UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने बासमती चावल की गुणवत्ता और अंतरराष्ट्रीय साख बचाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। मुरादाबाद समेत 30 जिलों में 12 कीटनाशकों की बिक्री, वितरण और प्रयोग पर 60 दिनों के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है।
Basmati Rice Pesticide Ban in UP: बासमती चावल की शुद्धता और अंतरराष्ट्रीय बाजार में उसकी साख को बचाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। कीटनाशी अधिनियम 1968 की धारा 27(1) के तहत राज्यपाल ने आदेश जारी करते हुए मुरादाबाद सहित 30 जिलों में 12 कीटनाशकों की बिक्री, वितरण और प्रयोग पर 60 दिन के लिए रोक लगा दी है।
सरकार ने जिन कीटनाशकों पर रोक लगाई है, उनमें ट्राइसाइक्लाजोल, बुप्रोफेजिन, एसीफेट, क्लोरपाइरीफास, टेबुकोनोजोल, प्रोपिकोनाजोल, थायोमेथाक्साम, प्रोफेनोफास, इमिडाक्लोप्रिड, कार्बेण्डाजिम और कार्बोफ्यूरान जैसे रसायन शामिल हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इनका उपयोग सीधे तौर पर बासमती चावल की गुणवत्ता को प्रभावित करता है और निर्यात बाजार पर नकारात्मक असर डालता है।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ. राजेंद्र पाल सिंह ने साफ निर्देश दिए हैं कि इस अवधि में कोई भी विक्रेता प्रतिबंधित कीटनाशकों की बिक्री या प्रचार नहीं करेगा। यदि किसी ने आदेश का उल्लंघन किया तो उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसमें लाइसेंस रद्द करने, आर्थिक दंड और आपराधिक मुकदमा दर्ज करने तक की प्रक्रिया शामिल है।
कृषि विभाग ने इस आदेश के पालन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) भी जारी कर दी है। इसके तहत सभी कीटनाशी विक्रेताओं की दुकानों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। विभागीय टीमें समय-समय पर जांच करेंगी और बासमती धान की फसलों का निरीक्षण भी करेंगी। यह कार्रवाई किसानों को अनुशासित करने के साथ-साथ बासमती चावल की अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता और निर्यात को बचाने के उद्देश्य से की गई है।
सरकार का यह कदम साफ संदेश देता है कि अब बासमती चावल की गुणवत्ता पर कोई भी समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा। मुरादाबाद मंडल सहित सभी प्रभावित जिलों में विशेष निगरानी टीमें सक्रिय हो चुकी हैं। यदि किसी विक्रेता को प्रतिबंधित कीटनाशक बेचते हुए पकड़ा गया तो उसके खिलाफ तुरंत सख्त कार्रवाई होगी।