी डिजिटल अटेंडेंस लागू करने का आदेश जारी किया गया था। उस समय शिक्षकों के संगठनों ने इसका तीखा विरोध किया था। उनका तर्क था कि जब तक शिक्षकों की बुनियादी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक इस तरह की सख्त व्यवस्था लागू करना उचित नहीं है। विरोध के बाद तत्कालीन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी और मामला फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया गया था।

शिक्षक संगठनों का विरोध जारी

हालांकि नया आदेश जारी होने के बाद भी शिक्षक संगठनों का विरोध कम नहीं हुआ है। शिक्षक नेताओं का कहना है कि सरकार ने उनकी पुरानी मांगों को अभी तक पूरा नहीं किया है, लेकिन उन पर डिजिटल निगरानी जैसी व्यवस्था थोप दी गई है।

शिक्षकों की प्रमुख मांगों में शामिल हैं:

  • ईएल (अर्जित अवकाश) और सीएल (आकस्मिक अवकाश) की सुविधा
  • आधे दिन के अवकाश की व्यवस्था
  • बेहतर मेडिकल सुविधाएं
  • सामूहिक बीमा
  • गृह जिले में तैनाती की नीति
  • गैर शैक्षणिक कार्यों से शिक्षकों को मुक्त रखना
  • शिक्षक संगठनों का कहना है कि इन मुद्दों पर स्पष्ट नीति बनाए बिना सिर्फ उपस्थिति को लेकर दबाव डालना उचित नहीं है।

समिति की भूमिका और सिफारिशें

हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर को शिक्षकों की उपस्थिति व्यवस्था को लेकर निर्देश जारी किए थे। इसके बाद विभाग ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया। इस समिति में प्रमुख रूप से:

  • महानिदेशक, स्कूल शिक्षा
  • निदेशक, समाज कल्याण व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग
  • निदेशक, बेसिक शिक्षा
  • एससीईआरटी के प्रतिनिधि
  • बीएसए लखनऊ
  • सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन

शिक्षक प्रतिनिधि को शामिल किया गया था। इस समिति की बैठक 6 नवंबर को हुई, जिसमें डिजिटल उपस्थिति प्रणाली को लागू करने की सिफारिश की गई। उसी के आधार पर शासन ने अब आधिकारिक आदेश जारी किया है।

शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता की कोशिश

शासन का कहना है कि इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों पर अनावश्यक दबाव डालना नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और अनुशासन को बढ़ाना है। समय पर शिक्षक विद्यालय में उपस्थित रहेंगे तो विद्यार्थियों की पढ़ाई नियमित और प्रभावी ढंग से हो सकेगी।

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