UP News: उत्तर प्रदेश में आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों पर सख्ती की तैयारी है। बार-बार काटने वाले कटखने कुत्तों का एबीसी सेंटर में डोजियर बनेगा, निगरानी, नसबंदी और टीकाकरण होगा, जबकि दोहराव पर उन्हें लंबे समय तक विशेष देखरेख में रखा जाएगा।
UP stray dog attack policy: आवारा कुत्तों के हमलों को लेकर देशभर में बढ़ती घटनाओं और सुप्रीम कोर्ट की गंभीर चिंता के बाद उत्तर प्रदेश में नगर विकास विभाग ने ठोस कदम उठाए हैं। जनसुरक्षा और पशु कल्याण के संतुलन को ध्यान में रखते हुए अब ऐसे कुत्तों की पहचान की जाएगी जो बिना उकसावे के बार-बार लोगों को काटते हैं। इन कुत्तों का विस्तृत रिकॉर्ड एनीमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर में तैयार किया जाएगा, ताकि भविष्य में किसी भी खतरे को समय रहते रोका जा सके।
नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने सभी नगर निकायों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। किसी क्षेत्र में यदि एक ही कुत्ते द्वारा बार-बार काटने की शिकायत मिलती है, तो नगर निकाय स्तर पर गठित तीन सदस्यीय टीम उसके व्यवहार की निगरानी करेगी। संबंधित कुत्ते को एबीसी सेंटर में तय अवधि के लिए रखा जाएगा, जहां उसकी आक्रामकता, स्वास्थ्य स्थिति और व्यवहार से जुड़ी हर जानकारी डोजियर में दर्ज की जाएगी।
निगरानी अवधि के दौरान कुत्ते की नसबंदी और टीकाकरण अनिवार्य रूप से किया जाएगा। यदि आचरण सामान्य पाया जाता है, तो उसे उसी क्षेत्र में छोड़ा जाएगा। लेकिन दूसरी बार भी बिना उकसावे के काटने की घटना सामने आने पर और व्यवहार लगातार आक्रामक रहने की स्थिति में कुत्ते को दीर्घकालिक देखरेख के तहत एबीसी सेंटर में रखा जाएगा, जिसे आम भाषा में ‘जेल जैसी व्यवस्था’ माना जा रहा है।
नगर आयुक्त दिव्यांशु पटेल के अनुसार शासन से मिले निर्देशों के बाद आवारा कुत्तों के नियंत्रण की कार्रवाई तेज कर दी गई है। मैनाठेर में बने अत्याधुनिक एबीसी सेंटर में रोजाना करीब 50 कुत्तों की नसबंदी का लक्ष्य तय किया गया है। अब तक रोज 50 कुत्तों की नसबंदी की जा रही है और तीन से चार दिन तक देखरेख के बाद उन्हें उसी स्थान पर छोड़ा जा रहा है, जहां से पकड़ा गया था।
एक अनुमान के मुताबिक मुरादाबाद की सड़कों पर करीब 50 हजार आवारा कुत्ते मौजूद हैं, जिनके हमलों से आमजन लगातार प्रभावित हो रहा है। बड़ी संख्या में लोग एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने जिला अस्पताल पहुंचते हैं। नगर निगम द्वारा शहर के 70 वार्डों से मिलने वाली शिकायतों के आधार पर कुत्तों को पकड़कर नसबंदी और निगरानी की कार्रवाई की जा रही है, ताकि लोगों को राहत मिल सके।