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KGMU: बाहर की दवा लिखने वाले डॉक्टरों पर सख्ती, प्रिस्क्रिप्शन ऑडिट शुरू

KGMU Lucknow News: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) ने मरीजों को महंगी बाहर की दवाएं लिखने वाले डॉक्टरों पर शिकंजा कसने की शुरुआत कर दी है। डॉक्टरों के पर्चों का ऑडिट शुरू कर दिया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मरीजों को अस्पताल की सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं मिलें।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

May 25, 2025

फोटो सोर्स:Google

फोटो सोर्स:Google

KGMU Lucknow: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU), लखनऊ ने मरीजों को बाहर की महंगी दवाएं लिखने वाले डॉक्टरों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। प्रशासन ने डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाओं का ऑडिट शुरू कर दिया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि मरीजों को अस्पताल के एचआरएफ काउंटर से सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं मिलें।

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ऑडिट की शुरुआत और उद्देश्य

ऑडिट की शुरुआत आर्थोपेडिक विभाग से की गई है, जहां दो सदस्यीय समिति डॉक्टरों द्वारा लिखी गई दवाओं की जांच कर रही है। इस प्रक्रिया में यह देखा जा रहा है कि डॉक्टर ब्रांडेड दवाओं के बजाय जेनेरिक दवाएं लिख रहे हैं या नहीं, और क्या लिखी गई दवाएं एचआरएफ काउंटर पर उपलब्ध हैं। इस पहल का उद्देश्य मरीजों को अनावश्यक आर्थिक बोझ से बचाना और चिकित्सकीय नैतिकता को बनाए रखना है।

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एचआरएफ काउंटर और दवाओं की उपलब्धता

एचआरएफ काउंटर पर नामचीन कंपनियों की दवाएं, स्टंट और सर्जिकल सामान उपलब्ध हैं, जिन्हें मरीज रियायती दरों पर प्राप्त कर सकते हैं। इसके बावजूद, कुछ डॉक्टर मरीजों को बाहर की महंगी दवाएं लिख रहे हैं, जिससे गरीब मरीजों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

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मरीजों की शिकायतें और प्रशासन की प्रतिक्रिया

मरीजों ने शिकायत की है कि डॉक्टर उन्हें बाहर की जांच, दवाएं और सर्जिकल उपकरण लिख रहे हैं। एक मरीज ने वैस्कुलर सर्जरी विभाग के एक डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद प्रशासन ने जांच समिति गठित की। हालांकि, अभी तक आरोपी डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

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प्रिस्क्रिप्शन ऑडिट के लाभ

  • मरीजों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराना: ऑडिट से यह सुनिश्चित होगा कि मरीजों को अस्पताल के एचआरएफ काउंटर से ही दवाएं मिलें।
  • डॉक्टरों की जवाबदेही बढ़ाना: ऑडिट से डॉक्टरों की प्रिस्क्रिप्शन प्रथाओं पर निगरानी रखी जाएगी, जिससे अनियमितताओं को रोका जा सकेगा।
  • चिकित्सकीय नैतिकता को बनाए रखना: ब्रांडेड दवाओं के बजाय जेनेरिक दवाएं लिखने से चिकित्सकीय नैतिकता को बढ़ावा मिलेगा।

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KGMU प्रशासन ने संकेत दिया है कि यदि आर्थोपेडिक विभाग में ऑडिट सफल रहता है, तो इसे अन्य विभागों में भी लागू किया जाएगा। इसके अलावा, डॉक्टरों को प्रिस्क्रिप्शन में जेनेरिक नामों का उपयोग करने और उन्हें बड़े अक्षरों में लिखने के लिए निर्देशित किया गया है, जिससे मरीजों को दवाएं प्राप्त करने में आसानी हो।