Kanwar Yatra: पूर्व सपा सांसद डॉ. एस.टी. हसन ने कांवड़ यात्रा के नाम पर सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया है। उन्होंने मुजफ्फरनगर में धर्म जानने के लिए कपड़े उतरवाकर की गई चेकिंग को आतंकियों जैसा सलूक बताया और कहा कि ऐसे कदम समाज में नफरत फैलाने वाले हैं।
Government is creating distances in name of Kanwar Yatra: समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद डॉ. एस.टी. हसन ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि कांवड़ यात्रा के नाम पर हिंदू और मुसलमानों के बीच जानबूझकर दूरी पैदा की जा रही है।
उन्होंने मुजफ्फरनगर में धर्म जानने के लिए कपड़े उतरवाकर की गई चेकिंग की घटना की कड़ी निंदा की और उसे आतंकियों जैसा व्यवहार बताया।
बुधवार शाम मुरादाबाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व सांसद ने कहा, "सरकार सांप्रदायिक माहौल को बढ़ावा दे रही है। धर्म की जांच के नाम पर कपड़े उतरवाना किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है। यह वही तरीका है जो पहले आतंकवादी पहलगाम में अपनाते रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि चेकिंग करना प्रशासन का काम होता है, न कि आम लोगों का। अगर इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा मिला तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे और समाज में नफरत फैलेगी।
डॉ. हसन ने कहा कि कांवड़ यात्रा कोई नई परंपरा नहीं है। यह हजारों वर्षों से चली आ रही है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग भी भाग लेते रहे हैं, भंडारे लगाते रहे हैं और सेवाएं देते आए हैं।
उन्होंने कहा कि पहले कभी ऐसा भेदभाव नहीं देखा गया, लेकिन अब नए नियमों और घटनाओं के जरिए दोनों समुदायों में दूरी पैदा की जा रही है।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर आबादी धार्मिक आधार पर बंट गई तो क्या देश मजबूत होगा या कमजोर? "हम साथ रहते हैं, साथ खाते हैं, मिलजुल कर जीवन बिताते हैं। अब यह आम लोगों को तय करना है कि वे एकता चाहते हैं या बंटवारा," डॉ. हसन ने कहा।
डॉ. हसन ने यह भी स्पष्ट किया कि दुकानों पर नेम प्लेट लगाने के आदेश पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि यह प्रशासन का आदेश है और उसका पालन सभी को करना चाहिए।