Flood in UP: मुरादाबाद में रामगंगा और गागन नदियों के उफान से बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। 150 से अधिक घर जलमग्न हो चुके हैं और 67 गांवों की फसलें बर्बाद हो गई हैं। प्रशासन राहत कार्यों में जुटा है, लेकिन जलभराव से बीमारियों का खतरा और नुकसान बढ़ रहा है।
Flood in UP gagan ramganga river Moradabad: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में रामगंगा और गागन नदियों के उफान ने फिर एक बार बाढ़ का संकट पैदा कर दिया है। दोनों नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के आसपास बना हुआ है, जिससे 67 से अधिक गांवों में फसलें चौपट हो चुकी हैं और अवैध कॉलोनियों में पानी घुसने से 150 से अधिक घर जलमग्न हो गए हैं। स्थानीय प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं, लेकिन जलभराव के कारण बीमारियों का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।
मौसम विभाग और नदी निगरानी रिपोर्ट के अनुसार, रामगंगा नदी का जलस्तर फिलहाल 189.77 मीटर पर है, जो खतरे के निशान 190.60 मीटर से नीचे है। हालांकि, गागन नदी का जलस्तर 192.45 मीटर पर बह रहा है, जो खतरे के निशान 192 मीटर से ऊपर है। इससे नदियों के किनारे बसे कई इलाकों में जलभराव की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
गागन नदी के किनारे बसे अवैध कॉलोनियों में बाढ़ का पानी घुस चुका है। विशेष रूप से दिल्ली रोड स्थित नगर निगम वार्ड संख्या 23, आंबेडकर नगर फाजलपुर क्षेत्र में 150 से अधिक घर जलमग्न हो गए हैं। प्रभावित परिवारों को घर छोड़कर एसडीएम के निर्देशानुसार आंबेडकर भवन में अस्थायी ठहराव की व्यवस्था प्रदान की गई है। संभल रोड, जन्नत बाग और पंडित नगला की मिलक के निचले इलाकों में भी बाढ़ का पानी घुस चुका है, जिससे कई घरों के गिरने का खतरा मंडरा रहा है।
रामगंगा नदी के उफान का सबसे अधिक असर जिले के 67 गांवों में पड़ा है, जहां खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरह से चौपट हो गई हैं। जलभराव की वजह से गली-मोहल्लों में गंदा पानी जमा हो गया है, जिससे मलेरिया, डेंगू, और त्वचा रोग जैसी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने निगरानी बढ़ाने का दावा किया है, लेकिन जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं अभी भी अपर्याप्त हैं।
बाढ़ की वजह से पशुपालकों को भी भारी नुकसान हुआ है। पानी में घास सड़ जाने से हरे चारे की भारी कमी हो गई है, जिससे मवेशियों का पालन करना मुश्किल हो गया है। जलभराव और दूषित पानी के कारण पशु स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है, जिससे ग्रामीणों की परेशानी और बढ़ गई है।
तहसील प्रशासन और बाढ़ चौकियों पर तैनात कर्मचारी लगातार प्रभावित इलाकों की निगरानी कर रहे हैं। राहत सामग्री, खाद्यान्न और दवाइयां प्रभावित परिवारों तक पहुंचाई जा रही हैं। इसके अलावा क्षेत्रीय पार्षद और समाजसेवी भी राहत कार्यों में सक्रिय हैं। बावजूद इसके, लगातार हो रही बारिश और नदियों के बढ़ते जलस्तर के कारण स्थिति नियंत्रित नहीं हो पा रही है।
बाढ़ के कारण कई सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा है। जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं, जिससे आवागमन मुश्किल हो गया है। प्रभावित गांवों में सड़क मरम्मत के लिए कोई स्थायी योजना या विभागीय सक्रियता नजर नहीं आ रही है। स्थानीय लोग प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं ताकि हर साल की इस समस्या से निजात मिल सके।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि जलभराव और अवैध निर्माण रोकने के लिए समय रहते स्थायी कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले वर्षों में नुकसान और भी अधिक होगा। नदी के किनारे बसे घरों और खेतों में जलभराव की समस्या बढ़ती जाएगी, जिससे स्थानीय जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित हो सकता है।