बहादरपुर गांव की रहने वाली अन्नू रानी आज विश्व स्तर की एथलीट हैं, लेकिन उनकी शुरुआत बेहद साधारण और कठिनाइयों भरी रही। शुरू में उनके पास भाला खरीदने तक के पैसे नहीं थे।
मेरठ : उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले की रहने वाली जैवलिन थ्रोवर अन्नू रानी शादी के बंधन में बधने जा रही हैं। 18 नवंबर को वे रोहतक (हरियाणा) के नेशनल किकबॉक्सिंग चैंपियन साहिल भारद्वाज के साथ शादी के बंधन में बंधेंगी। शादी समारोह अन्नू के पैतृक गांव बहादरपुर में ही धूमधाम से होगा, जबकि 19 नवंबर को रोहतक के एक बैंक्वेट हॉल में भव्य रिसेप्शन पार्टी आयोजित की जाएगी। इस रिसेप्शन के लिए केंद्रीय मंत्रियों, ओलंपिक पदक विजेताओं और खेल जगत के दिग्गजों को निमंत्रण भेजा गया है।
बहादरपुर गांव की रहने वाली अन्नू रानी आज विश्व स्तर की एथलीट हैं, लेकिन उनकी शुरुआत बेहद साधारण और कठिनाइयों भरी रही। आर्थिक तंगी के कारण उनके पास जैवलिन (भाला) खरीदने तक के पैसे नहीं थे। पिता अमरपाल सिंह के साथ खेतों में काम करते हुए वे गन्ने की लंबी-सीधी छड़ें तोड़कर जैवलिन की प्रैक्टिस करतीं। जूते खरीदने के लिए तो चंदा इकट्ठा करना पड़ा। गांव के स्कूल में सुबह-शाम अभ्यास करते हुए अन्नू ने अपने सपनों को पंख दिए।
अन्नू के जीवन में सबसे बड़ा योगदान उनके बड़े भाई उपेंद्र कुमार का रहा। खुद एक 5,000 मीटर के धावक और मल्टी-डिसिप्लिन एथलीट उपेंद्र ने अन्नू में खेल का जुनून जगाया। जब अन्नू ने नौवीं कक्षा में जैवलिन थ्रो में रुचि दिखाई, तो उपेंद्र ने उन्हें गुरुकुल प्रभात आश्रम (घर से 20 किमी दूर) ले जाकर ट्रेनिंग दी। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि दो खिलाड़ियों का खर्च उठाना मुश्किल हो गया। ऐसे में उपेंद्र ने अपने खेल के सपने त्याग दिए, ताकि अन्नू आगे बढ़ सकें। पिता से छिपकर प्रैक्टिस करने वाली अन्नू ने कभी हार नहीं मानी। सुबह चार बजे गांव की सड़कों पर दौड़ लगाते हुए उन्होंने अपना रास्ता बनाया।
दूसरी ओर, दूल्हा साहिल भारद्वाज रोहतक के सांपला क्षेत्र से हैं और खेलों में उनका भी मजबूत बैकग्राउंड है। चार बार के नेशनल किकबॉक्सिंग चैंपियन साहिल ने हाल ही में छत्तीसगढ़ में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में अपनी कला से पहचान बना चुके साहिल अन्नू के साथ मिलकर एक पावरफुल स्पोर्ट्स कपल बनने को तैयार हैं।
अन्नू रानी ने न केवल भारत का सिर ऊंचा किया है, बल्कि जैवलिन थ्रो में महिलाओं के लिए नई बेंचमार्क स्थापित की हैं। हाल ही में युवा मामले एवं खेल मंत्रालय द्वारा घोषित राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2024 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। पेरिस ओलंपिक 2024 में भाग ले चुकीं अन्नू की प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं:
| वर्ष | प्रतियोगिता | पदक/उपलब्धि |
| 2023 | एशियन गेम्स | स्वर्ण पदक |
| 2021 | टोक्यो ओलंपिक | भागीदारी |
| 2019 | वर्ल्ड चैंपियनशिप | फाइनल में जगह (पहली भारतीय महिला) |
| 2019 | एशियन चैंपियनशिप | रजत पदक |
| 2017 | एशियन चैंपियनशिप | कांस्य पदक |
| 2016 | साउथ एशियन गेम्स | रजत पदक |
| 2014 | एशियन गेम्स | कांस्य पदक |
बातचीत के दौरान पिता अमरपाल सिंह भावुक हो उठते हैं। वे बताते हैं, 'बड़े भाई उपेंद्र और चचेरे भाइयों को देखकर अन्नू का झुकाव खेल की ओर हुआ। नौवीं कक्षा में वे भाला फेंकने लगीं। उपेंद्र ने उनके थ्रो में दम देखा और मुझे बताया। लेकिन मैंने मना कर दिया बेटी है, अकेली कहां जाएगी? खर्चा कैसे चलेगा? हम छोटे किसान हैं, गांव में थोड़ी-सी जमीन है।" फिर भी, उपेंद्र के जज्बे ने सब बदल दिया। आज अमरपाल को गर्व है कि उनकी बेटी ने गांव की मिट्टी को वैश्विक पटल पर चमकाया।