उत्तर प्रदेश सरकार ने लगातार छठे वर्ष बिजली दरों को स्थिर रखकर देश में ऊर्जा प्रबंधन का नया मानदंड स्थापित किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रभावी आर्थिक अनुशासन, संरचनात्मक सुधारों और सौर ऊर्जा क्रांति ने न सिर्फ जनता को राहत दी है, बल्कि यूपी को निवेश के लिए भरोसेमंद गंतव्य भी बनाया है।
UP Sets National Benchmark: देशभर में बढ़ती महंगाई और ऊर्जा लागत के बीच उत्तर प्रदेश ने वह काम कर दिखाया है, जो आज किसी भी बड़े राज्य के लिए उदाहरण बन गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य ने न केवल लगातार छठे वर्ष बिजली दरों में कोई वृद्धि नहीं की, बल्कि ऊर्जा प्रबंधन, उत्पादन, वितरण और राजस्व नियंत्रण में एक ऐसा मॉडल स्थापित किया है जिसने आर्थिक अनुशासन और राजनीतिक इच्छाशक्ति की मजबूत मिसाल पेश की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में, यूपी सरकार द्वारा लागू की गई दूरदर्शी ऊर्जा नीतियों ने ऐसा परिणाम दिया, जिससे गरीब, किसान, मजदूर, व्यापारी और मध्यम वर्गीय परिवारों को सीधी राहत मिली है। जब कई राज्य बिजली दरों में बढ़ोतरी कर चुके हैं, तब उत्तर प्रदेश की स्थिर कीमतें जनता के लिए “आर्थिक सुरक्षा कवच” बनकर उभरी हैं।
ऊर्जा क्षेत्र में योगी सरकार की उपलब्धियों में सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि है,पिछले कुछ वर्षों में बिजली वितरण कंपनियों द्वारा हासिल किया गया 15,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व अधिशेष। यह अधिशेष किसी संयोग का परिणाम नहीं है, बल्कि तकनीकी सुधार,लाइन लॉस में कमी,स्मार्ट मीटरिंग,पारदर्शी बिलिंग,बिजली चोरी पर नियंत्रण,समय पर मेंटेनेंस और संरचनात्मक निवेश जैसे प्रबंधन सुधारों का प्रत्यक्ष परिणाम है। राजस्व अधिशेष ने यूपी को यह आर्थिक क्षमता दी कि वह बिना बिजली दर बढ़ाए भी पूरी व्यवस्था को लाभ में बनाए रख सके।
बिजली दरों में स्थिरता का लाभ केवल घरेलू उपभोक्ताओं तक सीमित नहीं है। उद्योगों के लिए ऊर्जा लागत किसी भी उत्पादन की रीढ़ होती है। यूपी में स्थिर, किफायती और लगातार बेहतर होती विद्युत आपूर्ति ने राज्य को नए निवेश,औद्योगिक विस्तार,और बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए एक भरोसेमंद गंतव्य बनाया है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गोरखपुर, कानपुर और लखनऊ जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में निवेशक विशेष रूप से यूपी की ऊर्जा नीति से प्रभावित हुए हैं। यह वजह है कि बीते सात वर्षों में उत्तर प्रदेश देश के सबसे तेजी से उभरते उद्योग केंद्रों में शामिल हो चुका है।
राज्य सरकार ने ऊर्जा उत्पादन में नयी परियोजनाएं, ट्रांसमिशन नेटवर्क विस्तार,सब स्टेशन क्षमता बढ़ाने,ओवरलोडिंग घटाने,भूमिगत केबलिंग, और पुराने तारों-ट्रांसफार्मरों के नवीनीकरण पर बड़े स्तर पर काम किया। ग्रामीण क्षेत्रों में लंबे समय तक बिजली आपूर्ति और शहरों में निर्बाध बिजली व्यवस्था इस निवेश का सीधा परिणाम है।
सौर ऊर्जा में यूपी की ऐतिहासिक छलांग : देश में तीसरा सबसे बड़ा सोलर राज्य
इन आंकड़ों ने उत्तर प्रदेश को महाराष्ट्र और गुजरात के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा सोलर बिजली उत्पादक राज्य बना दिया है। सौर ऊर्जा के विस्तार से उपभोक्ताओं के बिल कम हुए,पर्यावरण को लाभ मिला,नए रोजगार के अवसर बने,सिर्फ यूपी में ही 54,000 युवाओं को सीधा रोजगार मिला है, जबकि देशभर में लाखों अवसर पैदा हुए।
1 अप्रैल 2025 तक यूपीपीसीएल का 18,592 करोड़ रुपये का रेगुलेटरी सरप्लस
औसत आपूर्ति लागत ₹8.18 प्रति यूनिट, जबकि औसत बिलिंग दर ₹7.61 प्रति यूनिट तय की गई है। प्रबंधन और स्थिरता की मिसाल-आम जनता को मिला सीधा लाभ। योगी सरकार के ऊर्जा प्रबंधन मॉडल ने यह साबित किया है कि जनहित,आर्थिक अनुशासन,नीतिगत प्रतिबद्धता और सुरक्षा एक साथ संभव है। बिजली दरों के स्थिर रहने से गरीब परिवारों का घरेलू बजट बचा,किसानों पर सिंचाई लागत का बोझ नहीं बढ़ा।
छह वर्षों तक स्थिर बिजली दरें केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि ऊर्जा सुधारों और पारदर्शी प्रबंधन की एक बड़ी सफलता हैं। यूपी ने दिखा दिया है कि अगर प्रबंधन सही हो, नीति स्पष्ट हो और राजनीतिक इच्छा शक्ति मजबूत हो,तो जनता को राहत देते हुए भी व्यवस्था को लाभ में रखा जा सकता है। आज उत्तर प्रदेश उस मुकाम पर खड़ा है, जहां वह न केवल बड़े राज्यों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए ऊर्जा प्रबंधन और आर्थिक अनुशासन का उत्कृष्ट मॉडल बन चुका है।