लखनऊ

UP Road Accident: उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों का कहर: पांच माह में 7,700 मौतें, अपराह्न और थकान बने सबसे बड़े कारण

UP Road Safety: उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों का कहर, पांच माह में 7,700 मौतें। दोपहर और शाम का समय सबसे खतरनाक। नींद की कमी और ड्राइवर की थकान हादसों के मुख्य कारण। राज्य सरकार ने निगरानी, स्पीड कंट्रोल और जागरूकता के लिए नई रणनीति अपनाने की सिफारिश की है।

3 min read
May 26, 2025
फोटो सोर्स :Google

UP Road Accident 2025:  उत्तर प्रदेश में सड़क सुरक्षा को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। वर्ष 2025 में अब तक सिर्फ पांच माह में ही राज्य में 13,000 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें लगभग 7,700 लोगों की मौत हो गई। यह आंकड़ा न केवल दुखद है, बल्कि राज्य में सड़क सुरक्षा की गंभीर स्थिति को भी दर्शाता है। राज्य के सड़क सुरक्षा और जागरूकता प्रकोष्ठ द्वारा तैयार की गई इस विश्लेषणात्मक रिपोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि सबसे अधिक दुर्घटनाएं अपराह्न (दोपहर 12 से शाम 6 बजे) और शाम (6 से 9 बजे) के बीच होती हैं। इन समयों में होने वाली दुर्घटनाएं सबसे अधिक घातक सिद्ध हो रही हैं।

आंकड़ों में उत्तर प्रदेश की सड़क दुर्घटनाएं

1 . जनवरी से मई 2025 तक

  • कुल दुर्घटनाएं: 13,000+
  • मौतें: 7,700+

2. पूरे 2024 में

  • कुल सड़क हादसे: 46,052
  • मौतें: 24,118
  • घायल: 34,665

3 . 2023 की तुलना में

  • हादसे: 44,534
  • मौतें: 23,652
  • घायल: 31,098

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि हादसों और मौतों की संख्या में साल दर साल वृद्धि हो रही है।

कौन-से समय सबसे अधिक घातक

रिपोर्ट में बताया गया कि सभी दुर्घटनाओं में से 60% से अधिक अपराह्न और शाम के समय में हुईं। सबसे गंभीर स्थिति निम्नलिखित समय खंडों में देखी गई:

समय अवधिदुर्घटनाएंमौतेंमुख्य कारण
अपराह्न (12PM–6PM)4,3522,238तेज गर्मी, थकान, गति
शाम (6PM–9PM)3,2541,945ऑफिस के बाद जाम, दृश्यता की कमी
सुबह (6AM–12PM)2,6291,447ऑफिस/स्कूल ट्रैफिक
रात (9PM–3AM)2,5851,699तेज गति, थकान, खाली सड़कें
तड़के (3AM–6AM)506392मृत्यु दर 77% - सबसे अधिक

तड़के के समय में दुर्घटनाओं की संख्या तो कम थी, लेकिन मृत्यु दर सबसे अधिक रही, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि चालक की थकावट और नींद की कमी कितनी घातक हो सकती है।

प्रमुख कारण – चालक की थकान और नींद की कमी

रिपोर्ट के अनुसार, दुर्घटनाओं के पीछे सबसे बड़ा कारण वाहन चालकों की थकान और नींद की कमी है। विशेष रूप से लंबे सफर करने वाले या वाणिज्यिक वाहन चलाने वाले ड्राइवर इस समस्या से ज्यादा प्रभावित होते हैं।

  • गर्मी के मौसम में दोपहर के वक्त थकावट जल्दी होती है।
  • नींद पूरी न होने पर चालक की प्रतिक्रिया क्षमता घट जाती है।
  • थकावट और ध्यान भटकने से वाहन की गति और नियंत्रण पर असर पड़ता है।

सुझाव और सिफारिशें – समाधान की दिशा में कदम

उत्तर प्रदेश सरकार के सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कई ठोस सुझाव दिए गए हैं:

1 . संवेदनशील समय में पुलिस तैनाती और अभियान

  • अपराह्न और शाम के समय विशेष अभियान चलाना।
  • अधिक ट्रैफिक वाले क्षेत्रों में पुलिस की तैनाती।

2.  गति नियंत्रण उपकरणों की तैनाती

  • स्पीड डिटेक्टर और ऑटोमैटिक चालान प्रणाली।

3. सीसीटीवी निगरानी में सुधार

  • ट्रैफिक उल्लंघनों की वास्तविक समय में पहचान।

4 . आपातकालीन सेवाओं की तेज प्रतिक्रिया

  • दुर्घटनास्थल पर एंबुलेंस की त्वरित पहुंच।
  • दुर्घटना के समय रास्ता साफ करने की व्यवस्था।

5 . चालकों के लिए विश्राम स्थलों की व्यवस्था

  • देर रात सफर करने वालों के लिए विश्राम क्षेत्र।
  • 24x7 हेल्पलाइन और नौपरिवहन सहायता।

6 . वाणिज्यिक वाहन निगरानी

  • राजमार्ग पर विशेष जांच चौकियां।
  • ड्राइवरों की थकावट का मूल्यांकन।

मुख्यमंत्री का लक्ष्य और राज्य की जिम्मेदारी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों को 50% तक कम करने का लक्ष्य घोषित किया है। यह लक्ष्य तभी संभव है जब राज्य, प्रशासन, और आम जनता मिलकर सहयोग करें।

  • स्कूलों और ऑफिसों में रोड सेफ्टी शिक्षा देना जरूरी है।
  • आम नागरिकों को भी जागरूक होकर यातायात नियमों का पालन करना होगा।
  • वाहन निर्माता कंपनियों को भी तकनीकी सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए।

सड़क सुरक्षा ,एक सामूहिक जिम्मेदारी

उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों की बढ़ती संख्या केवल आंकड़े नहीं, बल्कि हजारों परिवारों का टूटना है।जब तक हम थकावट, नींद की कमी, तेज गति और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी को नजरअंदाज करते रहेंगे, तब तक सड़कें असुरक्षित ही रहेंगी। सरकार, ट्रैफिक विभाग, ड्राइवर, और आम जनता – सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे ताकि सड़कें सुरक्षित बनें और अनमोल जीवन बचाया जा सके।

यातायात नियमों का पालन करें – जीवन की रक्षा करें।
 "सुरक्षित सफर ही सुखद सफर है।" 

Also Read
View All

अगली खबर