UP STF Turtle Smuggling: उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने लखनऊ के काकोरी क्षेत्र से अंतरराष्ट्रीय कछुआ तस्करी गिरोह के सदस्य को गिरफ्तार कर बड़ा खुलासा किया है। इस कार्रवाई में 102 जीवित कछुए बरामद हुए। आरोपी कछुओं को विदेशी बाजारों में ऊंचे दामों पर बेचने के लिए तस्करी कर रहा था। जांच में अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के जुड़ाव के संकेत मिले हैं।
UP STF International Turtle Smuggling Gang Busted: उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कछुओं की अवैध तस्करी के नेटवर्क पर बड़ी कार्रवाई करते हुए लखनऊ के काकोरी थाना क्षेत्र अंतर्गत यरथीपुर गांव से एक तस्कर को गिरफ्तार किया है। इस अभियान के दौरान एसटीएफ को कुल 102 जीवित कछुए बरामद हुए। गिरफ्तार किए गए आरोपी की पहचान प्रिंस पुत्र योगी के रूप में हुई है, जो गोसाईगंज, थाना काकोरी, जनपद लखनऊ का निवासी है।
इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि प्रदेश के कई जिलों में दुर्लभ और संरक्षित प्रजातियों के कछुओं की तस्करी का एक सशक्त नेटवर्क काम कर रहा है, जिसका जाल अंतरराष्ट्रीय बाजार तक फैला हुआ है। इस नेटवर्क के तार बांग्लादेश, म्यांमार, चीन, हांगकांग, मलेशिया तक जुड़े हैं, जहां इन कछुओं की भारी मांग है।
एसटीएफ उत्तर प्रदेश को लंबे समय से सूचनाएं मिल रही थीं कि प्रदेश के लखनऊ, बलरामपुर, लखीमपुर खीरी, सुल्तानपुर समेत अन्य जिलों से कछुओं की अवैध तस्करी बड़े पैमाने पर की जा रही है। इस पर कई टीमों को सूचना संकलन और आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे।
शुक्रवार सुबह करीब 9:05 बजे एसटीएफ ने एक गुप्त सूचना के आधार पर यरथीपुर गांव में दबिश दी। इस दौरान प्रिंस को पकड़ा गया, जो मोटरसाइकिल पर कछुओं से भरा एक कंटेनर लेकर जा रहा था। मौके पर 102 जीवित कछुए, एक मोटरसाइकिल (UP32PB0682), एक मोबाइल फोन, आधार कार्ड, पैन कार्ड और ₹1770 नकद बरामद किए गए।
भारत में कुल 29 प्रजातियों के कछुए पाए जाते हैं, जिनमें से 15 प्रजातियां उत्तर प्रदेश में मिलती हैं। चिंता की बात यह है कि इनमें से 11 प्रजातियां अवैध व्यापार के लिए इस्तेमाल की जाती हैं।
कछुओं को सॉफ्ट शेल (Soft Shell) और हार्ड शेल (Hard Shell) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इनकी प्राकृतिक निवास स्थली यमुना, गंगा, चंबल, घाघरा, गंडक और सोन नदियों के साथ-साथ तालाबों और अन्य जलस्रोतों में पाई जाती है।
पकड़े गए आरोपी से पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि पकड़े गए कछुओं को असम और पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश और म्यांमार ले जाया जाना था। यहां से इनका नेटवर्क चीन, हांगकांग, मलेशिया तक फैला हुआ है। इन देशों में कछुओं की ऊंची कीमत मिलने के चलते तस्कर भारी मुनाफा कमाते हैं। 1 कछुए की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 500 से 5000 डॉलर तक जाती है, जो तस्करों के लिए बड़ा आर्थिक प्रलोभन है।
उत्तर प्रदेश एसटीएफ बीते कई वर्षों से कछुआ तस्करी के नेटवर्क पर कार्रवाई कर रही है। इससे पहले भी लखीमपुर, बलरामपुर, बहराइच, गोंडा से सैकड़ों कछुए बरामद किए जा चुके हैं। एसटीएफ अधिकारियों के अनुसार इस नेटवर्क में स्थानीय तस्कर, बिचौलिए और अंतरराष्ट्रीय गिरोह शामिल हैं। कई नेक्सस में जंगल माफिया और अवैध शिकार करने वाले गिरोह भी जुड़े होते हैं। इस ताजे मामले में पकड़े गए प्रिंस के संपर्कों की जांच की जा रही है। इसके मोबाइल डेटा, कॉल रिकॉर्डिंग और वित्तीय लेन-देन की गहन जांच शुरू हो चुकी है।
भारत में कछुआ तस्करी को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत कठोर अपराध माना जाता है। इस अधिनियम के तहत:दोषी पाए जाने पर 3 से 7 साल तक की जेल हो सकती है। साथ ही भारी आर्थिक जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
एसटीएफ अधिकारियों ने बताया कि इस केस में काकोरी थाने में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और आरोपी को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है।
उत्तर प्रदेश के वन विभाग और एसटीएफ ने आम जनता से अपील की है कि यदि कहीं भी कछुओं की तस्करी, अवैध व्यापार या शिकार की कोई जानकारी मिले तो तुरंत स्थानीय पुलिस या वन विभाग को सूचना दें। कछुए हमारे जैव विविधता के बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और इनकी रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है।