MP News: मप्र-राजस्थान की सीमा पर चंबल नदी पर यह झील सबसे कम बजट और समय सीमा में तैयार होने वाली एशिया की पहली मानव निर्मित झील है। बनने में लगे 6 साल...।
MP News: एशिया की पहली मानव निर्मित गांधीसागर झील आज 65 साल की हो गई। मप्र-राजस्थान की सीमा पर चंबल नदी पर यह झील सबसे कम बजट(lowest budget lake) और समय सीमा में तैयार होने वाली एशिया की पहली झील है। मालवा में यह हरित क्रांति ला रही है। समय पर और कम बजट में बनने के कारण इस झील को बनाने वाले चीफ इंजीनियर को पद्यश्री पुरुस्कार सरकार ने दिया था। एशिया की पहली मानव निर्मित झील के 65 साल के इस लंबे सफर में अब बिजली उत्पादन से लेकर सिंचाई योजनाओं का जनक और पर्यटन का हब बनने के साथ अब चीतों का घर भी बन गया है।
गांधीसागर बांध तत्कालीन मुख्य अभियंता एके चार, अधीक्षण यंत्री सीएच सांघवी, सिविल इलेक्ट्रिकल शिवप्रकाशम के नेतृत्व में यह बांध बना था। बांध की गुणवत्ता एवं एशिया के सबसे कम व्यय से बनने वाले बांध की समय-सीमा मे पूर्ण होने पर चीफ इंजीनियर चार को पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
बांध निर्माण के दौरान सबसे अधिक नुकसान नीमच जिले ने सहन किया। बांध के निर्माण के समय अविभाजित मंदसौर जिले के 228 गांव डूब के कारण खाली कराए थे। विभाजन के बाद 169 गांव नीमच, 59 गांव मंदसौर जिले के प्रभावित हुए। नीमच के रामपुरा में बांध से कई लोग विस्थापित हुए, हालांकि इससे कई क्षेत्र का भूमिगत जलस्तर भी बढ़ा। मंदसौर में संजीत और खड़ावदा तक विस्थापित गांवों को करना पड़ा था। अब भी बांध के समीप के गांवों को जलस्तर बढ़ने के बाद बारिश के दिनों में खाली कराया जाता है।