UPPCL Employees Salary Cut Protest: उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के आउटसोर्सिंग बिजली कर्मियों में वेतन कटौती और फेस अटेंडेंस सिस्टम को लेकर भारी आक्रोश है। कर्मचारियों का कहना है कि बिना उचित बायोमेट्रिक व्यवस्था के मोबाइल से उपस्थिति थोपना अन्याय है। प्रबंधन की नीति के खिलाफ 14 नवम्बर को एमडी कार्यालय घेराव की घोषणा की गई है।
UP Power Employees Protest Salary Cuts: उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों में भारी आक्रोश व्याप्त है। प्रबंधन द्वारा वेतन कटौती और बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली में अनियमितताओं के विरोध में शुक्रवार, 14 नवम्बर 2025 को मध्यांचल विद्युत वितरण निगम मुख्यालय, लखनऊ में जोरदार प्रदर्शन की घोषणा की गई है। कर्मचारियों का कहना है कि बिना उचित व्यवस्था के उन पर “फेस अटेंडेंस” थोपकर वेतन रोकना अन्यायपूर्ण है।
पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने कुछ माह पहले प्रदेशभर के सभी डिस्कॉम (DISCOM) और क्षेत्रीय कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक सिस्टम स्थापित करने का आदेश जारी किया था। आदेश का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और फर्जी हाजिरी की शिकायतों को रोकना बताया गया था।
किन्तु, सूत्रों के अनुसार अधिकांश डिस्कामों ने आदेश का पालन करते हुए स्थायी बायोमेट्रिक मशीनें स्थापित करने के बजाय आउटसोर्स कर्मचारियों पर अपने निजी एंड्रॉयड मोबाइल से फेस अटेंडेंस लगाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। कई स्थानों पर तो मौखिक रूप से यह चेतावनी दी गई कि जो कर्मचारी फेस अटेंडेंस नहीं लगाएगा, उसका वेतन रोका जाएगा।
शुरुआती चरण में पावर कॉरपोरेशन ने व्यवस्था दी थी कि एक मोबाइल से तीन कर्मचारियों का फेस अटेंडेंस दर्ज किया जा सकेगा। इससे वे कर्मचारी भी उपस्थित दर्ज करा पा रहे थे जिनके पास व्यक्तिगत एंड्रॉयड फोन नहीं थे। लेकिन 1 सितम्बर 2025 से इस व्यवस्था में बदलाव करते हुए एक मोबाइल से केवल एक ही कर्मचारी का फेस अटेंडेंस स्वीकार करने का नियम लागू कर दिया गया।
इस बदलाव से भारी संकट खड़ा हो गया। जिन आउटसोर्स कर्मचारियों के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं था, वे अब उपस्थिति दर्ज नहीं करा पा रहे थे। नतीजतन, उनका फेस अटेंडेंस सिस्टम में दिखना बंद हो गया और डिस्काम कार्यालयों ने ऐसे कर्मचारियों का सितम्बर माह से वेतन रोक दिया।
जानकारी के अनुसार केवल राजधानी लखनऊ ही नहीं, बल्कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के कई जनपदों में यह समस्या उत्पन्न हुई है। उदाहरण के तौर पर विद्युत नगरीय वितरण खंड, राजाजीपुरम (लेसा लखनऊ) के अंतर्गत 33/11 केवी पाल तिराहा उपकेंद्र पर कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारी हेमराज को सितम्बर 2025 से अब तक वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। ऐसे सैकड़ों कर्मचारी हैं जिनकी मासिक उपस्थिति खंडीय स्तर पर सत्यापित कर डिस्काम कार्यालयों को भेजी जा रही है, फिर भी वेतन भुगतान नहीं हो रहा है। इससे कर्मचारियों में गहरा असंतोष फैल गया है।
कर्मचारियों का कहना है कि अक्टूबर 2025 में 8 घंटे प्रतिदिन, 26 दिन से अधिक कार्य करने के बावजूद प्रबंधन ने अतिरिक्त कार्य का भुगतान नहीं किया। इसके विपरीत, किसी कर्मचारी के चार दिन तो किसी के छह दिन का वेतन काट लिया गया।
मध्यांचल प्रबंधन द्वारा की गई इस कटौती ने कर्मचारियों में असंतोष को और बढ़ा दिया है। नाराज कर्मचारियों ने विद्युत नगरीय वितरण मंडल तृतीय तालकटोरा व मुख्य अभियंता मध्य जोन चौक, लखनऊ कार्यालय का घेराव किया। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि वेतन भुगतान तत्काल शुरू नहीं हुआ, तो आंदोलन को प्रदेशव्यापी रूप दिया जाएगा।
वेतन कटौती और बायोमेट्रिक व्यवस्था के विरोध में उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन निविदा संविदा कर्मचारी संघ ने आगामी 14 नवम्बर 2025 को एमडी, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लखनऊ कार्यालय पर प्रदर्शन करने की घोषणा की है।
संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि उन्होंने कई बार लिखित और मौखिक रूप से यह मांग की है कि जब तक सभी कार्यालयों में बायोमेट्रिक मशीनें स्थापित नहीं हो जातीं, तब तक कर्मचारियों पर मोबाइल से फेस अटेंडेंस लगाने का दबाव न बनाया जाए।
निविदा संविदा कर्मचारी संघ लखनऊ इकाई ने हाल ही में विद्युत नगरीय वितरण मंडल नवम, इंदिरा नगर लखनऊ में अधीक्षण अभियंता के माध्यम से अध्यक्ष, पावर कार्पोरेशन को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में वर्टिकल व्यवस्था लागू न करने का अनुरोध करते हुए कहा गया कि यह प्रणाली न केवल तकनीकी रूप से अव्यवहारिक है, बल्कि आर्थिक रूप से भी कर्मचारियों पर बोझ डाल रही है।
संघ ने यह भी कहा कि कई ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या के कारण फेस अटेंडेंस समय पर नहीं हो पा रहा है, जिससे कर्मचारियों की उपस्थिति गलत दर्ज हो रही है और वेतन रुकने जैसी स्थितियाँ पैदा हो रही हैं।
कर्मचारी नेताओं का कहना है कि उन्होंने बार-बार प्रबंधन को पत्र लिखकर आगाह किया है कि बिना तकनीकी तैयारी और उपकरण उपलब्ध कराए कर्मचारियों पर नई व्यवस्था लागू करना अमानवीय है। संघ ने कहा कि यदि नवम्बर माह तक सभी कर्मचारियों के वेतन का भुगतान नहीं हुआ, तो आंदोलन प्रदेशभर में फैलाया जाएगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी मध्यांचल प्रबंधन की होगी।”
उधर, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के अधिकारी इस मामले पर खुलकर बोलने से बच रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “फेस अटेंडेंस सिस्टम पारदर्शिता की दिशा में उठाया गया कदम है। कुछ तकनीकी अड़चनें आई हैं, जिन्हें दूर किया जा रहा है।” हालांकि, कर्मचारियों का कहना है कि यह जवाब केवल टालमटोल है, क्योंकि “तकनीकी अड़चनों” के नाम पर उनके परिवारों को आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है।
आउटसोर्स कर्मचारियों के विरोध के चलते कई विद्युत उपकेंद्रों पर कार्य प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है। संघ का कहना है कि यदि जल्द समाधान नहीं निकला, तो वे सभी कार्य स्थलों पर कार्य बहिष्कार करेंगे, जिससे बिजली आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। कर्मचारियों की यह भी शिकायत है कि आउटसोर्स स्टाफ से ही सबसे अधिक कार्य लिया जाता है ,बिजली आपूर्ति, बिल वितरण, मीटर रीडिंग, शिकायत निस्तारण लेकिन待遇 के मामले में उन्हें सबसे पीछे रखा जाता है।